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मुहूर्त निर्धारण के लिए किन बातों का रखें ध्यान, ताकि हर मुश्किल हो जाए आसान - Auspicious time of muhurta

Determining auspicious time किसी भी शुभ काम के लिए मुहूर्त का होना बहुत जरुरी है.लेकिन कुंडली के हिसाब से मुहूर्त का निर्धारण करना कठिन काम होता है.आजकल ज्यादातर लोग पंचांग आधारित मुहूर्त के अनुसार ही काम करते हैं.लेकिन जो लोग कुंडली आधारित मुहूर्त निकलवाते हैं उसमें थोड़ा समय लगता है.Auspicious time of muhurta

Auspicious time of muhurta
मुहूर्त निर्धारण के लिए किन बातों का रखें ध्यान (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 23, 2024, 6:22 PM IST

रायपुर : मुहूर्त का निर्धारण करना एक ज्योतिषी या पंडित के लिए बहुत आसान काम है. क्योंकि ज्योतिषी या पंडित ना इतनी गणनाएं करता है ना उसको इतना ज्ञान है. जो पंचांग का निर्माण करते हैं उनको इस क्षेत्र में गहन अध्ययन होता है. ऐसे ही कुछ ज्योतिषी या पंडित भी इसका अच्छा अध्ययन करते हैं. लेकिन मुहूर्त निकालना किसी भी ज्योतिषी के लिए बहुत आसान काम है.

किसी भी पंचांग में होता है मुहूर्त : कोई भी पंचांग उठा लें उसमें स्पष्ट लिखा होता है विवाह मुहूर्त, गृह प्रवेश मुहूर्त, जीर्ण गृह प्रवेश मुहूर्त, अन्नप्राशन मुहूर्त, विद्या आरंभ मुहूर्त, वधू प्रवेश मुहूर्त, वाग्दान मुहूर्त अक्षर आरंभ मुहूर्त ऐसे जितने भी मुहूर्त हैं. सबका उल्लेख पंचांग में होता है. एक विशिष्ट पृष्ठ पर या हर माह के पंचांग में एक स्थान पर इस तरह के मुहूर्त लिखे होते हैं. इसके लिए ज्योतिषी या पंडित को मेहनत नहीं करनी पड़ती. वह पंचांग उठाकर देखता है और मुहूर्त बता देता है. सामान्य पढ़ा लिखा व्यक्ति भी पंचांग देखकर मुहूर्त जान सकता है.

मुहूर्त निर्धारण के लिए किन बातों का रखें ध्यान (ETV Bharat Chhattisgarh)
कुंडली के हिसाब से मुहूर्त निकालना कठिन : ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेन्द्र कुमार ठाकुर ने बताया कि मुहूर्त का बताना इतना आसान नहीं है जैसा कि बताया जाता है. आप अगर कुंडली के अंदर जाएं तो पता चलेगा कि मुहूर्त निकालना काफी कठिन काम है. इसके लिए अध्ययन और अनुभव होना बहुत जरूरी है. अधिकांश ज्योतिष या पंडित पंचांग तक ही सीमित रहते हैं. लेकिन हकीकत में प्रत्येक व्यक्ति के लिए मुहूर्त निर्धारण अलग-अलग होता है.

''पंचांग में जो मुहूर्त दिया जाता है आवश्यक नहीं कि वह हर जातक के लिए उचित हो सही हो ज्योतिष ग्रंथ बताते हैं कि कुंडली के लगन से चौथे आठवें और 12 भाव का चंद्रमा त्रिक भाव में स्थित चंद्रमा लाभदायक नहीं होता है. दोषपूर्ण होता है. कोई जातक ज्योतिषी के बताए गए मुहूर्त के आधार पर काम करता है. पूजा पाठ करता है. मुहूर्त का पालन करता है लेकिन वो जातक के कुंडली का अध्ययन नहीं करता उसकी कौन सी राशि है. उसकी कौन सी दशा चल रही है. मुहूर्त निर्धारण में इसका बहुत बड़ा योगदान है. जातक के लग्न कुंडली और चंद्र कुंडली से चौथे आठवें और बारहवें भाव में चंद्रमा हो तो वह मुहूर्त उस जातक को पर्याप्त लाभ नहीं मिलता. कई बार जातक को बहुत हानि होती है. उसको मानसिक क्लेश भी होता है."- डॉ महेन्द्र कुमार ठाकुर,ज्योतिष एवं वास्तुविद

