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क्या है डिजिटल अरेस्ट? जिसके जरिए साइबर ठगों ने IAS और महिला डॉक्टर को लूटा - DIGITAL ARREST - DIGITAL ARREST

इन दिनों डिजिटल अरेस्ट करने का मामला तेजी से सामने आ रहे हैं. साइबर ठग आईएएस और डॉक्टर सहित आम लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर लाखों और करोड़ों रुपये हड़प लिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है डिजिटल अरेस्ट और इससे कैसे बचें?

क्या है डिजिटल अरेस्ट
क्या है डिजिटल अरेस्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 15, 2024, 6:11 AM IST

लखनऊ: हाउस अरेस्ट और पुलिस अरेस्ट तो आपने जरूर सुना होगा. लेकिन अब साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट का खेल शुरू कर दिया है. राजधानी लखनऊ में हाल ही में आईएएस, सीबीआई अफसर और महिला डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर लाखों रुपये ठग लिए. अब सवाल उठता है कि डिजिटल अरेस्ट क्या होता है और इससे कैसे बच सकते हैं.

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
कानूनी तौर पर डिजिटल अरेस्ट कोई शब्द नहीं है. बल्कि साइबर अपराधियों के ठगी करने का नया तरीका है. साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे बताते हैं कि साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा हथियार डर और लालच होता है. साइबर अपराधी डराकर या लालच देकर वीडियो कॉल पर जोड़ लेते हैं. हफ्तों या कुछ घंटे तक आपको डर या लालच दिखाकर कैमरे के सामने रखते हैं. कई केसों में तो साइबर ठगों ने अपने शिकार को तो सोने नहीं देते. जालसाज डर या किसी न किसी बहाने तब तक वीडियो कॉल पर जोड़े रखते हैं, जब तक आप उनकी डिमांड पूरी करते रहते हैं. साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि जालसाज ऐसे लोगों को टारगेट कर रहे है, जो रिटायर्ड है या फिर मौजूदा बड़े अफसर या डॉक्टर इंजीनियर होते हैं. इसके पीछे की वजह होती है कि इनके बैंक में काफी पैसा होता है. दूसरा इनकी जिंदगी इतनी लंबी होती है कि उनके दस्तावेज कहां-कहां इस्तमाल हुए हो उन्हें भी याद नहीं रहता है.

फर्जी पुलिस स्टेशन बनाकर बैठे रहते हैं जालसाजः इसके बाद जालसाज पुलिस, सीबीआई और ईडी कार्यालय कर्मचारी बताकर फोन करके कहते हैं कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधि के लिए हुआ है. इसके अलावा पार्सल में ड्रग्स और बेटे या रिश्तेदार की गंभीर मामले में फंसे होने की बात कहकर गिरफ्तारी का डर दिखाते हैं. इस दौरान कथित बड़े अधिकारियों से बात कराते हुए सेटलमेंट की बात करते हैं. जब पीड़ित डर जाता है तो जालसाज वीडियो कॉल पर जुड़ने के लिए कहते हैं. मना करने पर घर पुलिस भेजने की बात करते हैं. जब पीड़ित व्यक्ति वीडियो कॉल पर जुड़ जाता है तो पहले से तैयार थाने के सेटअप में बैठे कथित एसपी, दारोगा, नारकोटिक्स और सीबीआई जैसे अधिकारियों से बात कराते हैं.


ज्यादा पैसे कमाने के लिए खोली जा रही लोकल यूनिट
साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा ने बताया कि अब तक साइबर पुलिस ठगी के शिकार लोगों के पैसे ही रिकवर कर पाती थी. वह भी तब जब ठगी की सूचना 72 घंटे के अंदर दी जाती थी. लेकिन अब बड़े स्तर पर गिरफ्तारियां भी हो रही हैं. इसकी वजह साइबर अपराध करने वाले गैंग का ज्यादा पैसे कमाने का लालच है. पहले जालसाज सुदूर इलाकों में बैठ कर ठगी करते थे, ऐसे में जांच एजेंसियों के रडार पर नहीं आते थे. लेकिन, अब इन्होंने अपनी लोकल यूनिट खोल दी है और वहीं आस पास के जिलों के लोगों की भर्ती कर रहे है. जो डिजिटल अरेस्ट कर आसानी से किसी को भी ठग ले रहे है. क्योंकि इनके पास सम्बन्धित व्यक्ति की हर जानकारियां होती है.

