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संतान प्राप्ति कब और किस ग्रह के योग में होती है, जानिए

यह सभी जानते हैं कि हर दंपति संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं. संतान का कामना केवल वंश को आगे बढ़ाने के लिए नहीं होती, बल्कि इसके पीछे माता पिता बनने का सुख, अपने बच्चे की बाल क्रीड़ाओं का आनंद लेने का सुख भी होता है. हर विवाहित जोड़ी माता पिता बनकर खुद को पूर्ण महसूस करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में घरों या भावों को देखकर ज्योतिषाचार्य किसी व्यक्ति के संतान से जुड़ी भविष्यवाणी करते हैं.

santan prapti ke yog
संतान प्राप्ति के ग्रह और योग
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 1, 2024, 4:09 AM IST

संतान प्राप्ति के ग्रह और योग

रायपुर: ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली से भविष्य, वर्तमान और भूतकाल की जानकारी मिलती है. कुंडली में घरों या भावों से जिंदगी के बारे में ज्योतिषाचार्य भविष्यवाणी करते हैं. कुंडली के योगों, उस विषय से संबंधित दशा-अंतर्दशा को जांचना और ग्रहों के गोचर को देखा जाता है. इसी प्रकार संतान से जुड़ी भविष्यवाणी ज्योतिष कैसे करते हैं, इस बारे में ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेन्द्र कुमार ठाकुर ने जानकारी दी है.

संतान प्राप्ति के संयोग: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, "संतान प्राप्ति के लिए पंचम भाव को देखना चाहिए और पंचमेश कहां पर बैठा है. पंचमेश पर किस ग्रह की दृष्टि है. पंचम भाव में कौन सा ग्रह बैठा है. नवांश में और पंचम भाव में कौन सी राशि है. कौन से ग्रह पंचम भाव और पंचम भाव के स्वामी को देख रहे हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण है. इसके अलावा जातक की कुंडली में सप्तमांश में, पंचम भाव में कौन सा ग्रह है. किस ग्रह से युति है. इन सबको देखकर ही संतान का विचार किया जाता है."

गोचर में जब संतान कारक ग्रहों की स्थिति का प्रभाव पंचम भाव और उसके स्वामी पर पड़ता है, तब सूर्य की एवं गुरु की गोचर में जो स्थिति है, उसके आधार पर संतान प्राप्ति के समय का निर्णय लिया जाता है. पंचम भाव पर अष्टक वर्ग और अन्य ग्रहों की पंचम भाव में कितने बिंदु हैं और किस ग्रह के बिंदु हैं यह भी देखा जाना चाहिए. - डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर, ज्योतिष एवं वास्तुविद

ग्रहों की स्थिति के आधार पर भविष्यवाणी: डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर बताते हैं कि "संतान की भविष्यवाणी करते समय स्त्री ग्रह और पुरुष ग्रह का भी अध्ययन करना चाहिए. अष्टक वर्ग में कितने बिंदु हैं, यह देखना भी आवश्यक है. इस प्रकार इन ग्रहों की दशा, महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा और गोचर में पुत्र-पुत्री कारक ग्रहों की स्थिति के आधार पर संतान के जन्म का निश्चय किया जाता है. पुत्र होगा या पुत्री इसका भी निर्णय ग्रहों की स्थिति के आधार पर होता है."

संतान पाने के लिए इन ग्रहों को बनाएं मजबूत: यदि पुत्र संतान चाहते हैं, तो सूर्य गुरु और मंगल को शक्तिशाली बनाया जाना चाहिए, ताकि पुत्र की प्राप्ति हो. अन्य ग्रहों के प्रभाव से कन्या का जन्म होता है. केतु मोक्ष का कारक है, इसलिए इसका भी पुत्र संतान के होने से बड़ा संबंध है, क्योंकि पुत्र ही मोक्ष का कारक माना जाता है. ऐसे में केतु की स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण है.

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संतान प्राप्ति के संयोग: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, "संतान प्राप्ति के लिए पंचम भाव को देखना चाहिए और पंचमेश कहां पर बैठा है. पंचमेश पर किस ग्रह की दृष्टि है. पंचम भाव में कौन सा ग्रह बैठा है. नवांश में और पंचम भाव में कौन सी राशि है. कौन से ग्रह पंचम भाव और पंचम भाव के स्वामी को देख रहे हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण है. इसके अलावा जातक की कुंडली में सप्तमांश में, पंचम भाव में कौन सा ग्रह है. किस ग्रह से युति है. इन सबको देखकर ही संतान का विचार किया जाता है."

गोचर में जब संतान कारक ग्रहों की स्थिति का प्रभाव पंचम भाव और उसके स्वामी पर पड़ता है, तब सूर्य की एवं गुरु की गोचर में जो स्थिति है, उसके आधार पर संतान प्राप्ति के समय का निर्णय लिया जाता है. पंचम भाव पर अष्टक वर्ग और अन्य ग्रहों की पंचम भाव में कितने बिंदु हैं और किस ग्रह के बिंदु हैं यह भी देखा जाना चाहिए. - डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर, ज्योतिष एवं वास्तुविद

ग्रहों की स्थिति के आधार पर भविष्यवाणी: डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर बताते हैं कि "संतान की भविष्यवाणी करते समय स्त्री ग्रह और पुरुष ग्रह का भी अध्ययन करना चाहिए. अष्टक वर्ग में कितने बिंदु हैं, यह देखना भी आवश्यक है. इस प्रकार इन ग्रहों की दशा, महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा और गोचर में पुत्र-पुत्री कारक ग्रहों की स्थिति के आधार पर संतान के जन्म का निश्चय किया जाता है. पुत्र होगा या पुत्री इसका भी निर्णय ग्रहों की स्थिति के आधार पर होता है."

संतान पाने के लिए इन ग्रहों को बनाएं मजबूत: यदि पुत्र संतान चाहते हैं, तो सूर्य गुरु और मंगल को शक्तिशाली बनाया जाना चाहिए, ताकि पुत्र की प्राप्ति हो. अन्य ग्रहों के प्रभाव से कन्या का जन्म होता है. केतु मोक्ष का कारक है, इसलिए इसका भी पुत्र संतान के होने से बड़ा संबंध है, क्योंकि पुत्र ही मोक्ष का कारक माना जाता है. ऐसे में केतु की स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण है.

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