कैसे होता है कुंडली का निर्धारण : ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर के मुताबिक मुहूर्त निर्धारण के समय जातक की कुंडली में स्थित चंद्रमा जो की गोचर के आधार पर चौथे आठवें और 12 वें भाव में ना हो. इसके अलावा उस समय राहुकाल ना चल रहा हो. इसके अलावा जो राजयोग होते हैं उसमें मुहूर्त निकाला जाता है. उसमें कोई विरोधाभास तो नहीं है. जैसे पुष्य नक्षत्र को शुभ माना जाता है लेकिन वह शुक्रवार को पड़े तो उत्पाद योग होता है जो शुभ नहीं है. सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत अच्छा योग है. अमृत सिद्धि योग भी बहुत अच्छा योग है.

अच्छा योग कब बन जाता है विष : ज्योतिष के मुताबिक सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ-साथ अमृत सिद्धि योग भी बन जाए तो वह विष योग हो जाता है. दोनों ही मुहूर्त के प्रभाव अशुभ हो जाते हैं. अतः यह मुहूर्त भी ठीक नहीं है.ऐसे में जातक को चाहिए जिस किसी ज्योतिषी से मुहूर्त पूछता है तो वह यह देखें संबंधित ज्योतिष या पंडित क्या उसकी राशि के जन्म कुंडली से परिचित है या नहीं. इसके साथ ही यह मुहूर्त की जानकारी रखता है या नहीं. इसलिए परीक्षण के बाद ही ज्योतिषी या पंडित से मुहूर्त की सलाह लेनी चाहिए.

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नोट : उपरोक्त लिखी गई सारी बातें ज्योतिषाचार्य के ज्ञान पर आधारित हैं,इसका ईटीवी भारत किसी भी तरह से समर्थन या पुष्टि नहीं करता है.

रायपुर : मुहूर्त का निर्धारण करना एक ज्योतिषी या पंडित के लिए बहुत आसान काम है. क्योंकि ज्योतिषी या पंडित ना इतनी गणनाएं करता है ना उसको इतना ज्ञान है. जो पंचांग का निर्माण करते हैं उनको इस क्षेत्र में गहन अध्ययन होता है. ऐसे ही कुछ ज्योतिषी या पंडित भी इसका अच्छा अध्ययन करते हैं. लेकिन मुहूर्त निकालना किसी भी ज्योतिषी के लिए बहुत आसान काम है.

किसी भी पंचांग में होता है मुहूर्त : कोई भी पंचांग उठा लें उसमें स्पष्ट लिखा होता है विवाह मुहूर्त, गृह प्रवेश मुहूर्त, जीर्ण गृह प्रवेश मुहूर्त, अन्नप्राशन मुहूर्त, विद्या आरंभ मुहूर्त, वधू प्रवेश मुहूर्त, वाग्दान मुहूर्त अक्षर आरंभ मुहूर्त ऐसे जितने भी मुहूर्त हैं. सबका उल्लेख पंचांग में होता है. एक विशिष्ट पृष्ठ पर या हर माह के पंचांग में एक स्थान पर इस तरह के मुहूर्त लिखे होते हैं. इसके लिए ज्योतिषी या पंडित को मेहनत नहीं करनी पड़ती. वह पंचांग उठाकर देखता है और मुहूर्त बता देता है. सामान्य पढ़ा लिखा व्यक्ति भी पंचांग देखकर मुहूर्त जान सकता है.