यूपी के हर जिले में है ठगः साइबर सेल के शिशिर यादव बताते हैं कि बीते कुछ केस की स्टडी करने पर सामने आया है कि डिजिटल अरेस्ट के जरिए फ्रॉड करने वाले गैंग ने अपनी कार्यशैली में बदलाव किया है. पहले इस तरह का फ्रॉड नाइजीरिया गैंग दिल्ली से करता था. अब यहीं के गैंग देश में रहकर या फिर देश के बाहर से इन वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन, अब जो अधिकांश ठगी हो रही है. इन ठगों के पास लोकल स्तर की भी जानकारियां होती हैं. लिहाजा साइबर पुलिस को कुछ सफलताएं भी मिली है और तीन मामलों में गिरफ्तारियां भी की है. ये ठग जहां ठगी करते है उन्हीं के आस पास के इलाकों में ही रहते थे.


डाटा खरीद कर करते हैं रेकीः लखनऊ एसीपी साइबर अभिनव ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग का नेटवर्क काफी बड़ा है. ये दलालों के माध्यम से रिटायर्ड अफसर, शिक्षक, डॉक्टर का डाटा खरीदते हैं. बैंक की डिटेल लेकर लोगों को फोन करते हैं और इसकी जानकारी देते हैं. बाकायदा उनकी एफडी और खाते में जमा रकम की जानकारी दी जाती है. यही नहीं, टारगेट से बातचीत के दौरान उनके ही जिले से आईपीएस अफसर का नाम भी यूज किया जाता है. जिससे लोग इनके विश्वास में पूरी तरह आ जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं.

डिजिटल अरेस्ट होने से कैसे बचें?

साइबर सेल प्रभारी सतीश साहू कहते हैं कि साइबर जालसाज शिकार के उसी नंबर पर कॉल करते हैं, जो उसने सोशल मीडिया पर दिया होता है. इस तरह की ठगी राजधानी में अब तक दो दर्जन लोगों से हो चुकी है. उन्होंने बताया कि सीबीआई अफसर बताकर की जाने वाली कॉल आने पर जिस अधिकारी का नाम लिया जा रहा है, उसके नंबर की जांच अपने खुद से करें. लोकल थाने और साइबर सेल की मदद भी की जा सकती हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस कभी कॉल करके नहीं बताती है कि आपको गिरफ्तार किया जा रहा है. इतना ही नहीं डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई चीज ही नहीं है. ऐसी कॉल आने पर तत्काल 1930 पर कॉल करें और नजदीकी थाने या साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराएं.

फर्जी CBI इंस्पेक्टर ने IAS को किया डिजिटल अरेस्ट; समन की फर्जी कॉपी भेजी, दो बार में ट्रांसफर कराए 4 लाख रुपये

IAS अफसर शिव प्रसाद से 4 लाख ठगे थेः एससीएसटी निगम में MD व 2012 बैच के IAS अफसर शिव प्रसाद लखनऊ के आशियाना इलाके में रहते हैं. दो अगस्त को उनके पास कॉल आई और खुद को सीबीआई का अफसर बताने वाले व्यक्ति ने उनसे कहा कि उनकी आईडी व पते से विदेश भेजी जा रही अवैध सामग्री पकड़ी गई है. उसने कहा कि उनके नाम से समन जारी हुआ है. यह कहते हुए साइबर जालसाजों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया. दो दिनों तक उन्हें अरेस्ट रखा और दो बार में 4 लाख रुपए अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए.


लखनऊ पीजीआई की लेडी डॉक्टर को 6 दिनों तक किया डिजिटल अरेस्ट; 2 करोड़ 81 लाख रुपये ठगे

महिला डॉक्टर को 6 दिन तक रखा डिजिटल अरेस्टः पीजीआई की महिला डॉक्टर को बीते हफ्ते खुद को ट्राई की अधिकारी बताने वाली महिला का कॉल आया. उन्होंने बताया कि उनके नंबर पर 22 शिकायते दर्ज हैं. इतना ही नहीं उनसे सीबीआई के अफसर भी बात करना चाहते है, इसके लिए वह स्काइप डाऊनलोड कर लें. डॉक्टर ने स्काइप डाऊनलोड किया और फिर सीबीआई अफसर से वीडियो कॉल पर बात की. अफसर ने डॉक्टर को बताया कि उनका नाम राम नरेश मनी लांड्रिंग केस में आया है. साथ ही उनका बैंक अकाउंट का इस्तमाल चाइल्ड और वूमेन ट्रैफिकिंग के लिए किया गया है. डॉक्टर डर गई और उन्होंने सीबीआई अफसर को एक फॉर्म पर अपनी चल अचल संपत्ति की पूरी डिटेल दे दी. जालसाजों ने महिला डॉक्टर को 6 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा और अलग अलग पांच बैंक अकाउंट में 2 करोड़ 81 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए.


शिल्पा शेट्टी के पति के नाम पर की ठगीः लखनऊ के रहने वाले अखिलेश्वर कुमार सिंह के पास वाट्सएप काल आई और कॉलर ने खुद को सीबीआई अफसर आकाश कुलहरी (जो वर्तमान में लखनऊ में जॉइंट सीपी क्राइम है) बताया. कॉलर ने बताया कि राज कुंदरा (अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति) मनी लान्ड्रिंग में दोषी है, उसमें उनका भी नाम है. ऐसे में अब उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. कॉलर ने केस से संबंधित सभी दस्तावेज उन्हें भेजे और कहा कि यदि बचना है तो पीएनबी बैंक में आपकी जो 28.5 लाख की FD है, उसे तुड़वा कर रकम भेज दो. अखिलेश्वर सिंह ने बिना वेरिफाई किए बैंक जाकर एफडी तुड़वाई और पूरा पैसा कॉलर द्वारा बताए गए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया. इसके बाद दूसरे दिन कॉल आई और फिर उनसे कहा गया कि सीबीआई बैंक में जो आपकी 16 लाख की FD है, उसे भी तोड़ कर पैसे ट्रांसफर करो. अखिलेश्वर ने यह भी रकम भेज थी. जब बार बार रकम मांगने के लिए कॉल आती रही तो पीड़ित ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई.

इसे भी पढ़ें-साइबर जालसाजों ने डॉक्टर दंपति को किया डिजिटल अरेस्ट, मनी लॉन्ड्रिंग केस का डर दिखा ठगे 2 करोड़ 71 लाख रुपये


लखनऊ: हाउस अरेस्ट और पुलिस अरेस्ट तो आपने जरूर सुना होगा. लेकिन अब साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट का खेल शुरू कर दिया है. राजधानी लखनऊ में हाल ही में आईएएस, सीबीआई अफसर और महिला डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर लाखों रुपये ठग लिए. अब सवाल उठता है कि डिजिटल अरेस्ट क्या होता है और इससे कैसे बच सकते हैं.

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
कानूनी तौर पर डिजिटल अरेस्ट कोई शब्द नहीं है. बल्कि साइबर अपराधियों के ठगी करने का नया तरीका है. साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे बताते हैं कि साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा हथियार डर और लालच होता है. साइबर अपराधी डराकर या लालच देकर वीडियो कॉल पर जोड़ लेते हैं. हफ्तों या कुछ घंटे तक आपको डर या लालच दिखाकर कैमरे के सामने रखते हैं. कई केसों में तो साइबर ठगों ने अपने शिकार को तो सोने नहीं देते. जालसाज डर या किसी न किसी बहाने तब तक वीडियो कॉल पर जोड़े रखते हैं, जब तक आप उनकी डिमांड पूरी करते रहते हैं. साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि जालसाज ऐसे लोगों को टारगेट कर रहे है, जो रिटायर्ड है या फिर मौजूदा बड़े अफसर या डॉक्टर इंजीनियर होते हैं. इसके पीछे की वजह होती है कि इनके बैंक में काफी पैसा होता है. दूसरा इनकी जिंदगी इतनी लंबी होती है कि उनके दस्तावेज कहां-कहां इस्तमाल हुए हो उन्हें भी याद नहीं रहता है.

