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नशा दूर करने में मददगार है योग, घर बैठे पाएं नशे की लत से छुटकारा - Ways to get rid of addiction

Yoga is helpful For addiction अंतरराष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस 31 मई को है. धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, यह सभी जानते हैं. बावजूद लोग धूम्रपान करते हैं.कई लोग ऐसे भी हैं जो धूम्रपान की आदत को छोड़ना चाहते हैं.लेकिन वो ऐसा कर नहीं सकते.वहीं कई दवाईयों और जड़ी बूटियों का सहारा लेते हैं.लेकिन यदि आप चाहे तो योग के जरिए भी धूम्रपान की आदत से छुटकारा पा सकते हैं.Ways to get rid of addiction with Yoga

Yoga is helpful For addiction
नशा दूर करने में मददगार है योग (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 25, 2024, 1:14 PM IST

नशा दूर करने में मददगार है योग (ETV Bharat Chhattisgarh)

रायपुर : योग हमें निरोग बनाता है. हम योग की मदद से अपने शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाकर रख सकते हैं.इसके अलावा भी योग के कई फायदे हैं.उन्हीं फायदों में से एक है धूम्रपान जैसी गंदी आदत से छुटकारा पाना.कई लोगों को शराब, गुटखा,तंबाकू,गांजा और सिगरेट की लत होती है.कई बार नशा मुक्ति केंद्रों में जाने के बाद भी उनकी ये आदत नहीं छूटती.ऐसे में योग की मदद से हम धूम्रपान की आदत से छुटकारा पा सकते हैं.योग ही एक ऐसा माध्यम है जिसमें बिना किसी दवा और जड़ी बूटी के लोग धूम्रपान को छोड़ सकते हैं .आखिर किस योग से धूम्रपान छोड़ सकता है,इसका कितना लाभ मिल सकता है, इसके लिए किस तरह से योगाभ्यास करना चाहिए. इसकी जानकारी योगाचार्य विनीत शर्मा ने ईटीवी भारत को दी.

क्या है योग का अर्थ : योग का अर्थ है आत्मा परमात्मा का एक होना.जब आत्मा परमात्मा लगातार योगाभ्यास से एक हो जाते हैं, तो यह प्रक्रिया योग की अंतिम अवस्था कहलाती है. पतंजलि ने अपने सूत्र में बताया है कि चित की वृतियों पर काबू पाना ही योग है.यानी मन की वृतियों पर ,मन की दशाओं पर और मन की चंचलता पर विजय पाना योग है.

नशे से कैसे पाएं छुटकारा : नशे से ग्रस्त व्यक्ति को इससे छुटकारा पाने के लिए निश्चित तौर पर योग का अभ्यास करना चाहिए. योग के अभ्यास के बिना कोई भी व्यक्ति नशे से उबर नहीं सकता है. योग चित की चंचलता पर और मन पर विजय पाने का बहुत स्वाभाविक माध्यम है.योग सामान्य रूप से आसनों को मान लिया जाता है. आसनों के साथ-साथ प्राणायाम ध्यान उच्च स्तर की शारीरिक मानसिक सफाई, ऊंचे नैतिक मूल्यों के साथ जीवन जीना योग माना गया है. नशे से दूर रहने के लिए वृत्य चक्रासन का अभ्यास बहुत राहत दिलाता है. इसके साथ ही अर्ध चक्रासन, ग्रीवा संचालन आसन, गर्दन को झुकाना, प्राणायाम में अनुलोम विलोम, कपालभाती, शीतली प्राणायाम, शीतकारी प्राणायाम सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं.

सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास : सूर्य नमस्कार का नियमित अनुशासन और क्रमबद्ध अभ्यास करने पर शरीर नशा से दूर हो जाता है. नियमित रूप से सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने पर शरीर से पॉजिटिव हारमोंस निकलते हैं. रोम छिद्र से निकला हुआ पसीना मन और तन को आनंद प्रदान करता है. साथ ही नशे जैसे बुराइयों से दूर भी रखता है.आनंददायक हारमोंस जब शरीर से निकलते हैं , तब मनुष्य का ध्यान अच्छे कार्यों रचनात्मक प्रवृत्तियां पर केंद्रित हो जाता है. वह स्वाभाविक रूप से नशे से दूर हो जाता है.

मंत्रों के साथ योगाभ्यास : सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने पर जो मंत्रों के साथ किया जाता है.इन मंत्रो में अभीष्ट शक्ति होती है. इसका अभ्यास दीर्घकाल तक करने पर स्वभाव चित और एटीट्यूड में बदलाव देखने को मिलता है. हैप्पी हारमोंस व्यक्ति को सकारात्मक और ऊर्जावान होकर अच्छे-अच्छे विचारों और कार्यों के लिए प्रेरित करते हैं. जिससे व्यक्ति खुद ही नशे का त्याग कर देता है.

