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सबसे ज्यादा वोट लेकर भी चुनाव नहीं जीत सकता NOTA, 2019 में हिमाचल के 33 हजार वोटरों ने ठुकराए थे सभी प्रत्याशी - NOTA cant win Election

What is NOTA: इस बार भी ईवीएम में एक नोटा का बटन अंकित रहेगा. जिन मतदाताओं को कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं होगा, वो वोटर नोटा को विकल्प के रूप में चुन सकते हैं. हालांकि अगर नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो उस स्थिति में भी नोटा चुनाव नहीं जीत सकता है. ऐसे में नोटा से दूसरे नंबर के प्रत्याशी को विजय घोषित किया जाता है.

What is NOTA
क्या चुनाव में ज्यादा वोट मिलने पर जीत सकता है नोटा? (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 17, 2024, 11:00 AM IST

Updated : May 17, 2024, 12:21 PM IST

शिमला: हिमाचल में 1 जून को लोकसभा की चार और विधानसभा की छह सीटों पर उपचुनाव होना है. जिसके लिए 17 मई को नामांकन वापसी की समय सीमा समाप्त होते ही चुनाव चिन्ह भी आवंटित किए जाएंगे. चुनाव आयोग की व्यवस्था के तहत प्रत्येक ईवीएम में हर बटन के सामने प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह अंकित होगा. वहीं, प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह के साथ ही ईवीएम में एक नोटा का बटन भी अंकित रहेगा. ऐसे में मतदाताओं के मन में सवाल उठ रहा होगा कि नोटा को प्रत्याशियों से अधिक वोट पर मिलने पर क्या होगा? तो इसका जवाब है कि सबसे ज्यादा वोट मिलने पर भी नोटा चुनाव नहीं जीत सकता है. निर्वाचन विभाग के मुताबिक इस स्थिति में नोटा के बाद दूसरे नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी को विजय घोषित किया जाता है.

क्या होता है NOTA?

चुनाव में अगर मतदाताओं को किसी भी राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार पसंद न हो तो इस स्थिति में वोटर के पास ईवीएम में नोटा का विकल्प मौजूद रहता है. नोटा का मतलब होता है 'नन ऑफ द एबव' यानी इनमें से कोई भी नहीं है. इस तरह से चुनाव के दौरान वोटरों के पास अब एक विकल्प इनमें से कोई नहीं का बटन दबाने का भी होता है. यह विकल्प नोटा के तौर पर उपलब्ध होता है. नोटा बटन को दबाने का मतलब है कि मतदाता को चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट में से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है.

हिमाचल में कब आया था NOTA का विकल्प?

बता दें कि भारतीय निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे. वहीं, हिमाचल में पहली बार वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में ईवीएम पर मतदाताओं ने नोटा बटन को प्रयोग में लाया था. गौरतलब है कि गिनती के समय नोटा पर डाले गए वोट को भी गिना जाता है. इस दौरान कितने मतदाताओं ने नोटा में वोट किया, इसका भी आकलन किया जाता है.

2019 में हिमाचल में 33 हजार ने दबाया था NOTA

देश में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हिमाचल में हजारों मतदाताओं ने सभी प्रत्याशियों को ठुकराया था. उस दौरान चारों लोकसभा सीटों पर 33,008 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. जिसमें सबसे अधिक कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में 11,327 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. इसी तरह से दूसरे नंबर पर शिमला संसदीय सीट पर 8,357 मतदाताओं ने नोटा पर अपनी मुहर लगाई थी. हमीरपुर संसदीय सीट पर भी हजारों वोटरों को चुनाव में कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं आया था, इस सीट पर भी 8,026 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. वहीं, मंडी संसदीय क्षेत्र में भी कई मतदाताओं ने राइट टू रिजेक्ट के तहत नोटा को ही विकल्प के तहत चुना था.

