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यूपी के ये टूरिस्ट प्लेस 31 दिसंबर को बना देंगे यादगार; रोमांच संग मिलेगी अद्भुत अनुभूति - UP BEST TOURIST SPOT

पुराने साल की विदाई और नए साल के स्वागत के लिए ज्यादातर लोग किसी अच्छी और रोमांटिक जगह पर घूमने का प्लान करते हैं. अगर आपको जगह तय करने में मुश्किल हो रही है तो इनमें से किसी स्थल का चयन कर सकते हैं.

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उत्तर प्रदेश में घूमने-फिरने, मौज-मस्ती करने के प्रमुख स्थान. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 30, 2024, 1:50 PM IST

Updated : Dec 31, 2024, 6:16 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश का नाम आते ही लखनऊ, आगरा, कानपुर, बनारस, मथुरा जैसे शहरों और वहां के प्रसिद्ध स्थानों की तस्वीर दिल और दिमाग में दौड़ जाती है. लेकिन, इनके अलावा भी यूपी में कई ऐसे स्थान हैं जो दर्शनीय हैं और मौज-मस्ती करने के भरपूर साधन से युक्त हैं. ये कोई गुप्त स्थान नहीं हैं, बस लोगों की नजर में नहीं हैं. आईए आज हम आपको ऐसे ही कुछ स्थानों के बारे में बताते हैं, जहां जाकर आप अपने नए साल का जश्न बड़े ही अच्छे से मना सकते हैं.

झीलों का शहर मिर्जापुर: अगर आप प्रकृति को पास से देखना चाहते हैं या नेचर को एक्सप्लोर करने की इच्छा रखते हैं तो पूर्वांचल से बेहतर कुछ नहीं है. यहां हम बात कर रहे मिर्जापुर की. वेब सीरीज मिर्जापुर के बाद से इस शहर की चर्चा कुछ ज्यादा होने लगी है.

वैसे, वेब सीरीज में जो दिखाया गया है उसके उलट इसकी सुंदरता का कोई तोड़ नहीं है. मिर्जापुर अपने टूरिस्ट स्पॉट लखनिया दरी, चुनादरी, विंढम फॉल, टांडा फॉल, बोकाड़िया दरी, सिद्धनाथ की दरी जैसे वाटरफॉल के लिए जाना जाता है. यही कारण है कि यह अब झीलों का शहर बन गया है.

मिर्जापुर का विंढम वाटर फॉल.
मिर्जापुर का विंढम वाटर फॉल. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

विंढम वाटर फॉल: मिर्जापुर शहर से 14 किलोमीटर दूर स्थित यह वाटरफॉल पर्यटकों की पसंदीदा जगह है. यह पर परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने के लिए आया जा सकता है. चट्टानों के बीच में बहता पानी इस जगह की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है. यहां पर लोग नहा भी सकते हैं और खाना बनाकर पिकनिक भी मना सकते हैं.

चुनार का किला: मिर्जापुर जिले में स्थित चुनार का किला टीवी सीरियल चंद्रकांता के बाद से काफी फेमस हुआ. चुनार किला कैमूर पर्वतमाला की उत्तरी दिशा में स्थित है. यह गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर बसा है. यह दुर्ग गंगा नदी के ठीक किनारे पर स्थित है. यह किला एक समय हिन्दू शक्ति का केंद्र था. हिंदू काल के भवनों के अवशेष अभी तक इस किले में हैं, जिनमें महत्वपूर्ण चित्र अंकित हैं.

यूपी के मिर्जापुर जिले में स्थित चुनार का किला.
यूपी के मिर्जापुर जिले में स्थित चुनार का किला. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

किले में आदि-विक्रमादित्य का बनवाया हुआ भतृहरि मंदिर है जिसमें उनकी समाधि है. किले में मुगलों के मकबरे भी हैं. चुनार क्षेत्र के पत्थर और चीनी मिट्टी की कलाकृतियां प्रसिद्ध हैं. राजा-रजवाड़ों के समय चुनार के पत्थरों की काफी मांग थी. राजाओं द्वारा बनवाए गए किले व घाट इसके प्रमाण हैं. लगभग 3000 वर्ष पूर्व मौर्य साम्राज्य में भी इन पत्थरों का जमकर प्रयोग हुआ.