शीतली प्रणायाम से नशा से मिलेगी मुक्ति : योग का अभिन्न अंग ज्ञान को माना जाता है. इसे मैडिटेशन कहते हैं प्राचीन समय में सभी देवता जैसे भगवान राम, भगवान कृष्ण, गुरु नानक जी, संत कबीर और यीशु मसीह सभी नियमित रूप से आंखें बंद करके ध्यान किया करते थे. ज्ञान का अर्थ है शून्य विचारों की स्थिति को प्राप्त करना है. लगातार ध्यान करते रहने से हमारे भीतर जो कमियां और मिसिंग एलिमेंट होते हैं वह दूर होते चले जाते हैं और व्यक्तित्व में नया विकास देखने को मिलता है.शीतली प्राणायाम मन को शीतल बनाता है. तन भी शीतलता का अनुभव करता है.निरंतर और लंबा अभ्यास करने पर मनुष्य किसी भी तरह की नकारात्मक नशे की बुराई की चपेट में नहीं आ पाता.नशे से रहित नशा मुक्त होकर उत्तम जीवन का यापन करता है.

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क्या है योग का अर्थ : योग का अर्थ है आत्मा परमात्मा का एक होना.जब आत्मा परमात्मा लगातार योगाभ्यास से एक हो जाते हैं, तो यह प्रक्रिया योग की अंतिम अवस्था कहलाती है. पतंजलि ने अपने सूत्र में बताया है कि चित की वृतियों पर काबू पाना ही योग है.यानी मन की वृतियों पर ,मन की दशाओं पर और मन की चंचलता पर विजय पाना योग है.

नशे से कैसे पाएं छुटकारा : नशे से ग्रस्त व्यक्ति को इससे छुटकारा पाने के लिए निश्चित तौर पर योग का अभ्यास करना चाहिए. योग के अभ्यास के बिना कोई भी व्यक्ति नशे से उबर नहीं सकता है. योग चित की चंचलता पर और मन पर विजय पाने का बहुत स्वाभाविक माध्यम है.योग सामान्य रूप से आसनों को मान लिया जाता है. आसनों के साथ-साथ प्राणायाम ध्यान उच्च स्तर की शारीरिक मानसिक सफाई, ऊंचे नैतिक मूल्यों के साथ जीवन जीना योग माना गया है. नशे से दूर रहने के लिए वृत्य चक्रासन का अभ्यास बहुत राहत दिलाता है. इसके साथ ही अर्ध चक्रासन, ग्रीवा संचालन आसन, गर्दन को झुकाना, प्राणायाम में अनुलोम विलोम, कपालभाती, शीतली प्राणायाम, शीतकारी प्राणायाम सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं.

सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास : सूर्य नमस्कार का नियमित अनुशासन और क्रमबद्ध अभ्यास करने पर शरीर नशा से दूर हो जाता है. नियमित रूप से सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने पर शरीर से पॉजिटिव हारमोंस निकलते हैं. रोम छिद्र से निकला हुआ पसीना मन और तन को आनंद प्रदान करता है. साथ ही नशे जैसे बुराइयों से दूर भी रखता है.आनंददायक हारमोंस जब शरीर से निकलते हैं , तब मनुष्य का ध्यान अच्छे कार्यों रचनात्मक प्रवृत्तियां पर केंद्रित हो जाता है. वह स्वाभाविक रूप से नशे से दूर हो जाता है.

मंत्रों के साथ योगाभ्यास : सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने पर जो मंत्रों के साथ किया जाता है.इन मंत्रो में अभीष्ट शक्ति होती है. इसका अभ्यास दीर्घकाल तक करने पर स्वभाव चित और एटीट्यूड में बदलाव देखने को मिलता है. हैप्पी हारमोंस व्यक्ति को सकारात्मक और ऊर्जावान होकर अच्छे-अच्छे विचारों और कार्यों के लिए प्रेरित करते हैं. जिससे व्यक्ति खुद ही नशे का त्याग कर देता है.

शीतली प्रणायाम से नशा से मिलेगी मुक्ति : योग का अभिन्न अंग ज्ञान को माना जाता है. इसे मैडिटेशन कहते हैं प्राचीन समय में सभी देवता जैसे भगवान राम, भगवान कृष्ण, गुरु नानक जी, संत कबीर और यीशु मसीह सभी नियमित रूप से आंखें बंद करके ध्यान किया करते थे. ज्ञान का अर्थ है शून्य विचारों की स्थिति को प्राप्त करना है. लगातार ध्यान करते रहने से हमारे भीतर जो कमियां और मिसिंग एलिमेंट होते हैं वह दूर होते चले जाते हैं और व्यक्तित्व में नया विकास देखने को मिलता है.शीतली प्राणायाम मन को शीतल बनाता है. तन भी शीतलता का अनुभव करता है.निरंतर और लंबा अभ्यास करने पर मनुष्य किसी भी तरह की नकारात्मक नशे की बुराई की चपेट में नहीं आ पाता.नशे से रहित नशा मुक्त होकर उत्तम जीवन का यापन करता है.

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