धनबादः बीसीसीएल के बंद माइंस से महिलाएं पानी भरने को मजबूर हैं, जबकि बीसीसीएल ने माइंस को खतरनाक घोषित कर रखा है. जहां कभी जमीन के अंदर से कोयला निकाला जाता था, अब उसी बंद माइंस से जान हथेली पर रखकर ग्रामीण पानी भरते हैं.
बंद हो चुकी बेड़ा कोलियरी के अंदर से महिलाएं भरती हैं पानी
यह नजारा है शहर से सटे बेड़ा कोलियरी की, जहां आज भी लोग पानी के लिए सिर्फ जद्दोजहद नहीं कर रहे हैं, बल्कि पानी के लिए उन्हें मौत से दो-दो हाथ करने पड़ते हैं. बीसीसीएल की बंद माइंस से ग्रामीण महिलाएं पानी भरने का काम करती हैं. उन्हें मालूम है कि कभी भी वह काल के गाल में समा सकती हैं, लेकिन उनके पास पानी के लिए दूसरा कोई विकल्प नहीं है.
बीसीसीएल प्रबंधन बंद कर चुका है माइंस
बीसीसीएल प्रबंधन माइंस को बंद कर चुका है. साथ ही माइंस के अंदर घुसने पर भी प्रतिबंध लगा रखा है, बावजूद महिलाएं पानी के लिए माइंस के अंदर प्रवेश करती हैं और जान हथेली पर रखकर पानी भरती हैं.
माइंस के अंदर रिसने वाले पानी से क्षेत्र के लोग चला रहे काम
माइंस के अंदर रिसने वाला पानी ही पीने और घर के काम-काज के लिए उपयोग करती हैं. माइंस के भीतर पानी गिरने वाले मुहाने पर पत्ते लगा कर महिलाएं पानी भरती हैं. महिलाएं अपने साथ घरों से बाल्टी, टब या फिर डेकची लेकर आती हैं और घंटों रुककर पानी भरती हैं.
चुनाव में जनप्रतिनिधि सिर्फ देते हैं आश्वासन
इस दौरान महिलाओं ने बताया कि स्थानीय जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनाव के समय आते हैं और पानी की समस्या दूर करने का आश्वासन देकर चले जाते हैं. चुनाव खत्म होने के बाद इलाके में झांकने तक नहीं आते हैं. इस कारण स्थानीय लोगों में जनप्रतिनिधियों के प्रति नाराजगी है.
इलाके के लोगों के पास नहीं है कोई दूसरा विकल्प
मौके पर महिलाओं ने बताया कि कई सालों से यह समस्या बनी हुई है. पानी भरने के दौरान हमेशा खतरा मंडरता है, लेकिन कोई और विकल्प नहीं होने के कारण माइंस के अंदर पानी भरने के लिए आना पड़ता है.
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