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क्या सीएम योगी के लिए अयोध्या का 'बदलापुर' बनेगा मिल्कीपुर; सिर्फ 2 बार खिला कमल, सपा से सीधी टक्कर - Uttar Pradesh By Election

अयोध्या मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर मिल्कीपुर विधानसभा सीट का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है. इस बार लोकसभा चुनाव में राम मंदिर निर्माण के बाद भी भाजपा के अयोध्या हारने से सियासत गर्म है.वहीं, सपा लोकसभा चुनाव की जीत को बरकरार रखे के लिए पूरी तैयारी में है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस सीट पर किस पार्टी का पलड़ा कितना भारी है.

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मिल्कीपुर विधानसभा सीट उपचुनाव. (ETV Bharat Gfx)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 21, 2024, 6:10 AM IST

Updated : Aug 21, 2024, 12:05 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा ने तैयारी शुरू कर दी है. उपचुनाव लड़ रही बसपा ने तो उम्मीदवार भी उतारने शुरू कर दिए हैं. अयोध्या के मिल्कीपुर (सुरक्षित) से समाजवादी पार्टी से विधायक अवधेश प्रसाद के सांसद बनने से यह सीट खाली हुई है. इस सीट पर 2017 विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी रहे रामगोपाल कोरी पर मायावती ने इस बार दांव लगाया है. वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव में अयोध्या से हार का बदला लेने के लिए मिल्कीपुर सीट को जिताने की जिम्मेदारी खुद ले ली है.

मिल्कीपुर विधानसभा सीट का इतिहास.
मिल्कीपुर विधानसभा सीट का इतिहास. (ETV Bharat Gfx)

सीएम ने खुद ली मिल्कीपुर की नैया पार लगाने की जिम्मेदारीः उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी के चुनावी मुद्दे में एजेंडे में राम मंदिर प्रमुख रहा. लोकसभा चुनाव के दौरान अयोध्या में राम मंदिर बनाने का प्रधानमंत्री पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ समेत सभी भाजपाई नेताओं ने श्रेय लिया. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के संरक्षक को रामभक्तों का हत्यारा बताया. भाजपा ने पूरे देश में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर अभियान चलाया और वाहवाही लूटी थी. लेकिन लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट से भाजपा हार गई. मिल्कीपुर से सपा विधायक अवधेश प्रसाद सांसद चुने गए. यही नहीं, अयोध्या के आसपास की भी सीटें भाजपा हार गई. अयोध्या सीट हारने से योगी सरकार को खूब फजीहत हुई. काफी दिनों तक हार की समीक्षा चली. अब इस हार का बदला लेने के लिए उपचुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर विधानसभा की जिम्मेदारी खुद ली है. सीएम योगी अयोध्या का दौरा नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के साथ ही अगली रणनीति बना रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी की भी पोल खोलकर जनता के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

अयोध्या रेप केस क्या भाजपा को देगा बूस्ट डोज? : माना जा रहा है कि अयोध्या में हार का बदला उपचुनाव में लेने के लिए नाबालिग बच्ची का मुद्दा सीएम योगी ने विधानसभा में जोर शोर उठाया था. अयोध्या रेप केस में सपा नेता मोइद खान का नाम सामने आने के बाद लगातार सपा पर हमलावर हैं. इसके साथ ही मामले में आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जा रही हैं. वहीं, पीड़िता और उसके परिजनों को पूरी मदद कर सीएम योगी जनता को खास संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अयोध्या रेप कांड उपचुनाव में भाजपा के लिए बूस्टर साबित हो सकता है. क्योंकि भाजपा को सपा की कमजोर कड़ी मिल गई है.

क्या अवधेश सपा के फिर बनेंगे तारनहार? : मिल्कीपुर विधायक से रहते हुए अयोध्या के सांसद चुनकर अवधेश प्रसाद ने भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त दी थी. अवेधश प्रसाद की जीत का चर्चा देश में हुई थी. अखिलेश यादव और सपा नेता भी अयोध्या से अवधेश प्रसाद की जीत को एक बड़ी सफलता माना था. समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य अवधेश प्रसाद 9 बार विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में छह बार मंत्री रहे हैं. लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उपचुनाव की जिम्मेदारी अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद को दी है. समाजवादी पार्टी ने सांसद अवधेश प्रसाद को चुनाव प्रभारी बनाया है. एसे में उपचुनाव में सीएम योगी और अवधेश प्रसाद आमने-सामने होंगे. अवधेश प्रसाद अपनी साख बचाने और भाजपा को पटखनी देने के लिए रणनीति बनाने में लगे हैं. अब देखना होगा कि अवधेश प्रसाद क्या इस बार भी सपा की नैया पार लगा पाएंगे या नहीं.

