अयोध्या: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 80 साल की उम्र में ब्रेन हेमरेज होने से लखनऊ के पीजीआई में निधन हो गया. उनका जन्म संतकबीरनगर जिले के पौली ब्लॉक क्षेत्र के खेवसियां खर्चा गांव में 20 मई 1945 में हुआ था. बचपन से ही वह अपने पिता राम दुलारे पांडेय के साथ अयोध्या आने से धार्मिक प्रवृत्ति की ओर आकर्षित हुए.
वर्ष 1958 में ही सत्येंद्र दास ने जब अपने पिता को संन्यास लेने का फैसला सुनाया तो उनके पिता ने भी कोई आश्चर्य जाहिर नहीं किया. साथ ही उन्होंने आशीर्वाद देकर कहा था कि मेरा एक बेटा घर संभालेगा और दूसरा रामलला की सेवा करेगा. दूसरे बेटे इंद्रजीत पांडेय के 04 बेटे सुशील, प्रदीप, पवन और दिलीप पांडेय हैं. जो संतकबीरनगर में रहते हैं.
पिता से अनुमति लेने के बाद आचार्य सत्येंद्र दास घर परिवार को छोड़कर सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत बाबा अभिराम दास के शिष्य बने और 1960 में पुजारी बने. इसके साथ ही संस्कृत पाठशाला में आचार्य तक संस्कृत की शिक्षा ली. इस दौरान उनके गुरु बाबा अभिराम दास ने उन्हें सत्य धाम गोपाल मंदिर की जिम्मेदारी दी.
आचार्य सत्येंद्र दास सन 1976 में रामकोट क्षेत्र स्थित त्रिदंडदेव संस्कृत पाठशाला में व्याकरण विभाग में संस्कृत के शिक्षक बने. जहां उन्हें 75 रुपए वेतन मिलता था. इस बीच राम मंदिर आंदोलन भी तेज हो गया और वह अपने गुरु बाबा अभिराम दास के साथ रामलला की सेवा के लिए जाने लगे.
1989 और 90 में राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था. 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस होने के बाद कोर्ट के आदेश पर तैनात रिसीवर के द्वारा उन्हें पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया. आचार्य सत्येंद्र दास ने 1 मार्च 1992 से बतौर पुजारी के रूप में श्री रामलला की सेवा प्रारंभ की.
इस दौरान रामलला कपड़े के अस्थाई मन्दिर में विराजमान थे. जिसमें लगभग 34 वर्षों तक सेवा अर्पित करते रहे. उसके राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद 25 मार्च 2020 को रामलला को टेंट से निकाल कर आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्थाई मंदिर में विराजमान किया गया, जहां लगभग 4 वर्ष आचार्य सत्येंद्र दास पूजा दर्शन करते रहे. इस दौरान उन्हें 100 रुपए मासिक वेतन मिलता रहा.
इसके बाद 22 जनवरी 2024 को रामलला नूतन विग्रह के साथ भव्य मंदिर में विराजमान हुए और उनकी मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला की पहली आरती उतारी. इसके बाद लगभग 1 वर्ष तक मंदिर में पुजारी के रूप में उन्होंने अपनी सेवा दी. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनका वेतन बढ़ाकर 35,500 रुपए कर दिया गया था.
आचार्य सत्येंद्र दास की 3 फरवरी को अचानक तबीयत खराब हो गई थी. उसके बाद उन्हें आनन फानन में भर्ती कराया गया था. आज बुधवार को उन्होंने लखनऊ पीजीआई में अंतिम सांस ली. आचार्य सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर को दर्शन के लिए अयोध्या धाम स्थित सत्य गोपाल धाम लाया जा रहा है. कल गुरुवार की दोपहर 12 बजे सरयू तट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा.
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