नई दिल्ली: देश में आज से तीन नए कानून लागू हो गए हैं. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के 1 जुलाई से लागू होने के बाद कानूनी कार्रवाई इसके तहत शुरू हो गई है. नए आपराधिक कानून को लेकर दिल्ली सरकार के स्कूलों में छात्रों और लोगों को जागरूक करने को लेकर अवेयरनेस सेशन का आयोजन किया जा रहा है. स्कूलों में छात्रों को इन नए कानूनों की बारीकी के बारे में जागरूक किया जा रहा है. दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय का कहना है कि इन नए कानूनों को मकसद सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ाना, न्याय सुनिश्चित करना और सभी के लिए ज्यादा सुरक्षित भविष्य का निर्माण कराना है.
छात्रों को नए कानूनों के बारे में जानकारी देते हुए एक्सपर्ट ने बताया कि कई बार हम ऐसा काम कर देते हैं जिसका कोई प्रूफ नहीं होता है तो आप बच जाते हैं. लेकिन डिजिटल डिवाइस में आपने कोई काम करते हैं तो बच नहीं सकते. इसका बड़ा कारण यह है कि आपका 'डिजिटल फुटप्रिंट्स' रिकॉर्ड हो गया. सब कुछ 'सर्वर लॉक' में रिकॉर्ड हो जाता है.
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अक्सर आप जब कोई मैसेज व्हाट्सअप पर सेंड करते हैं और आपको लगता है कि वो गलत था तो आपके पास 'डिलीट फॉर मी' और 'डिलीट फॉर ऐवरीवन' का ऑप्शन होता है. आप इसको डिलीट तो कर देते हैं लेकिन वह सर्वर में रिकॉर्ड हो जाता है. इसको ही 'डिजिटल फुटप्रिंट्स' कहा जाता है. इसलिए आप अगर कोई मैसेज भी फॉरवर्ड कर रहे हैं तो यह समझ लेना चाहिए कि आप उस चेन में शामिल हो गए हैं. इसलिए आपको बहुत सावधानी के साथ डिजिटल गैजेट्स का प्रयोग करना चाहिए.
समाज में अपराध और उससे कैसे निपटा जाए, इसकी क्या प्रक्रिया है और कैसे लोगों को न्याय मिले, इससे संबंधित ये तीनों कानून हैं. इससे पहले भी कानून थे. समाज में पहले भी अपराध होते थे और उनसे निपटने के लिए कानून और नियम थे. अब तीन नए कानून लागू हुए हैं, इनके तहत देश में अपराधों से निपटने का काम किया जाएगा. आज से पूरे देश में भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस) लागू हो गई है. 1 जुलाई से अब सभी मामले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धाराओं में ही दर्ज होंगे.
आज से लागू यह तीन नए कानून को लेकर चुनौतियां भी कम नजर नहीं आ रही हैं. इनकी भाषा और परिभाषा को लेकर आम लोगों को अभी कोई खास जानकारी नहीं है. दिल्ली पुलिस के आला अफसरों की ओर से सभी 15 जिला पुलिस उपायुक्तों को भी निर्देश भी दिए हैं कि वे इन कानूनों को लेकर अपने-अपने क्षेत्रों की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस, मार्केट वेलफेयर एसोसिएशंस और दूसरे सामाजिक व धार्मिक संगठनों के साथ बैठक कर नए कानूनों के प्रति जागरूक करने का काम करें.
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