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क्या इतना आसान है किडनी का खेल! इधर किडनी निकाली, उधर दूसरे के शरीर में लगा दी? जानिए क्या बोले सीनियर डॉक्टर - Kidney Racket in Delhi - KIDNEY RACKET IN DELHI

Kidney Racket in Delhi: राजधानी में किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का खुलासा होने के बाद ईटीवी भारत की टीम ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की दिल्ली ब्रांच के पूर्व अध्यक्ष डा. अजय लेखी से बातचीत की, इस बातचीत में उन्होंने कई हैरान करने वाली बातें बताई हैं. पढ़िए पूरी बातचीत

जानिए किडनी कांड पर क्या कहते हैं IMA के डॉक्टर्स
जानिए किडनी कांड पर क्या कहते हैं IMA के डॉक्टर्स (SOURCE: ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 11, 2024, 11:03 AM IST

Updated : Jul 11, 2024, 5:13 PM IST

नई दिल्लीः राजधानी में किडनी खरीद फरोख्त के रैकेट का खुलासा होने के बाद कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं, कैसे बांग्लादेश से गरीबों को झांसे में लेकर पूरे ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया जाता था, कौन डॉक्टर्स इसमें शामिल हैं और क्या इतनी आसानी से किसी भी व्यक्ति के शरीर से किडनी निकाल कर दूसरे को लगाई जा सकती है इन तमाम सवालों के जवाब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की दिल्ली ब्रांच के पूर्व अध्यक्ष डा. अजय लेखी ने.

उन्होंने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट एक प्रोसेस के तहत किया जाता है, फिलहाल इस रैकेट के खुलासे के बाद एक महिला डॉक्टर की गिरफ्तारी हुई है लेकिन इस रैकेट के तार अन्य कई डॉक्टर्स से जुड़े हो सकते हैं क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट एक अकेला डॉक्टर नहीं कर सकता.

डॉ. अजय लेखी के मुताबिक एक डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट नहीं कर सकता है. चार से पांच डॉक्टरों की कमेटी होती है. इसके बाद एसडीएम होते हैं. इन सभी से अनुमति के बाद ही किडनी ट्रांसप्लांट हो सकता है. दिल्ली पुलिस ने अभी मामले में एक ही डॉक्टर को गिरफ्तार किया है. इस पूरे सिंडिकेट में और भी डॉक्टरों के शामिल होने की आशंका है.

कोई एक डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट का नहीं ले सकता फैसला- डॉ. अजय लेखी
डा. अजय लेखी ने किडनी ट्रांसप्लांट के स्कैम पर कहा कि कुछ डॉक्टर इस तरीके की गतिविधियों में लिप्त होते हैं. इससे सभी डॉक्टरों की छवि नहीं खराब होनी चाहिए. जो नियम बने हैं वह बहुत ही गंभीर हैं. किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एक बोर्ड बैठता है. उसमें चार या पांच डॉक्टर होते हैं. इसके बाद एसडीएम भी होते हैं. बिना बोर्ड की अनुमति के पेशेंट का किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो सकता. अकेला कोई डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट करने का डिसीजन नहीं ले सकता है.

'किडनी ट्रांसप्लांट के लिए खून का रिश्ता होना जरूरी नहीं'
डॉ. अजय लेखी ने बताया कि ऐसा नहीं है कि किडनी देने वाले और किडनी लेने वाले के बीच खून का रिश्ता हो. अब ऐसी दवाइयां आ गई हैं. जिससे 50 प्रतिशत किडनी, टिशू, एचएलए की मैचिंग होती है, तो किडनी डोनेट की जा सकती है. यह जो किडनी ट्रांसप्लांट का मामला सामने आया है यह बहुत गलत है. सरकार ने जो मापदंड तैयार किया है उसी के अनुसार किडनी ट्रांसप्लांट होनी चाहिए.

'शिकायत पर जांच के बाद होती है कार्रवाई'
डॉ. अजय लेखी ने बताया कि यदि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पास कोई शिकायत आती है तो हम लोग उस पर संज्ञान लेते हैं और संबंधित अथॉरिटी से कार्रवाई करवाते हैं. डीएमसी, एनएमसी में केस जाता है. यदि डॉक्टर ने गलत किया है तो डॉक्टर का सर्टिफिकेट और डिग्री कैंसिल किया जाता है. सस्पेंड करने के साथ अन्य कई प्रावधान के तहत कार्रवाई की जाती है. गरीबों से किडनी खरीदने कि इस पूरे सिंडिकेट में यदि पुलिस हमारी मदद मांगती है तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से जरूर मदद की जाएगी. कोई एक डॉक्टर गलती करें और उसकी वजह से अन्य सभी डॉक्टरों की बदनामी हो या बेहद गलत है.

