चंडीगढ़: हरियाणा की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बीजेपी से अलग होने के बाद अब लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी दस सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. इसके साथ ही पार्टी चंडीगढ़ सीट पर भी उम्मीदवार उतारेगी. इसके लिए पार्टी ने चुनाव आयोग को अपने चुनाव चिन्ह चाभी के लिए भी पत्र लिखा है. हरियाणा में अगर सभी दस सीटों पर जेजेपी चुनाव लड़ती है तो कई दलों के सियासी समीकरण बिगड़ जायेंगे.
सियासी गलियारों में चर्चा है कि जेजेपी अगर सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ती है तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा. हरियाणा कांग्रेस नेता भी इस गठबंधन के टूटने के पीछे की सियासी वजह वोट काटने की सियासत बताते हैं. कांग्रेस कई बार कह चुकी है कि बीजेपी-जेजेपी का अलग होना भी एक साजिश है. ईटीवी भारत ने ये जानने की कोशिश की कि आखिर जेजेपी के चुनाव लड़ने से किसको फायदा होगा.
जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी के कार्यालय सचिव रणधीर सिंह कहते हैं कि पार्टी ने सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं और पार्टी के नेताओं से विचार विमर्श के बाद ये फैसला किया गया. उनका कहना है कि प्रदेश में जो उनकी पार्टी का कैडर वोट है उसके सामने सबसे बड़ी समस्या ये थी कि वो किसको वोट करें? जिसको देखते हुए पीएसी की बैठक में हमने फैसला लिया कि हम सभी 10 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे. इतना ही नहीं बैठक में ये फैसला भी लिया गया कि चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर भी हम चुनाव लड़ेंगे.
जब उनसे सवाल किया गया कि विपक्षी खासतौर पर कांग्रेस उन पर वोट काटने की सियासत करने का आरोप लगाती हैं तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वोट काटने की जहां तक बात है तो जो पार्टी राजनीति में है वो क्या अपने घर बैठ जाएगी. उसे चुनाव तो लड़ना ही है. कल को कोई विधानसभा चुनाव में कह दे कि हमारे वोट काट रहे हैं तो क्या हम चुनाव नहीं लड़ेंगे. पार्टी बनी है हमारा अपना कैडर है. संगठन है. जो पार्टी हम पर वोट काटने का आरोप लगा रही है वो तो अभी तक अपना संगठन भी नहीं बना पाई है. जबकि हमारा राष्ट्रीय स्तर से बूथ स्तर तक पार्टी का संगठन है. रणधीर सिंह, कार्यालय सचिव, जेजेपी
जेजेपी के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का क्या सियासी होगा असर? किसको इसका फायदा होगा और किसको नुकसान? इस पर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि एक पार्टी के तौर पर जननायक जनता पार्टी को चुनाव में उतरना ही पड़ेगा. अगर उन्हें राजनीति करनी है तो चुनाव लड़ना ही पड़ेगा. इसलिए उन्हें सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने होंगे. अगर पार्टी दमखम के साथ चुनाव मैदान में नहीं उतरेगी तो फिर कार्यकर्ता क्या करेंगे. कार्यकर्ताओं को पार्टी के साथ बनाए रखने के लिए उन्हें चुनाव मैदान में उतरना जरूरी है. अगर जेजेपी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी तो पार्टी के कार्यकर्ताओं में निराशा आ सकती है और वो इनेलो में वापस जा सकते हैं. क्योंकि जननायक जनता पार्टी के साथ जो हार्डकोर वोटर है वह इंडियन नेशनल लोकदल से छिटककर आया है.
धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि जननायक जनता पार्टी को 2019 में जो वोट मिला था वह जाट समाज का था. यह भी एक सच्चाई है कि जो वोट 2019 में जेजेपी को मिला था वो बीजेपी के खिलाफ था. वहीं चुनाव के दौरान जेजेपी ने बीजेपी को यमुना पार भेजने की बात भी कही थी. हालांकि ये बात भी सच है कि सभी राजनीतिक दल सत्ता के लिए राजनीति करते हैं. चुनाव के बाद जो हालत बने, उसके बाद बीजेपी और जननायक जनता पार्टी का गठबंधन हुआ था.
धीरेंद्र अवस्थी का कहना है कि जननायक जनता पार्टी के मजबूती से चुनाव लड़ने से हरियाणा के संदर्भ में सबसे ज्यादा नुकसान जाट समाज की वोट का होगा. इस जाट समाज के वोट का बंटवारा हो सकता है, जबकि इस वक्त जाट समाज में यह बात चल रही है कि रणनीतिक तौर पर हमें एक जगह वोट करना चाहिए. जाट समाज भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ अपनी नाराजगी के तौर पर वोट करना चाहता है. वो कहते हैं कि जननायक जनता पार्टी अगर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ती है और जाट वोट बैंक का बंटवारा होता है तो उसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा.