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कल से शुरू होंगे गुप्त नवरात्रि, जानें शारदीय और चैत्र नवरात्रि से कैसे हैं अलग? - GUPT NAVRATRI 2025

30 जनवरी से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. यह नवरात्रि 9 दिनों तक आयोजित होंगे. जानें क्या है गुप्त नवरात्रि का महत्व...

गुप्त नवरात्रि 2025
गुप्त नवरात्रि 2025 (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 29, 2025, 4:46 PM IST

कुल्लू: सनातन धर्म में देवी दुर्गा का प्रमुख स्थान है और माता दुर्गा की कृपा पाने के लिए भक्तों के द्वारा मंत्र जाप व कई प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं. ऐसे में नवरात्रि में भक्तों के द्वारा विभिन्न प्रकार से माता की पूजा अर्चना की जाती है ताकि उन्हें माता का आशीर्वाद मिल सके. 30 जनवरी से माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 9 दिनों तक गुप्त नवरात्रि का आयोजन होगा. ऐसे में भक्त 30 जनवरी से गुप्त नवरात्रि के दौरान माता का अनुष्ठान कर सकते हैं.

साल में चार बार आयोजित होते हैं नवरात्रि

आचार्य विजय कुमार के मुताबिक साल में चार बार नवरात्रि का आयोजन होता है. ऐसे में चैत्र मास और आश्विन मास में जहां नवरात्रि मनाई जाती है. वहीं, माघ मास और आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि का आयोजन होता है. माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगी और प्रतिपदा तिथि का समापन 30 जनवरी शाम 4 बजकर 10 मिनट पर होगा इसलिए 30 जनवरी को गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी. वहीं गुप्त नवरात्रि का समापन शुक्रवार 7 फरवरी को किया जाएगा.

30 जनवरी को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा और यह मुहूर्त सुबह 10 बजकर 46 मिनट पर खत्म हो जाएगा. भक्त इस दौरान कलश स्थापना कर सकते हैं. इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगा और 12 बजकर 56 मिनट पर खत्म हो जाएगा. इस मुहूर्त में भक्त 43 मिनट तक कलश स्थापित कर सकते हैं.

गुप्त नवरात्रि में होती है तांत्रिक पूजा

आचार्य विजय कुमार ने बताया "सामान्य नवरात्रि के अवसर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों की जाती हैं लेकिन गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा की जाती है ताकि भक्तों का कल्याण हो सके. गुप्त नवरात्रि का भक्तों के द्वारा ज्यादा प्रचार नहीं किया जाता. भक्त अपनी साधना को गोपनीय रखते हैं. शास्त्रों के मुताबिक गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी उसका उतना ही फल मिलेगा."

ये है पौराणिक कथा

आचार्य विजय कुमार ने बताया पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार ऋषि श्रृंगी भक्तों को प्रवचन दे रहे थे. इस दौरान एक महिला आई और उसने ऋषि श्रृंगी से प्रार्थना की. महिला ने कहा कि उसके पति बुरे कामों में सारा दिन लगे रहते हैं. वह पूजा और दान नहीं करते. ऐसे में ऋषि श्रृंगी ने महिला को बताया कि अगर वह गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करें और 10 महाविद्याओं का ध्यान करें तो माता का आशीर्वाद मिलेगा. ऐसे में पति और पत्नी दोंनों का जीवन सुधर जाएगा. ऋषि श्रृंगी की बात को सुनकर महिला ने गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा अर्चना की. माता के आशीर्वाद से उसके जीवन में फिर से खुशहाली आ गई.

ऐसे करें गुप्त नवरात्रि में पूजा

आचार्य विजय कुमार ने बताया गुप्त नवरात्रि में भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और अपने पूजा स्थल को साफ करना चाहिए. इसके बाद देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए और शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करनी चाहिए. वहीं, माता की मूर्ति के आगे देशी घी का दीपक जलाना चाहिए और मां को सिंदूर अर्पित करना चाहिए.