'कॉरपोरेट हॉस्पिटल ने चिकित्सा को बना लिया बिजनेस'
डॉ. अजय लेखी ने कहा कि कॉरपोरेट हॉस्पिटल ने चिकित्सा को बिजनेस बना लिया है. जो पैनल के पेशेंट हैं. उनका तब तक इलाज करते हैं जब तक की पैनल का पैसा नहीं खत्म हो जाता. डॉक्टर किसी पेशेंट का ट्रीट कर रहा है और बिल 10 लाख बनता है तो उसे डॉक्टर को सिर्फ 10000 रुपए मिलते हैं. सारे पैसे कॉर्पोरेट के पास चले जाते हैं. लेकिन बदनाम डॉक्टर होता है. डॉक्टर को टारगेट दिया जाता है. यह सब सरकार के फेलियर की वजह से हो रहा है. सरकार योजनाएं तो बना लेती है लेकिन सही तरीके से लागू नहीं होती हैं. हमारे पास तमाम सरकारी अस्पताल है उनमें डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो रही है. यहां पर किडनी ट्रांसप्लांट हो सकता है. लेकिन सरकारी अस्पताल बहुत ज्यादा ओवरलोडेड हो चुके हैं. प्राइवेट अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट करने का खर्च करीब 16 लाख रुपये है.

'हर साल दो लाख मरीजों को किडनी चाहिए, करीब 20 हजार को मिल पाती है'
देश में हर साल करीब दो लाख लोगों को किडनी की जरूरत होती है. करीब 20 हजार मरीजों को ही किडनी मिल पाती है. बाकी के 1.80 लाख लोगों डायलिसिस पर होते हैं. ऐसे में कुछ लोग गलत कदम उठाते हैं और लोगों को पैसा देकर किडनी खरीदते हैं और ट्रांसप्लांट कराते हैं. डॉ. अजय लेखी का कहना है कि लोग ही डाक्टरों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पैसा ऑफर करते हैं. अपराध यहीं से शुरू होता है. गरीब लोग पैसों के लिए किडनी देने को तैयार हो जाते हैं. इसके बाद फर्जी दस्तावेज तैयार कर इस तरह अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट का खेल होता है. यह बेहद निंदनीय है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली का किडनी कांड...25 दिन तक हुई कड़ी तफ्तीश, जानिए- इसके पीछे की पूरी कहानी, बांग्लादेश से भारत तक का कनेक्शन

ये भी पढ़ें- 5 लाख में लेकर 30 लाख में बेचते थे किडनी, दिल्ली में ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश, डॉक्टर हर सर्जरी ले रही थी 2 लाख

नई दिल्लीः राजधानी में किडनी खरीद फरोख्त के रैकेट का खुलासा होने के बाद कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं, कैसे बांग्लादेश से गरीबों को झांसे में लेकर पूरे ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया जाता था, कौन डॉक्टर्स इसमें शामिल हैं और क्या इतनी आसानी से किसी भी व्यक्ति के शरीर से किडनी निकाल कर दूसरे को लगाई जा सकती है इन तमाम सवालों के जवाब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की दिल्ली ब्रांच के पूर्व अध्यक्ष डा. अजय लेखी ने.

उन्होंने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट एक प्रोसेस के तहत किया जाता है, फिलहाल इस रैकेट के खुलासे के बाद एक महिला डॉक्टर की गिरफ्तारी हुई है लेकिन इस रैकेट के तार अन्य कई डॉक्टर्स से जुड़े हो सकते हैं क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट एक अकेला डॉक्टर नहीं कर सकता.

डॉ. अजय लेखी के मुताबिक एक डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट नहीं कर सकता है. चार से पांच डॉक्टरों की कमेटी होती है. इसके बाद एसडीएम होते हैं. इन सभी से अनुमति के बाद ही किडनी ट्रांसप्लांट हो सकता है. दिल्ली पुलिस ने अभी मामले में एक ही डॉक्टर को गिरफ्तार किया है. इस पूरे सिंडिकेट में और भी डॉक्टरों के शामिल होने की आशंका है.