सापा और भाजपा से कौन-कौन दावेदार : विधायक से सांसद बने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत को सपा के टिकट का सबसे अधिक दावेदार बताया जा रहा है। अजीत की उम्मीदवारी की घोषणा सपा के जिलाध्यक्ष पारसनाथ यादव ने कुछ दिन पहले कर चुके हैं. हालांकि समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लेकर कोई बयान अभी तक नहीं आया है. वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व विधायक और 2022 के चुनाव में प्रत्याशी रहे गोरखनाथ के अलावा भी कई दावेदारों के नाम सामने आयै हैं. इनमें से पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी, नीरज कन्नौजिया और काशीराम रावत दावा ठोक रहे हैं.

2022 विधानसभा चुनाव में क्या थी स्थितिः 2022 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से अवधेश प्रसाद ने 103,905 वोट पाकर विधायक बने थे. अवधेश प्रसाद को 47.99 फीसदी वोट मिला था. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बाबा गोरखनाथ को 90,567, बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार मीरा देवी को 14,427, कांग्रेस प्रत्याशी नीलम कोरी को 3,166 वोट मिले थे. जबकि 1,960 ने नोटा विकल्प चुना था.

विधानसभा सीट का इतिहासः गौरतलब है कि मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए पहलीबार 1967 में चुनाव हुआ था. इस सीट से सबसे अधिक मित्रसेन यादव विधायक चुने गए हैं. मित्रसेन 4 बार कम्युनिष्ट पार्टी तो एक बार समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए हैं. जबकि कांग्रेस को इस सीट पर तीन बार सफलता मिली है. जबकि समाजवादी पार्टी के पांच विधायक चुने गए हैं. कम्युनिष्ट पार्टी के 4, भारतीय जनता पार्टी 2, बसपा और भारतीय जनसंघ पार्टी के खाते में 1-1 बार यह सीट गई है.

मतदाता और जातीय समीकरणः बता दें कि 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 340820 वोटर्स थे. जिनमें पुरुष 182430 और महिला मतदाता 158381थीं. जातीय समीकरण की बात करें तो ब्राह्मण, 60 हजार, यादव 55 हजार, पासी 55 हजार, मुस्लिम 30 हजार, ठाकुर 25 हजार, दलित 25 हजार, कोरी 20 हजार, चौरसिया 18 हजार, वैश्य 12 हजार, पाल 7 हजार, मौर्य पांच हजार और अन्य 28 हजार वोटर्स हैं.

इसे भी पढ़ें-यूपी विधानसभा उपचुनाव: सपा ने 6 सीटों पर बनाए प्रभारी, शिवपाल को बड़ी जिम्मेदारी, यहां देखें पूरी लिस्ट

लखनऊः उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा ने तैयारी शुरू कर दी है. उपचुनाव लड़ रही बसपा ने तो उम्मीदवार भी उतारने शुरू कर दिए हैं. अयोध्या के मिल्कीपुर (सुरक्षित) से समाजवादी पार्टी से विधायक अवधेश प्रसाद के सांसद बनने से यह सीट खाली हुई है. इस सीट पर 2017 विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी रहे रामगोपाल कोरी पर मायावती ने इस बार दांव लगाया है. वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव में अयोध्या से हार का बदला लेने के लिए मिल्कीपुर सीट को जिताने की जिम्मेदारी खुद ले ली है.

मिल्कीपुर विधानसभा सीट का इतिहास.
मिल्कीपुर विधानसभा सीट का इतिहास. (ETV Bharat Gfx)

सीएम ने खुद ली मिल्कीपुर की नैया पार लगाने की जिम्मेदारीः उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी के चुनावी मुद्दे में एजेंडे में राम मंदिर प्रमुख रहा. लोकसभा चुनाव के दौरान अयोध्या में राम मंदिर बनाने का प्रधानमंत्री पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ समेत सभी भाजपाई नेताओं ने श्रेय लिया. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के संरक्षक को रामभक्तों का हत्यारा बताया. भाजपा ने पूरे देश में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर अभियान चलाया और वाहवाही लूटी थी. लेकिन लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट से भाजपा हार गई. मिल्कीपुर से सपा विधायक अवधेश प्रसाद सांसद चुने गए. यही नहीं, अयोध्या के आसपास की भी सीटें भाजपा हार गई. अयोध्या सीट हारने से योगी सरकार को खूब फजीहत हुई. काफी दिनों तक हार की समीक्षा चली. अब इस हार का बदला लेने के लिए उपचुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर विधानसभा की जिम्मेदारी खुद ली है. सीएम योगी अयोध्या का दौरा नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के साथ ही अगली रणनीति बना रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी की भी पोल खोलकर जनता के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