लखनऊ का इमामबाड़ा: भूल-भुलैया के नाम से फेसम लखनऊ का इमामबाड़ा एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में है. यहां पर बड़ा और छोटा दो इमामबाड़ा हैं. छोटे इमामबाड़े को हुसैनाबाद इमामबाड़ा के नाम से जाना जाता है. आप इस जगह पर अपने परिवार के साथ न्यू ईयर का प्लान कर सकते हैं.

लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा.
लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

बताते हैं कि यहां पर एक काफी बड़ा हॉल है, जिसकी बनावट ऐसी है कि आप एक कोने पर खड़े होकर सुई भी गिराएंगे तो दूसरे कोने पर उसकी आवाज सुनाई देगी. इसको भूल-भुलैया इसलिए कहा जाता है कि यहां पर काफी सुरंगे बनी हुई हैं जो आपको लखनऊ से बाहर निकाल सकती हैं. हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से इन्हें बंद कर दिया गया है.

लखनऊ का मरीन ड्राइव, जो गोमतीनगर में गोमती नदी के किनारे बना है.
लखनऊ का मरीन ड्राइव, जो गोमतीनगर में गोमती नदी के किनारे बना है. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

लखनऊ का मरीन ड्राइव: मुंबई की तरह लखनऊ में भी मरीन ड्राइव है. जो युवाओं के बीच काफी फेमस है. लखनऊ के गोमती नगर में गोमती नदी के किनारे स्थित मरीन ड्राइव पर जाकर आप अंबेडकर पार्क का भी दीदार कर सकते हैं. यहां से सनराइज और सनसेट का बेहतरीन नजारा देखने को मिलता है. इसलिए सुबह और शाम के समय यहां पर लोगों की काफी भीड़ देखने को मिलती है.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले और शाहजहांपुर जिले में स्थित टाइगर रिजर्व ऊपरी गंगा के तराई वाले इलाके का हिस्सा है. टाइगर रिजर्व से शारदा, चूका और माला नदियां खाननॉट होकर निकलती हैं. रिजर्व की सीमा पर शारदा सागर बांध है जो 22 किमी (14 मील) की लंबाई तक फैला है.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

यह भारत-नेपाल सीमा पर हिमालय की तलहटी और उत्तर प्रदेश में तराई के मैदानों के साथ स्थित है. टाइगर रिजर्व देश के 51 प्रोजेक्ट में से एक है. पीलीभीत टाइगर रिजर्व को सितंबर 2008 में इसके विशेष प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र के आधार पर घोषित किया गया था.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व का मुख्य आकर्षण

  • चूका बीच
  • जंगल सफारी
  • बाईफरकेशन
  • साइफन नहर
  • सप्त सरोवर
  • खारजा नहर
  • लाल पुल
  • सनराइज प्वाइंट
  • सनसेट पॉइंट
  • पाइथन पॉइंट
  • क्रोकोडाइल पॉइंट
  • औटर पॉइंट
  • बार्डिंग पॉइंट (झंड ताल)
  • बारहसिंगा ताल भीम ताल
  • नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर, महोफ

दुधवा नेशनल पार्क: लखीमपुर खीरी जनपद में स्थित इस पार्क को 1987 में बाघ अभयारण्य घोषित कर दिया गया था. क्योंकि इस क्षेत्र में बाघों की अच्छी खासी आबादी पाई गई थी. यह भारत और नेपाल की सीमाओं से लगे विशाल वन क्षेत्र में फैला है. यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा एवं समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है. जो बाघों और बारहसिंगा के लिए विश्व प्रसिद्ध है.

लखीमपुर खीरी जनपद के दुधवा नेशनल पार्क में सफारी का मजा लेते पर्यटक.
लखीमपुर खीरी जनपद के दुधवा नेशनल पार्क में सफारी का मजा लेते पर्यटक. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

इसके अलावा दुधवा नेशनल पार्क में कई प्रकार के वन्यजीव देखने को मिल जाएंगे. जिसमें बाघ, तेंदुआ, हाथी, भालू और पक्षियों की 450 से अधिक प्रजातियां शामिल हैं. यहां पर सफारी की भी सुविधा है. जिसका समय मौसम के हिसाब से बदलता रहता है.

आमतौर पर सुबह 6:30 बजे से 10.00 बजे तक सफारी चलती है. इसके बाद दोपहर 1:30 बजे से 5:00 बजे तक चलती है. बात टिकट की करें तो भारतीयों के लिए दुधवा नेशनल पार्क की सफारी का किराया 7000 रुपए है. विदेशी नागरिकों से प्रति सफारी 13999 रुपए लिए जाते हैं.

