जबलपुर। इंटरनेशनल बिलियर्ड्स एंड स्नूकर फेडरेशन ने मंगोलिया में स्नूकर प्रतियोगिता का आयोजन किया. इसमें जबलपुर के पश्चिम मध्य रेलवे के खिलाड़ी कमल चावला ने विजय पताका फहराया. वह वर्ल्ड चैंपियन बन गए हैं. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाड़ी को हराकर यह चैंपियनशिप जीती है. दरअसल, स्नूकर की जिस प्रतियोगिता में कमल चावला वर्ल्ड चैंपियन बने हैं, उस खेल की शुरुआत भी डेढ़ सौ साल पहले पूरी दुनिया में जबलपुर से ही हुई थी.
जबलपुर में अंग्रेजों का बनाया नर्मदा क्लब
जबलपुर में अंग्रेजों का बनाया हुआ नर्मदा क्लब है. यह क्लब अंग्रेजों ने शुरू किया था. जबलपुर में जो अंग्रेज अफसर रहा करते थे, उन्होंने इस क्लब की शुरुआत की. यहीं पर इंग्लैंड से बिलियर्ड्स की एक टेबल लाई गई थी. स्नूकर रूल नर्मदा क्लब की मैनेजर मुरूगेश पिल्लई बताते हैं "इस टेबल पर उस जमाने की अंग्रेज अफसर नेविल चैंबर्लेन बिलियर्ड्स खेला करते थे. उनके साथ में कुछ दूसरे अफसर भी थे. बिलियर्ड्स में अलग-अलग रंग की बाल होती है. लेकिन नेवल चैंबर्लिन ने टेबल पर लाल रंग की 15 बॉल्स रखी और 6 बॉल्स दूसरे कलर्स की. नेवल चैंबरलिन ने इसमें नियम बताया कि हर रंगीन बाल के बाद एक लाल गेंद डालनी होगी और काले रंग की गेंद सबसे लास्ट में होल में डाली जाएगी."
जबलपुर से शुरू हुआ स्नूकर का खेल
इस तरह से बिलियर्ड से हटकर एक नया खेल उन्होंने अपने साथियों के साथ खेला. बिलियर्ड्स से हटकर इसे स्नूकर रूल कहा गया और धीरे-धीरे दूसरे खिलाड़ियों को भी यह खेल पसंद आया. इस तरह से जब चैंबर्लिन जबलपुर से ऊंटी गए वहां भी उन्होंने अपने इस पुराने खेल को जारी रखा. इसके बाद जहां-जहां चैंबर्लिन ने खेल खेला, वहां वे स्नूकर के बारे में बताते गए. इस तरह जबलपुर से शुरू हुआ स्नूकर का यह सफर पूरी दुनिया में फैल गया और आज ज्यादातर देशों में स्नूकर के खिलाड़ी इस खेल को खेलते हैं.
जबलपुर के नर्मदा क्लब में सुरक्षित रखी ऐतिहासिक टेबल
मुरूगेश पिल्लई बताते हैं "स्नूकर की इस टेबल को नर्मदा क्लब ने बहुत सहेज कर रखा है. आज भी नर्मदा क्लब के नौजवान इस टेबल पर स्नूकर खेलते हैं. टेबल की समय-समय पर मरम्मत की जाती है. इसके कपड़े बदले जाते हैं, लेकिन डेढ़ सौ साल पुराना यह टेबल आज भी अपनी पुरानी जैसी हालत में है. जब नेवल चैंबर्लिन ने इस पर स्नूकर की शुरुआत की थी."