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हलषष्ठी या हरछठ पर पसई चावल और भैंस के दूध की दही का ही क्यों होता है उपयोग - Halshashthi 2024 - HALSHASHTHI 2024

Halshashthi 2024, Harchath kamarchath कृष्ण जन्माष्टमी से 2 दिन पहले आज देशभर में हलषष्ठी हरछठ या कमरछठ मनाया जा रहा है. इस दिन महिलाओं भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम की पूजा करती है. हरछठ के दिन बिना हल चले उगाए गए चावल और भैंस के दूध का इस्तेमाल होता है.

Halshashthi 2024
हलषष्ठी पर पसई चावल और भैंस के दूध की दही (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 24, 2024, 8:09 AM IST

Updated : Aug 25, 2024, 6:14 AM IST

अंबिकापुर: भादो माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. देश भर में धूम धाम से श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. कृष्ण जन्माष्टमी के दो दिन पहले उनके बड़े भाई बलराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसे हलषष्ठी, हरछठ या कमरछठ के नाम से जाना जाता है. इस दिन महिलाओं अपने पुत्रों की लंबी आयु और सुख समृद्धि का व्रत करती है. विशेष पूजा तरीकों से लोग व्रत और पूजा करते हैं.

हलषष्ठी पर पसई चावल और भैंस के दूध की दही (ETV Bharat Chhattisgarh)

बलदाऊ का शस्त्र हल इसलिए कहा जाता है हलषष्ठी: भादो माह के कृष्णपक्ष की छठी तिथि को कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था. इस दिन को हल छठ में रूप में मनाया जाता है. भगवान बलराम का अस्त्र हल है. इसलिए इस दिन को हल षष्ठी कहा गया. श्री कृष्ण जन्माष्टमी जैसी धूम इस पर्व में नहीं होती लेकिन देश के ज्यादातर हिस्सों में महिलाएं इस दिन व्रत रखकर पूजन करती हैं. आम तौर पर हिंदू धर्म के व्रत त्योहार से यह व्रत थोड़ा अलग होता है. इसमे उपयोग की जाने वाली सामग्री विचित्र होती हैं.

बिना हल चले चावल और भैंस के दूध की दही और घी का होता है उपयोग: ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक शर्मा बताते हैं " जन्माष्टमी के दो दिन पहले षष्ठी के दिन भगवान बलदाऊ का जन्मदिन मनाया जाता है. इस पर्व को हल छष्ठी कहा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की समृद्धि और सुरक्षा के लिये व्रत रखती हैं. बलदाऊ का शस्त्र हल है इसलिए इस व्रत में ऐसी किसी भी वस्तु का उपयोग वर्जित है जिसे हल का इस्तेमाल कर उगाया गया हो. मतलब खेत की जोताई के जरिये या उससे सबंधित वस्तुओं का उपयोग इस पूजा में प्रतिबंधित रहता है."

दीपक शर्मा बताते हैं "हलषष्ठी के व्रत में पसई का चावल, महुआ का फल, भैंस का दूध, भैंस के दूध की दही व घी का उपयोग होता है. क्योंकि हल जोतने में इनका उपयोग नहीं होता है. इसके साथ ही महिलायें छुहारे की खीर बनाकर खाती हैं. कांस की डगाल को रखकर, मिट्टी के छोटे कलशों में पूजन सामग्री रखकर बलराम जी को अर्पित की जाती है. "

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हलषष्ठी पर पसई चावल और भैंस के दूध की दही (ETV Bharat Chhattisgarh)

बलदाऊ का शस्त्र हल इसलिए कहा जाता है हलषष्ठी: भादो माह के कृष्णपक्ष की छठी तिथि को कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था. इस दिन को हल छठ में रूप में मनाया जाता है. भगवान बलराम का अस्त्र हल है. इसलिए इस दिन को हल षष्ठी कहा गया. श्री कृष्ण जन्माष्टमी जैसी धूम इस पर्व में नहीं होती लेकिन देश के ज्यादातर हिस्सों में महिलाएं इस दिन व्रत रखकर पूजन करती हैं. आम तौर पर हिंदू धर्म के व्रत त्योहार से यह व्रत थोड़ा अलग होता है. इसमे उपयोग की जाने वाली सामग्री विचित्र होती हैं.

बिना हल चले चावल और भैंस के दूध की दही और घी का होता है उपयोग: ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक शर्मा बताते हैं " जन्माष्टमी के दो दिन पहले षष्ठी के दिन भगवान बलदाऊ का जन्मदिन मनाया जाता है. इस पर्व को हल छष्ठी कहा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की समृद्धि और सुरक्षा के लिये व्रत रखती हैं. बलदाऊ का शस्त्र हल है इसलिए इस व्रत में ऐसी किसी भी वस्तु का उपयोग वर्जित है जिसे हल का इस्तेमाल कर उगाया गया हो. मतलब खेत की जोताई के जरिये या उससे सबंधित वस्तुओं का उपयोग इस पूजा में प्रतिबंधित रहता है."

दीपक शर्मा बताते हैं "हलषष्ठी के व्रत में पसई का चावल, महुआ का फल, भैंस का दूध, भैंस के दूध की दही व घी का उपयोग होता है. क्योंकि हल जोतने में इनका उपयोग नहीं होता है. इसके साथ ही महिलायें छुहारे की खीर बनाकर खाती हैं. कांस की डगाल को रखकर, मिट्टी के छोटे कलशों में पूजन सामग्री रखकर बलराम जी को अर्पित की जाती है. "

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Last Updated : Aug 25, 2024, 6:14 AM IST
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