फर्जी पुलिस स्टेशन बनाकर बैठे रहते हैं जालसाजः इसके बाद जालसाज पुलिस, सीबीआई और ईडी कार्यालय कर्मचारी बताकर फोन करके कहते हैं कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधि के लिए हुआ है. इसके अलावा पार्सल में ड्रग्स और बेटे या रिश्तेदार की गंभीर मामले में फंसे होने की बात कहकर गिरफ्तारी का डर दिखाते हैं. इस दौरान कथित बड़े अधिकारियों से बात कराते हुए सेटलमेंट की बात करते हैं. जब पीड़ित डर जाता है तो जालसाज वीडियो कॉल पर जुड़ने के लिए कहते हैं. मना करने पर घर पुलिस भेजने की बात करते हैं. जब पीड़ित व्यक्ति वीडियो कॉल पर जुड़ जाता है तो पहले से तैयार थाने के सेटअप में बैठे कथित एसपी, दारोगा, नारकोटिक्स और सीबीआई जैसे अधिकारियों से बात कराते हैं.


ज्यादा पैसे कमाने के लिए खोली जा रही लोकल यूनिट
साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा ने बताया कि अब तक साइबर पुलिस ठगी के शिकार लोगों के पैसे ही रिकवर कर पाती थी. वह भी तब जब ठगी की सूचना 72 घंटे के अंदर दी जाती थी. लेकिन अब बड़े स्तर पर गिरफ्तारियां भी हो रही हैं. इसकी वजह साइबर अपराध करने वाले गैंग का ज्यादा पैसे कमाने का लालच है. पहले जालसाज सुदूर इलाकों में बैठ कर ठगी करते थे, ऐसे में जांच एजेंसियों के रडार पर नहीं आते थे. लेकिन, अब इन्होंने अपनी लोकल यूनिट खोल दी है और वहीं आस पास के जिलों के लोगों की भर्ती कर रहे है. जो डिजिटल अरेस्ट कर आसानी से किसी को भी ठग ले रहे है. क्योंकि इनके पास सम्बन्धित व्यक्ति की हर जानकारियां होती है.

यूपी के हर जिले में है ठगः साइबर सेल के शिशिर यादव बताते हैं कि बीते कुछ केस की स्टडी करने पर सामने आया है कि डिजिटल अरेस्ट के जरिए फ्रॉड करने वाले गैंग ने अपनी कार्यशैली में बदलाव किया है. पहले इस तरह का फ्रॉड नाइजीरिया गैंग दिल्ली से करता था. अब यहीं के गैंग देश में रहकर या फिर देश के बाहर से इन वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन, अब जो अधिकांश ठगी हो रही है. इन ठगों के पास लोकल स्तर की भी जानकारियां होती हैं. लिहाजा साइबर पुलिस को कुछ सफलताएं भी मिली है और तीन मामलों में गिरफ्तारियां भी की है. ये ठग जहां ठगी करते है उन्हीं के आस पास के इलाकों में ही रहते थे.


डाटा खरीद कर करते हैं रेकीः लखनऊ एसीपी साइबर अभिनव ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग का नेटवर्क काफी बड़ा है. ये दलालों के माध्यम से रिटायर्ड अफसर, शिक्षक, डॉक्टर का डाटा खरीदते हैं. बैंक की डिटेल लेकर लोगों को फोन करते हैं और इसकी जानकारी देते हैं. बाकायदा उनकी एफडी और खाते में जमा रकम की जानकारी दी जाती है. यही नहीं, टारगेट से बातचीत के दौरान उनके ही जिले से आईपीएस अफसर का नाम भी यूज किया जाता है. जिससे लोग इनके विश्वास में पूरी तरह आ जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं.

डिजिटल अरेस्ट होने से कैसे बचें?