मुहूर्त निर्धारण के लिए किन बातों का रखें ध्यान (ETV Bharat Chhattisgarh)
कुंडली के हिसाब से मुहूर्त निकालना कठिन : ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेन्द्र कुमार ठाकुर ने बताया कि मुहूर्त का बताना इतना आसान नहीं है जैसा कि बताया जाता है. आप अगर कुंडली के अंदर जाएं तो पता चलेगा कि मुहूर्त निकालना काफी कठिन काम है. इसके लिए अध्ययन और अनुभव होना बहुत जरूरी है. अधिकांश ज्योतिष या पंडित पंचांग तक ही सीमित रहते हैं. लेकिन हकीकत में प्रत्येक व्यक्ति के लिए मुहूर्त निर्धारण अलग-अलग होता है.

''पंचांग में जो मुहूर्त दिया जाता है आवश्यक नहीं कि वह हर जातक के लिए उचित हो सही हो ज्योतिष ग्रंथ बताते हैं कि कुंडली के लगन से चौथे आठवें और 12 भाव का चंद्रमा त्रिक भाव में स्थित चंद्रमा लाभदायक नहीं होता है. दोषपूर्ण होता है. कोई जातक ज्योतिषी के बताए गए मुहूर्त के आधार पर काम करता है. पूजा पाठ करता है. मुहूर्त का पालन करता है लेकिन वो जातक के कुंडली का अध्ययन नहीं करता उसकी कौन सी राशि है. उसकी कौन सी दशा चल रही है. मुहूर्त निर्धारण में इसका बहुत बड़ा योगदान है. जातक के लग्न कुंडली और चंद्र कुंडली से चौथे आठवें और बारहवें भाव में चंद्रमा हो तो वह मुहूर्त उस जातक को पर्याप्त लाभ नहीं मिलता. कई बार जातक को बहुत हानि होती है. उसको मानसिक क्लेश भी होता है."- डॉ महेन्द्र कुमार ठाकुर,ज्योतिष एवं वास्तुविद

कैसे होता है कुंडली का निर्धारण : ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर के मुताबिक मुहूर्त निर्धारण के समय जातक की कुंडली में स्थित चंद्रमा जो की गोचर के आधार पर चौथे आठवें और 12 वें भाव में ना हो. इसके अलावा उस समय राहुकाल ना चल रहा हो. इसके अलावा जो राजयोग होते हैं उसमें मुहूर्त निकाला जाता है. उसमें कोई विरोधाभास तो नहीं है. जैसे पुष्य नक्षत्र को शुभ माना जाता है लेकिन वह शुक्रवार को पड़े तो उत्पाद योग होता है जो शुभ नहीं है. सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत अच्छा योग है. अमृत सिद्धि योग भी बहुत अच्छा योग है.

अच्छा योग कब बन जाता है विष : ज्योतिष के मुताबिक सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ-साथ अमृत सिद्धि योग भी बन जाए तो वह विष योग हो जाता है. दोनों ही मुहूर्त के प्रभाव अशुभ हो जाते हैं. अतः यह मुहूर्त भी ठीक नहीं है.ऐसे में जातक को चाहिए जिस किसी ज्योतिषी से मुहूर्त पूछता है तो वह यह देखें संबंधित ज्योतिष या पंडित क्या उसकी राशि के जन्म कुंडली से परिचित है या नहीं. इसके साथ ही यह मुहूर्त की जानकारी रखता है या नहीं. इसलिए परीक्षण के बाद ही ज्योतिषी या पंडित से मुहूर्त की सलाह लेनी चाहिए.

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नोट : उपरोक्त लिखी गई सारी बातें ज्योतिषाचार्य के ज्ञान पर आधारित हैं,इसका ईटीवी भारत किसी भी तरह से समर्थन या पुष्टि नहीं करता है.

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