कुचामनसिटी. आईएएस बनने के बाद पहली बार पैतृक गांव मोड़ीकलां पहुंचने पर मृणालिका राठौड़ का स्वागत किया गया. उनकी गाजे बाजे से अगवानी की और घोड़ी पर बैठाकर जुलूस निकाला गया. सम्मान समारोह में राठौड़ ने कहा कि आईएएस में समाज सेवा के व्यापक अवसर है.
मृणालिका ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 125वीं रैंक हासिल की है. सरपंच प्रतिनिधि शिवपाल सिंह मातवा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने मृणालिका का स्वागत किया गया. कार्यक्रम में आईएएस मृणालिका ने कहा कि कहा कि यूपीएससी की तैयारी समय प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि पढ़ाई के दौरान ही वह समाजसेवा में लग गई, जिससे प्रेरणा मिलती थी. फाइनल रिजल्ट में पूरा विश्वास था कि मेरा नाम आ जाएगा, लेकिन रैंक को लेकर बिल्कुल भी कन्फर्म नहीं थी.
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यूपीएससी में हिंदी मीडियम से कोई समस्या नहीं: मृणालिका ने कहा कि यूपीएससी में मीडियम का कोई लेना-देना नहीं हैं.इसे लेकर कोई समस्या नहीं है. इस बार रैंक 53 हिंदी मीडियम से आई है.गांव में अपने सम्मान समारोह में उसने कहा कि हिन्दी मीडियम की एक समस्या यह है कि इसमें बच्चे कम होने के कारण पढ़ने के साधन कम हैं. बच्चे आगे बढ़कर डिमांड करेंगे तो रिसोर्स भी बढ़ जाएंगे.
पापा ने ठेले पर सब्जी भी बेची: मृणालिका मूलत: नागौर जिले के मोड़ीकलां गांव की है और वर्तमान में उसका परिवार जयपुर रहता है. उसके पिता नाथू सिंह राठौड़ और परिवार ने कई बार आर्थिक संकट देखा है. एक समय ऐसा भी था, जब पिता नाथू सिंह ने ठेले पर सब्जी बेची. इसके बाद ट्रेवल्स का बिजनेस खड़ा किया. कोविड के दौरान भी पिता के बिजनेस में कई उतार चढ़ाव हुए, लेकिन इन सभी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद मृणालिका के पिता ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने बेटी को हमेशा अच्छी शिक्षा दी.
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नहीं हारी हिम्मत, पांचवें प्रयास में हुई सफल: सफलता से पहले मृणालिका चार बार विफल भी रही, लेकिन निराशा को अपनी लगन पर हावी नहीं होने दिया. लक्ष्य को पाने में जुटी रही और उसने पांचवें प्रयास में यूपीएससी एग्जाम को क्रैक कर खुद को साबित कर दिया. मृणालिका की माता उज्ज्वला राठौड़ ने कहा कि प्रत्येक बेटी में काबिलियत होती है. उन्हें अपनी बेटी की काबिलियत पर गर्व है.
सीबीएसई बोर्ड में जिले में टॉपर रही थी: मृणालिका ने जयपुर के वैशाली नगर इलाके में निजी स्कूल में पढ़ाई की. वहां 12वीं में सीबीएसई बोर्ड में जिले की टