वाराणसी: बनारस तेजी से फैल रहा है और भीड़ भी बढ़ती जा रही है. सड़कों से लेकर गलियों तक में बढ़ रही भीड़ और गर्मी और विशेष मौकों पर आग लगने की घटनाओं को काबू में करने और समय रहते आग पर काबू पाने के लिए तमाम प्रयास होते हैं, लेकिन अब तक शहर में अंग्रेजों के समय का ही प्लान एक्टिव है.
या यूं कहें बढ़ रही आबादी के बाद भी शहर में फायर स्टेशन की संख्या ना के बराबर हैं. सबसे बड़ी बात यह है की लोकेशन बनाने को लेकर प्लान कई साल से तैयार है लेकिन, इस पर अब तक अमल नहीं हो पाया है.
दरअसल वाराणसी में मानक से भी कम फायर स्टेशन संचालित हो रहे हैं. यदि नियम और मानक की बात की जाए तो साढ़े चार लाख की आबादी पर एक फायर स्टेशन होने का नियम है. लेकिन, पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में ब्रिटिश काल से लेकर आज तक सिर्फ चार फायर स्टेशन ही जिले की सुरक्षा कर रहे हैं, जबकि जरूरत 10 से ज्यादा की है.
सरकारी नियम और मानकों पर यदि गौर करें तो ब्रिटिश शासनकाल में उत्तर प्रदेश के पांच ऐसे बड़े शहर थे जहां फायर स्टेशनों को आबादी के हिसाब से खोला गया था. इनमें उस वक्त की आबादी के अनुसार वाराणसी में दो जबकि लखनऊ, कानपुर प्रयागराज और आगरा में 10 से 12 की संख्या में फायर स्टेशन मौजूद हैं. ब्रिटिश शासन काल में वाराणसी में खोले गए फायर स्टेशन अब तक उसी संख्या में संचालित हो रहे हैं, जबकि आबादी उस वक्त की तुलना में 10 गुना से भी ज्यादा हो चुकी है.
चीफ फायर ऑफिसर आनंद सिंह राजपूत का कहना है कि वाराणसी में आबादी के हिसाब से फायर स्टेशन की संख्या बेहद कम है. यह चिंता का विषय है. यही वजह है कि इसे लेकर अब कवायद शुरू की गई है और कुछ साल पहले नए फायर स्टेशन की डिमांड की गई थी, लेकिन जमीन ना मिलने की वजह से यह मामला रुक गया था. लेकिन, अब एक बार फिर से इस दिशा में काम शुरू हुआ है और इस बार कम से कम 4 नए फायर स्टेशन बनाने की तैयारी है.
फायर ऑफिसर का कहना है कि वाराणसी में आठ फायर स्टेशन संचालित होने हैं. इसमें काशी ग्रामीण क्षेत्र में चार नए फायर स्टेशन प्रस्तावित हैं, जबकि चार पहले से ही सुरक्षा कर रहे हैं. किसानों की फसल को आगे से बचाने और ग्रामीण क्षेत्रों में आग लगने की घटनाओं पर तत्काल इसे काबू में करने के लिए राजा तालाब तहसील के खजूरी में 4000 स्क्वायर मीटर में फायर स्टेशन की स्वीकृति का प्रस्ताव प्रेषित किया गया है.
इस पर लगभग काम पूरा भी हो गया है. इसके अतिरिक्त कुरु गांव अमौली और नवगांव में फायर स्टेशन भी प्रस्तावित है. इसके अलावा बाकी तीन जगह पर जिसमें ब्लॉक बड़ागांव में भी एक भूमि का चयन हो गया है. ब्लॉक स्तर पर फायर स्टेशन स्वीकृति का प्लांट तैयार करके फायर सर्विस मुख्यालय को भेजा जाएगा. चिरईगांव ब्लाक के दो अन्य गांव में भी फायर स्टेशन प्रस्तावित है.
कुल चार फायर स्टेशन ग्रामीण क्षेत्रों में बनेंगे. इससे हम बनारस की बड़ी आबादी को कवर कर पाएंगे. वर्तमान में संचालित हो रहे चेतगंज, भेलूपुर, कोतवाली और विश्वनाथ मंदिर के फायर स्टेशन के अतिरिक्त इन चार स्टेशनों से समय रहते आग पर पूरी तरह से नियंत्रण पा सकेंगे. यह सारे प्रस्ताव शासन को पहले भेजे गए थे और इस पर काम चल रहा है.
कुछ जगहों पर जमीन को हस्तांतरित करने का काम किया जा रहा है, क्योंकि यह जमीन दूसरे विभागों के पास है. इस प्रक्रिया को पूरा होने में समय लगता है, बाकी जमीनों की तलाश के साथ ही शासन स्तर पर अनुमति मिलते ही काम शुरू हो जाएगा माना जा रहा है. इस वर्ष 4 में से दो जगह पर फायर स्टेशन का निर्माण शुरू हो जाएगा.
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