रांची: सीआरपीएफ अफसर और जवानों के खिलाफ रांची के गोंदा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने का मामला अब राजनीतिक रंग लेने लगा है. एक तरफ बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि जब सीएम आवास की 500 मीटर की परिधि में निषेधाज्ञा लगाया गया था तो सीएम हेमंत सोरेन ने कैसे वहां मौजूद झामुमो कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उन्होंने सीआरपीएफ पर एफआईआर दर्ज कराने पर भी सवाल उठाया. यह मसला पूरे राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ. लेकिन कांके और रांची शहर के सीओ की ओर से दर्ज प्राथमिकी में जिन तथ्यों का इस्तेमाल किया गया है, उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
किसने कहने पर सीआरपीएफ पर दर्ज हुआ एफआईआर: लिहाजा, प्राथमिकी दर्ज कराने वाले रांची शहर के अंचल अधिकारी मुंशी राम से ईटीवी भारत की टीम ने कुछ सवालों के जवाब जानने की कोशिश की. उनसे फोन पर पूछा गया कि क्या आपने अपने स्तर से प्राथमिकी दर्ज करवाई है या किसी वरीय अधिकारी के निर्देश पर. इसपर उन्होंने कहा कि एफआईआर में सबकुछ लिखा हुआ है. फिर उनसे पूछा गया कि आपकी प्राथमिकी के मुताबिक 20 जनवरी को सीएम आवास पर ईडी की पूछताछ के दौरान दोपहर करीब 2.30 बजे अचानक पहुंचे सीआरपीएफ के जवान सीएम आवास तक जाने के लिए प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों के साथ किस तरह के बल का प्रयोग कर रहे थे. क्या आपके साथ भी सीआरपीएफ के जवान उलझे थे. जवाब में उन्होंने कहा कि कल बताएंगे और फोन काट दिया.
झामुमो समर्थकों पर मेहरबानी क्यों: गौर करने वाली बात यह है कि सीआरपीएफ के अफसर और जवानों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 143 और 188 के अलावा धारा 353 भी लगाया गया है. गैर जमानती धारा है. इसका इस्तेमाल सरकारी काम में बाधा डालने पर किया जाता है. अब जांच का विषय है कि सीआरपीएफ जवानों ने जोर जबरदस्ती की थी या नहीं. लेकिन सवाल यह है कि सीएम आवास के दो छोर पर प्रदर्शन हो रहा था. एक तरफ हॉटलिप्स चौक पर झामुमो का बैनर लिए लोग प्रदर्शन कर रहे थे तो दूसरी ओर सीएम आवास के ठीक बगल में मौजूद गोंदा थाना के सामने झामुमो के कार्यकर्ता पारंपरिक हथियार के साथ बैरिकेडिंग क्रॉस करना चाह रहे थे.
इस दौरान कुछ कार्यकर्ताओं ने पुलिस के साथ हल्की धक्का-मुक्की भी की थी. लेकिन कांके अंचल के सीओ सह मजिस्ट्रेट जयकुमार राम ने जो प्राथमिकी दर्ज कराई, उसमें कहीं नहीं लिखा हुआ है कि झामुमो के कार्यकर्ता पारंपरिक हथियार के साथ गोंदा थाना तक पहुंच गये थे. उसमें लिखा गया है कि झामुमो के समर्थक कांके स्थित राम मंदिर तिराहा के पास नाजायज मजमा लगाकर प्रदर्शन कर रहे थे. उन्होंने झामुमो समर्थकों पर जो प्राथमिकी दर्ज कराई है, उसमें सिर्फ धारा 143 और 188 लगाया गया है. जबकि पुलिस और मीडिया की मौजूदगी में तीर धनुष के साथ वहां दिनभर प्रदर्शन किया गया था. अब सवाल है कि झामुमो के समर्थकों पर कानूनी मेहरबानी की क्या वजह है. उनपर सरकारी काम में बाधा डालने वाली धारा 353 क्यों नहीं लगाई गयी. इस सवाल का जवाब जानने के लिए कांके अंचल के सीओ जयकुमार राम से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो सकी.
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