जयपुर: प्रदेश में 2500 वर्गमीटर तथा इससे बड़े भूखंडों में स्नानागार तथा रसोई के अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण एवं रिसाईकिलिंग की व्यवस्था किया जाना आवश्यक होगा. इसमें टॉयलेट से निकलने वाला जल शामिल नहीं होगा. 10 हजार वर्गमीटर से अधिक सकल निर्मित क्षेत्र होने पर अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना आवश्यक होगा. टॉयलेट में उपयोग में ली जाने वाली वॉटर क्लोजेट में ड्यूल फ्लश बटन वाले सिस्ट्रन ही अनुमत होगा.
प्रदेश में जल की सीमित उपलब्धता को मध्येनजर अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण एवं पुनः उपयोग प्रणाली तथा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल विभाग और नगर विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग ने संयुक्त परिपत्र जारी किया है. जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भवन विनियम 2020 की विनियम 10.11.2 में अपशिष्ट जल शुद्धिकरण एवं रिसाईकिलिंग के आवश्यक प्रावधान किए गए हैं. अपशिष्ट जल के परिशोधन की प्राथमिक जिम्मेदारी स्थानीय निकाय की है. आवेदन करने पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित शहर स्तरीय समिति एवं पर्यावरण समिति परिशोधित जल के पुनः उपयोग के सम्बन्ध में वास्तविक उपयोगकर्ता की सलाह पर राज्य सीवरेज एवं वेस्ट वॉटर नीति 2016 में निर्धारित दरों पर निर्णय करने का प्रावधान है.
बहुमंजिला भवनों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होने पर ही होगा पेयजल कनेक्शन: जलदाय संचिव डॉ समित शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से बहुमंजिला भवनों में पेयजल कनेक्शन जारी किए जाने की नीति 24 अप्रैल, 2024 के बिन्दु संख्या 24 के अनुसार राजस्थान भवन विनियम 2020 के प्रावधानों के अनुसार अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण एवं पुनः उपयोग प्रणाली, सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लाट का निर्माण एवं कार्यात्मक किया जाना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि इसके अभाव में पेजयल कनेक्शन जारी नहीं किया जाएगा.
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इन कामों में होगा परिशोधित अपशिष्ट जल का उपयोग: समित शर्मा ने बताया कि परिशोधित अपशिष्ट जल का उपयोग राज्य सीवरेज एवं वेस्ट वॉटर नीति 2016 के अनुसार अलग-कार्यों में किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि परिशोधित अपशिष्ट जल का उपयोग कृषि, उद्यान एवं सिंचाई, पार्क में बागवानी, सड़क की धुलाई एवं छिड़काव के कार्य, उद्योग एवं खनन कार्य, सामाजिक वानिकी, निर्माण कार्य गतिविधियों, अग्निशमन एवं अन्य नगर निकाय कार्य, रेलवे, थर्मल पॉवर प्लांट, छावनी क्षेत्र में किया जा सकेगा.
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अभियंता के प्रमाणीकरण के बाद ही पेयजल कनेक्शन जारी होगा: शासन सचिव समित शर्मा ने बताया कि 2500 वर्ग मीटर अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भवनों में पेयजल कनेक्शन स्वीकृति की प्रक्रिया में रसोई के अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण एवं रिसाईकिलिंग एवं पुनः उपयोग प्रणाली का निर्माण एवं कार्यात्मक होना अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि योजना क्षेत्र अथवा एकल भू-खण्ड पर 10 हजार वर्ग मीटर से अधिक सकल निर्मित क्षेत्र होने पर अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण के लिए सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लान्ट स्थापित किया जाना एवं कार्यात्मक होना अनिवार्य है. विभागीय अभियन्ता के प्रमाणीकरण बाद ही पेयजल कनेक्शन जारी होगा.
पेयजल कनेक्शन की स्वीकृति के लिए विभाग करेगा प्रमाणीकरण: डॉ शर्मा ने बताया कि पेयजल कनेक्शन की स्वीकृति प्रक्रिया में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली के निर्माण, अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण, पुनः उपयोग प्रणाली तथा सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लांट का निर्माण एवं कार्यात्मक होने का सम्बन्धित कनिष्ठ अभियन्ता द्वारा अपने क्षेत्राधिकार में 100 प्रतिशत निरीक्षण कर प्रमाणीकरण किया जाएगा. सहायक अभियन्ता अपने क्षेत्राधिकार में 40 प्रतिशत, अधिशाषी अभियन्ता अपने क्षेत्राधिकार में 5 प्रतिशत एवं अधीक्षण अभियन्ता अपने क्षेत्राधिकार में 2 प्रतिशत पेयजल कनेवशन आवेदनों पर निरीक्षण कर प्रमाणीकरण सुनिश्चित करेंगे. प्रमाणीकरण पेयजल कनेक्शन आवेदन पत्रावली में संलग्न करना आवश्यक होगा.