ये भी पढ़ेंः मलाई मक्खन...सर्दियों की खास मिठाई; मुंह में रखते ही घुल जाए, बनाने का है स्पेशल लखनवी अंदाज

लखनऊ: उत्तर प्रदेश का नाम आते ही लखनऊ, आगरा, कानपुर, बनारस, मथुरा जैसे शहरों और वहां के प्रसिद्ध स्थानों की तस्वीर दिल और दिमाग में दौड़ जाती है. लेकिन, इनके अलावा भी यूपी में कई ऐसे स्थान हैं जो दर्शनीय हैं और मौज-मस्ती करने के भरपूर साधन से युक्त हैं. ये कोई गुप्त स्थान नहीं हैं, बस लोगों की नजर में नहीं हैं. आईए आज हम आपको ऐसे ही कुछ स्थानों के बारे में बताते हैं, जहां जाकर आप अपने नए साल का जश्न बड़े ही अच्छे से मना सकते हैं.

झीलों का शहर मिर्जापुर: अगर आप प्रकृति को पास से देखना चाहते हैं या नेचर को एक्सप्लोर करने की इच्छा रखते हैं तो पूर्वांचल से बेहतर कुछ नहीं है. यहां हम बात कर रहे मिर्जापुर की. वेब सीरीज मिर्जापुर के बाद से इस शहर की चर्चा कुछ ज्यादा होने लगी है.

वैसे, वेब सीरीज में जो दिखाया गया है उसके उलट इसकी सुंदरता का कोई तोड़ नहीं है. मिर्जापुर अपने टूरिस्ट स्पॉट लखनिया दरी, चुनादरी, विंढम फॉल, टांडा फॉल, बोकाड़िया दरी, सिद्धनाथ की दरी जैसे वाटरफॉल के लिए जाना जाता है. यही कारण है कि यह अब झीलों का शहर बन गया है.

मिर्जापुर का विंढम वाटर फॉल.
मिर्जापुर का विंढम वाटर फॉल. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

विंढम वाटर फॉल: मिर्जापुर शहर से 14 किलोमीटर दूर स्थित यह वाटरफॉल पर्यटकों की पसंदीदा जगह है. यह पर परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने के लिए आया जा सकता है. चट्टानों के बीच में बहता पानी इस जगह की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है. यहां पर लोग नहा भी सकते हैं और खाना बनाकर पिकनिक भी मना सकते हैं.

चुनार का किला: मिर्जापुर जिले में स्थित चुनार का किला टीवी सीरियल चंद्रकांता के बाद से काफी फेमस हुआ. चुनार किला कैमूर पर्वतमाला की उत्तरी दिशा में स्थित है. यह गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर बसा है. यह दुर्ग गंगा नदी के ठीक किनारे पर स्थित है. यह किला एक समय हिन्दू शक्ति का केंद्र था. हिंदू काल के भवनों के अवशेष अभी तक इस किले में हैं, जिनमें महत्वपूर्ण चित्र अंकित हैं.

यूपी के मिर्जापुर जिले में स्थित चुनार का किला.
यूपी के मिर्जापुर जिले में स्थित चुनार का किला. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

किले में आदि-विक्रमादित्य का बनवाया हुआ भतृहरि मंदिर है जिसमें उनकी समाधि है. किले में मुगलों के मकबरे भी हैं. चुनार क्षेत्र के पत्थर और चीनी मिट्टी की कलाकृतियां प्रसिद्ध हैं. राजा-रजवाड़ों के समय चुनार के पत्थरों की काफी मांग थी. राजाओं द्वारा बनवाए गए किले व घाट इसके प्रमाण हैं. लगभग 3000 वर्ष पूर्व मौर्य साम्राज्य में भी इन पत्थरों का जमकर प्रयोग हुआ.

लखनऊ का इमामबाड़ा: भूल-भुलैया के नाम से फेसम लखनऊ का इमामबाड़ा एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में है. यहां पर बड़ा और छोटा दो इमामबाड़ा हैं. छोटे इमामबाड़े को हुसैनाबाद इमामबाड़ा के नाम से जाना जाता है. आप इस जगह पर अपने परिवार के साथ न्यू ईयर का प्लान कर सकते हैं.

लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा.
लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

बताते हैं कि यहां पर एक काफी बड़ा हॉल है, जिसकी बनावट ऐसी है कि आप एक कोने पर खड़े होकर सुई भी गिराएंगे तो दूसरे कोने पर उसकी आवाज सुनाई देगी. इसको भूल-भुलैया इसलिए कहा जाता है कि यहां पर काफी सुरंगे बनी हुई हैं जो आपको लखनऊ से बाहर निकाल सकती हैं. हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से इन्हें बंद कर दिया गया है.

लखनऊ का मरीन ड्राइव, जो गोमतीनगर में गोमती नदी के किनारे बना है.
लखनऊ का मरीन ड्राइव, जो गोमतीनगर में गोमती नदी के किनारे बना है. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

लखनऊ का मरीन ड्राइव: मुंबई की तरह लखनऊ में भी मरीन ड्राइव है. जो युवाओं के बीच काफी फेमस है. लखनऊ के गोमती नगर में गोमती नदी के किनारे स्थित मरीन ड्राइव पर जाकर आप अंबेडकर पार्क का भी दीदार कर सकते हैं. यहां से सनराइज और सनसेट का बेहतरीन नजारा देखने को मिलता है. इसलिए सुबह और शाम के समय यहां पर लोगों की काफी भीड़ देखने को मिलती है.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले और शाहजहांपुर जिले में स्थित टाइगर रिजर्व ऊपरी गंगा के तराई वाले इलाके का हिस्सा है. टाइगर रिजर्व से शारदा, चूका और माला नदियां खाननॉट होकर निकलती हैं. रिजर्व की सीमा पर शारदा सागर बांध है जो 22 किमी (14 मील) की लंबाई तक फैला है.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

यह भारत-नेपाल सीमा पर हिमालय की तलहटी और उत्तर प्रदेश में तराई के मैदानों के साथ स्थित है. टाइगर रिजर्व देश के 51 प्रोजेक्ट में से एक है. पीलीभीत टाइगर रिजर्व को सितंबर 2008 में इसके विशेष प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र के आधार पर घोषित किया गया था.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व का मुख्य आकर्षण

  • चूका बीच
  • जंगल सफारी
  • बाईफरकेशन
  • साइफन नहर
  • सप्त सरोवर
  • खारजा नहर
  • लाल पुल
  • सनराइज प्वाइंट
  • सनसेट पॉइंट
  • पाइथन पॉइंट
  • क्रोकोडाइल पॉइंट
  • औटर पॉइंट
  • बार्डिंग पॉइंट (झंड ताल)
  • बारहसिंगा ताल भीम ताल
  • नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर, महोफ

दुधवा नेशनल पार्क: लखीमपुर खीरी जनपद में स्थित इस पार्क को 1987 में बाघ अभयारण्य घोषित कर दिया गया था. क्योंकि इस क्षेत्र में बाघों की अच्छी खासी आबादी पाई गई थी. यह भारत और नेपाल की सीमाओं से लगे विशाल वन क्षेत्र में फैला है. यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा एवं समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है. जो बाघों और बारहसिंगा के लिए विश्व प्रसिद्ध है.

लखीमपुर खीरी जनपद के दुधवा नेशनल पार्क में सफारी का मजा लेते पर्यटक.
लखीमपुर खीरी जनपद के दुधवा नेशनल पार्क में सफारी का मजा लेते पर्यटक. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

इसके अलावा दुधवा नेशनल पार्क में कई प्रकार के वन्यजीव देखने को मिल जाएंगे. जिसमें बाघ, तेंदुआ, हाथी, भालू और पक्षियों की 450 से अधिक प्रजातियां शामिल हैं. यहां पर सफारी की भी सुविधा है. जिसका समय मौसम के हिसाब से बदलता रहता है.

आमतौर पर सुबह 6:30 बजे से 10.00 बजे तक सफारी चलती है. इसके बाद दोपहर 1:30 बजे से 5:00 बजे तक चलती है. बात टिकट की करें तो भारतीयों के लिए दुधवा नेशनल पार्क की सफारी का किराया 7000 रुपए है. विदेशी नागरिकों से प्रति सफारी 13999 रुपए लिए जाते हैं.

ये भी पढ़ेंः मलाई मक्खन...सर्दियों की खास मिठाई; मुंह में रखते ही घुल जाए, बनाने का है स्पेशल लखनवी अंदाज

Last Updated : Dec 31, 2024, 6:16 AM IST
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