इसके बाद मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करनी चाहिए. गुप्त नवरात्रि के दौरान भक्त को दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए और अखंड ज्योति जलानी चाहिए. इस दौरान भक्त को व्रत रखना चाहिए और फलाहार करना चाहिए. इसके अलावा गरीबों को दान-पुण्य करना चाहिए. भक्तों को अपनी मनोकामना को लेकर देवी मां की अराधना करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में बारात लेकर दुल्हन लेने पहुंचा दूल्हा, नहीं मिली लाड़ी हो गई जग हंसाई, जानें क्या है मामला

ये भी पढ़ें: केरल और असम से हिमाचल पहुंची 5 हजार पौधों की डिमांड, 320 रुपये प्रति किलो बिक रहा ये फल

कुल्लू: सनातन धर्म में देवी दुर्गा का प्रमुख स्थान है और माता दुर्गा की कृपा पाने के लिए भक्तों के द्वारा मंत्र जाप व कई प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं. ऐसे में नवरात्रि में भक्तों के द्वारा विभिन्न प्रकार से माता की पूजा अर्चना की जाती है ताकि उन्हें माता का आशीर्वाद मिल सके. 30 जनवरी से माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 9 दिनों तक गुप्त नवरात्रि का आयोजन होगा. ऐसे में भक्त 30 जनवरी से गुप्त नवरात्रि के दौरान माता का अनुष्ठान कर सकते हैं.

साल में चार बार आयोजित होते हैं नवरात्रि

आचार्य विजय कुमार के मुताबिक साल में चार बार नवरात्रि का आयोजन होता है. ऐसे में चैत्र मास और आश्विन मास में जहां नवरात्रि मनाई जाती है. वहीं, माघ मास और आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि का आयोजन होता है. माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगी और प्रतिपदा तिथि का समापन 30 जनवरी शाम 4 बजकर 10 मिनट पर होगा इसलिए 30 जनवरी को गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी. वहीं गुप्त नवरात्रि का समापन शुक्रवार 7 फरवरी को किया जाएगा.

30 जनवरी को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा और यह मुहूर्त सुबह 10 बजकर 46 मिनट पर खत्म हो जाएगा. भक्त इस दौरान कलश स्थापना कर सकते हैं. इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगा और 12 बजकर 56 मिनट पर खत्म हो जाएगा. इस मुहूर्त में भक्त 43 मिनट तक कलश स्थापित कर सकते हैं.

गुप्त नवरात्रि में होती है तांत्रिक पूजा

आचार्य विजय कुमार ने बताया "सामान्य नवरात्रि के अवसर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों की जाती हैं लेकिन गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा की जाती है ताकि भक्तों का कल्याण हो सके. गुप्त नवरात्रि का भक्तों के द्वारा ज्यादा प्रचार नहीं किया जाता. भक्त अपनी साधना को गोपनीय रखते हैं. शास्त्रों के मुताबिक गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी उसका उतना ही फल मिलेगा."

ये है पौराणिक कथा

आचार्य विजय कुमार ने बताया पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार ऋषि श्रृंगी भक्तों को प्रवचन दे रहे थे. इस दौरान एक महिला आई और उसने ऋषि श्रृंगी से प्रार्थना की. महिला ने कहा कि उसके पति बुरे कामों में सारा दिन लगे रहते हैं. वह पूजा और दान नहीं करते. ऐसे में ऋषि श्रृंगी ने महिला को बताया कि अगर वह गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करें और 10 महाविद्याओं का ध्यान करें तो माता का आशीर्वाद मिलेगा. ऐसे में पति और पत्नी दोंनों का जीवन सुधर जाएगा. ऋषि श्रृंगी की बात को सुनकर महिला ने गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा अर्चना की. माता के आशीर्वाद से उसके जीवन में फिर से खुशहाली आ गई.

ऐसे करें गुप्त नवरात्रि में पूजा

आचार्य विजय कुमार ने बताया गुप्त नवरात्रि में भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और अपने पूजा स्थल को साफ करना चाहिए. इसके बाद देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए और शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करनी चाहिए. वहीं, माता की मूर्ति के आगे देशी घी का दीपक जलाना चाहिए और मां को सिंदूर अर्पित करना चाहिए.

इसके बाद मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करनी चाहिए. गुप्त नवरात्रि के दौरान भक्त को दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए और अखंड ज्योति जलानी चाहिए. इस दौरान भक्त को व्रत रखना चाहिए और फलाहार करना चाहिए. इसके अलावा गरीबों को दान-पुण्य करना चाहिए. भक्तों को अपनी मनोकामना को लेकर देवी मां की अराधना करनी चाहिए.

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