2019 में देशभर के लाखों वोटरों को नहीं पसंद आया कोई भी प्रत्याशी

2019 के लोकसभा चुनाव में देशभर के लाखों मतदाताओं ने सभी प्रत्याशियों को नापसंद करते हुए नोटा का विकल्प चुना था. 2019 के आम चुनावों में नोटा का प्रतिशत 1.06 प्रतिशत रहा था. देशभर के 6.52 मिलियन लोगों ने सभी उम्मीदवारों को ठुकराते हुए नोटा का बटन दबाया था. जिसमें से 22 हजार 272 नोटा के वोट डाक मतपत्र थे. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में मेघालय में वोटरों द्वारा सबसे ज्यादा नोटा को वोट डाले गए थे.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में नामांकन वापसी का अंतिम दिन, चुनावी रण में उतरेंगे कितने उम्मीदवार, 3 बजे के बाद होगी तस्वीर साफ

ये भी पढ़ें: आजाद चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री रामलाल मारकंडा और राकेश चौधरी पर BJP की कार्रवाई , 6 साल के लिए किया निष्कासित

शिमला: हिमाचल में 1 जून को लोकसभा की चार और विधानसभा की छह सीटों पर उपचुनाव होना है. जिसके लिए 17 मई को नामांकन वापसी की समय सीमा समाप्त होते ही चुनाव चिन्ह भी आवंटित किए जाएंगे. चुनाव आयोग की व्यवस्था के तहत प्रत्येक ईवीएम में हर बटन के सामने प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह अंकित होगा. वहीं, प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह के साथ ही ईवीएम में एक नोटा का बटन भी अंकित रहेगा. ऐसे में मतदाताओं के मन में सवाल उठ रहा होगा कि नोटा को प्रत्याशियों से अधिक वोट पर मिलने पर क्या होगा? तो इसका जवाब है कि सबसे ज्यादा वोट मिलने पर भी नोटा चुनाव नहीं जीत सकता है. निर्वाचन विभाग के मुताबिक इस स्थिति में नोटा के बाद दूसरे नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी को विजय घोषित किया जाता है.

क्या होता है NOTA?

चुनाव में अगर मतदाताओं को किसी भी राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार पसंद न हो तो इस स्थिति में वोटर के पास ईवीएम में नोटा का विकल्प मौजूद रहता है. नोटा का मतलब होता है 'नन ऑफ द एबव' यानी इनमें से कोई भी नहीं है. इस तरह से चुनाव के दौरान वोटरों के पास अब एक विकल्प इनमें से कोई नहीं का बटन दबाने का भी होता है. यह विकल्प नोटा के तौर पर उपलब्ध होता है. नोटा बटन को दबाने का मतलब है कि मतदाता को चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट में से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है.

हिमाचल में कब आया था NOTA का विकल्प?

बता दें कि भारतीय निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे. वहीं, हिमाचल में पहली बार वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में ईवीएम पर मतदाताओं ने नोटा बटन को प्रयोग में लाया था. गौरतलब है कि गिनती के समय नोटा पर डाले गए वोट को भी गिना जाता है. इस दौरान कितने मतदाताओं ने नोटा में वोट किया, इसका भी आकलन किया जाता है.

2019 में हिमाचल में 33 हजार ने दबाया था NOTA

देश में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हिमाचल में हजारों मतदाताओं ने सभी प्रत्याशियों को ठुकराया था. उस दौरान चारों लोकसभा सीटों पर 33,008 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. जिसमें सबसे अधिक कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में 11,327 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. इसी तरह से दूसरे नंबर पर शिमला संसदीय सीट पर 8,357 मतदाताओं ने नोटा पर अपनी मुहर लगाई थी. हमीरपुर संसदीय सीट पर भी हजारों वोटरों को चुनाव में कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं आया था, इस सीट पर भी 8,026 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. वहीं, मंडी संसदीय क्षेत्र में भी कई मतदाताओं ने राइट टू रिजेक्ट के तहत नोटा को ही विकल्प के तहत चुना था.

2019 में देशभर के लाखों वोटरों को नहीं पसंद आया कोई भी प्रत्याशी

2019 के लोकसभा चुनाव में देशभर के लाखों मतदाताओं ने सभी प्रत्याशियों को नापसंद करते हुए नोटा का विकल्प चुना था. 2019 के आम चुनावों में नोटा का प्रतिशत 1.06 प्रतिशत रहा था. देशभर के 6.52 मिलियन लोगों ने सभी उम्मीदवारों को ठुकराते हुए नोटा का बटन दबाया था. जिसमें से 22 हजार 272 नोटा के वोट डाक मतपत्र थे. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में मेघालय में वोटरों द्वारा सबसे ज्यादा नोटा को वोट डाले गए थे.

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Last Updated : May 17, 2024, 12:21 PM IST
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