अयोध्या रेप केस क्या भाजपा को देगा बूस्ट डोज? : माना जा रहा है कि अयोध्या में हार का बदला उपचुनाव में लेने के लिए नाबालिग बच्ची का मुद्दा सीएम योगी ने विधानसभा में जोर शोर उठाया था. अयोध्या रेप केस में सपा नेता मोइद खान का नाम सामने आने के बाद लगातार सपा पर हमलावर हैं. इसके साथ ही मामले में आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जा रही हैं. वहीं, पीड़िता और उसके परिजनों को पूरी मदद कर सीएम योगी जनता को खास संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अयोध्या रेप कांड उपचुनाव में भाजपा के लिए बूस्टर साबित हो सकता है. क्योंकि भाजपा को सपा की कमजोर कड़ी मिल गई है.

क्या अवधेश सपा के फिर बनेंगे तारनहार? : मिल्कीपुर विधायक से रहते हुए अयोध्या के सांसद चुनकर अवधेश प्रसाद ने भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त दी थी. अवेधश प्रसाद की जीत का चर्चा देश में हुई थी. अखिलेश यादव और सपा नेता भी अयोध्या से अवधेश प्रसाद की जीत को एक बड़ी सफलता माना था. समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य अवधेश प्रसाद 9 बार विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में छह बार मंत्री रहे हैं. लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उपचुनाव की जिम्मेदारी अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद को दी है. समाजवादी पार्टी ने सांसद अवधेश प्रसाद को चुनाव प्रभारी बनाया है. एसे में उपचुनाव में सीएम योगी और अवधेश प्रसाद आमने-सामने होंगे. अवधेश प्रसाद अपनी साख बचाने और भाजपा को पटखनी देने के लिए रणनीति बनाने में लगे हैं. अब देखना होगा कि अवधेश प्रसाद क्या इस बार भी सपा की नैया पार लगा पाएंगे या नहीं.

सापा और भाजपा से कौन-कौन दावेदार : विधायक से सांसद बने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत को सपा के टिकट का सबसे अधिक दावेदार बताया जा रहा है। अजीत की उम्मीदवारी की घोषणा सपा के जिलाध्यक्ष पारसनाथ यादव ने कुछ दिन पहले कर चुके हैं. हालांकि समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लेकर कोई बयान अभी तक नहीं आया है. वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व विधायक और 2022 के चुनाव में प्रत्याशी रहे गोरखनाथ के अलावा भी कई दावेदारों के नाम सामने आयै हैं. इनमें से पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी, नीरज कन्नौजिया और काशीराम रावत दावा ठोक रहे हैं.

2022 विधानसभा चुनाव में क्या थी स्थितिः 2022 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से अवधेश प्रसाद ने 103,905 वोट पाकर विधायक बने थे. अवधेश प्रसाद को 47.99 फीसदी वोट मिला था. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बाबा गोरखनाथ को 90,567, बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार मीरा देवी को 14,427, कांग्रेस प्रत्याशी नीलम कोरी को 3,166 वोट मिले थे. जबकि 1,960 ने नोटा विकल्प चुना था.

विधानसभा सीट का इतिहासः गौरतलब है कि मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए पहलीबार 1967 में चुनाव हुआ था. इस सीट से सबसे अधिक मित्रसेन यादव विधायक चुने गए हैं. मित्रसेन 4 बार कम्युनिष्ट पार्टी तो एक बार समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए हैं. जबकि कांग्रेस को इस सीट पर तीन बार सफलता मिली है. जबकि समाजवादी पार्टी के पांच विधायक चुने गए हैं. कम्युनिष्ट पार्टी के 4, भारतीय जनता पार्टी 2, बसपा और भारतीय जनसंघ पार्टी के खाते में 1-1 बार यह सीट गई है.

मतदाता और जातीय समीकरणः बता दें कि 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 340820 वोटर्स थे. जिनमें पुरुष 182430 और महिला मतदाता 158381थीं. जातीय समीकरण की बात करें तो ब्राह्मण, 60 हजार, यादव 55 हजार, पासी 55 हजार, मुस्लिम 30 हजार, ठाकुर 25 हजार, दलित 25 हजार, कोरी 20 हजार, चौरसिया 18 हजार, वैश्य 12 हजार, पाल 7 हजार, मौर्य पांच हजार और अन्य 28 हजार वोटर्स हैं.

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Last Updated : Aug 21, 2024, 12:05 PM IST
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