साइबर सेल प्रभारी सतीश साहू कहते हैं कि साइबर जालसाज शिकार के उसी नंबर पर कॉल करते हैं, जो उसने सोशल मीडिया पर दिया होता है. इस तरह की ठगी राजधानी में अब तक दो दर्जन लोगों से हो चुकी है. उन्होंने बताया कि सीबीआई अफसर बताकर की जाने वाली कॉल आने पर जिस अधिकारी का नाम लिया जा रहा है, उसके नंबर की जांच अपने खुद से करें. लोकल थाने और साइबर सेल की मदद भी की जा सकती हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस कभी कॉल करके नहीं बताती है कि आपको गिरफ्तार किया जा रहा है. इतना ही नहीं डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई चीज ही नहीं है. ऐसी कॉल आने पर तत्काल 1930 पर कॉल करें और नजदीकी थाने या साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराएं.

फर्जी CBI इंस्पेक्टर ने IAS को किया डिजिटल अरेस्ट; समन की फर्जी कॉपी भेजी, दो बार में ट्रांसफर कराए 4 लाख रुपये

IAS अफसर शिव प्रसाद से 4 लाख ठगे थेः एससीएसटी निगम में MD व 2012 बैच के IAS अफसर शिव प्रसाद लखनऊ के आशियाना इलाके में रहते हैं. दो अगस्त को उनके पास कॉल आई और खुद को सीबीआई का अफसर बताने वाले व्यक्ति ने उनसे कहा कि उनकी आईडी व पते से विदेश भेजी जा रही अवैध सामग्री पकड़ी गई है. उसने कहा कि उनके नाम से समन जारी हुआ है. यह कहते हुए साइबर जालसाजों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया. दो दिनों तक उन्हें अरेस्ट रखा और दो बार में 4 लाख रुपए अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए.


लखनऊ पीजीआई की लेडी डॉक्टर को 6 दिनों तक किया डिजिटल अरेस्ट; 2 करोड़ 81 लाख रुपये ठगे

महिला डॉक्टर को 6 दिन तक रखा डिजिटल अरेस्टः पीजीआई की महिला डॉक्टर को बीते हफ्ते खुद को ट्राई की अधिकारी बताने वाली महिला का कॉल आया. उन्होंने बताया कि उनके नंबर पर 22 शिकायते दर्ज हैं. इतना ही नहीं उनसे सीबीआई के अफसर भी बात करना चाहते है, इसके लिए वह स्काइप डाऊनलोड कर लें. डॉक्टर ने स्काइप डाऊनलोड किया और फिर सीबीआई अफसर से वीडियो कॉल पर बात की. अफसर ने डॉक्टर को बताया कि उनका नाम राम नरेश मनी लांड्रिंग केस में आया है. साथ ही उनका बैंक अकाउंट का इस्तमाल चाइल्ड और वूमेन ट्रैफिकिंग के लिए किया गया है. डॉक्टर डर गई और उन्होंने सीबीआई अफसर को एक फॉर्म पर अपनी चल अचल संपत्ति की पूरी डिटेल दे दी. जालसाजों ने महिला डॉक्टर को 6 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा और अलग अलग पांच बैंक अकाउंट में 2 करोड़ 81 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए.


शिल्पा शेट्टी के पति के नाम पर की ठगीः लखनऊ के रहने वाले अखिलेश्वर कुमार सिंह के पास वाट्सएप काल आई और कॉलर ने खुद को सीबीआई अफसर आकाश कुलहरी (जो वर्तमान में लखनऊ में जॉइंट सीपी क्राइम है) बताया. कॉलर ने बताया कि राज कुंदरा (अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति) मनी लान्ड्रिंग में दोषी है, उसमें उनका भी नाम है. ऐसे में अब उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. कॉलर ने केस से संबंधित सभी दस्तावेज उन्हें भेजे और कहा कि यदि बचना है तो पीएनबी बैंक में आपकी जो 28.5 लाख की FD है, उसे तुड़वा कर रकम भेज दो. अखिलेश्वर सिंह ने बिना वेरिफाई किए बैंक जाकर एफडी तुड़वाई और पूरा पैसा कॉलर द्वारा बताए गए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया. इसके बाद दूसरे दिन कॉल आई और फिर उनसे कहा गया कि सीबीआई बैंक में जो आपकी 16 लाख की FD है, उसे भी तोड़ कर पैसे ट्रांसफर करो. अखिलेश्वर ने यह भी रकम भेज थी. जब बार बार रकम मांगने के लिए कॉल आती रही तो पीड़ित ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई.

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