कोई एक डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट का नहीं ले सकता फैसला- डॉ. अजय लेखी
डा. अजय लेखी ने किडनी ट्रांसप्लांट के स्कैम पर कहा कि कुछ डॉक्टर इस तरीके की गतिविधियों में लिप्त होते हैं. इससे सभी डॉक्टरों की छवि नहीं खराब होनी चाहिए. जो नियम बने हैं वह बहुत ही गंभीर हैं. किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एक बोर्ड बैठता है. उसमें चार या पांच डॉक्टर होते हैं. इसके बाद एसडीएम भी होते हैं. बिना बोर्ड की अनुमति के पेशेंट का किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो सकता. अकेला कोई डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट करने का डिसीजन नहीं ले सकता है.

'किडनी ट्रांसप्लांट के लिए खून का रिश्ता होना जरूरी नहीं'
डॉ. अजय लेखी ने बताया कि ऐसा नहीं है कि किडनी देने वाले और किडनी लेने वाले के बीच खून का रिश्ता हो. अब ऐसी दवाइयां आ गई हैं. जिससे 50 प्रतिशत किडनी, टिशू, एचएलए की मैचिंग होती है, तो किडनी डोनेट की जा सकती है. यह जो किडनी ट्रांसप्लांट का मामला सामने आया है यह बहुत गलत है. सरकार ने जो मापदंड तैयार किया है उसी के अनुसार किडनी ट्रांसप्लांट होनी चाहिए.

'शिकायत पर जांच के बाद होती है कार्रवाई'
डॉ. अजय लेखी ने बताया कि यदि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पास कोई शिकायत आती है तो हम लोग उस पर संज्ञान लेते हैं और संबंधित अथॉरिटी से कार्रवाई करवाते हैं. डीएमसी, एनएमसी में केस जाता है. यदि डॉक्टर ने गलत किया है तो डॉक्टर का सर्टिफिकेट और डिग्री कैंसिल किया जाता है. सस्पेंड करने के साथ अन्य कई प्रावधान के तहत कार्रवाई की जाती है. गरीबों से किडनी खरीदने कि इस पूरे सिंडिकेट में यदि पुलिस हमारी मदद मांगती है तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से जरूर मदद की जाएगी. कोई एक डॉक्टर गलती करें और उसकी वजह से अन्य सभी डॉक्टरों की बदनामी हो या बेहद गलत है.

'कॉरपोरेट हॉस्पिटल ने चिकित्सा को बना लिया बिजनेस'
डॉ. अजय लेखी ने कहा कि कॉरपोरेट हॉस्पिटल ने चिकित्सा को बिजनेस बना लिया है. जो पैनल के पेशेंट हैं. उनका तब तक इलाज करते हैं जब तक की पैनल का पैसा नहीं खत्म हो जाता. डॉक्टर किसी पेशेंट का ट्रीट कर रहा है और बिल 10 लाख बनता है तो उसे डॉक्टर को सिर्फ 10000 रुपए मिलते हैं. सारे पैसे कॉर्पोरेट के पास चले जाते हैं. लेकिन बदनाम डॉक्टर होता है. डॉक्टर को टारगेट दिया जाता है. यह सब सरकार के फेलियर की वजह से हो रहा है. सरकार योजनाएं तो बना लेती है लेकिन सही तरीके से लागू नहीं होती हैं. हमारे पास तमाम सरकारी अस्पताल है उनमें डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो रही है. यहां पर किडनी ट्रांसप्लांट हो सकता है. लेकिन सरकारी अस्पताल बहुत ज्यादा ओवरलोडेड हो चुके हैं. प्राइवेट अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट करने का खर्च करीब 16 लाख रुपये है.

'हर साल दो लाख मरीजों को किडनी चाहिए, करीब 20 हजार को मिल पाती है'
देश में हर साल करीब दो लाख लोगों को किडनी की जरूरत होती है. करीब 20 हजार मरीजों को ही किडनी मिल पाती है. बाकी के 1.80 लाख लोगों डायलिसिस पर होते हैं. ऐसे में कुछ लोग गलत कदम उठाते हैं और लोगों को पैसा देकर किडनी खरीदते हैं और ट्रांसप्लांट कराते हैं. डॉ. अजय लेखी का कहना है कि लोग ही डाक्टरों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पैसा ऑफर करते हैं. अपराध यहीं से शुरू होता है. गरीब लोग पैसों के लिए किडनी देने को तैयार हो जाते हैं. इसके बाद फर्जी दस्तावेज तैयार कर इस तरह अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट का खेल होता है. यह बेहद निंदनीय है.

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Last Updated : Jul 11, 2024, 5:13 PM IST
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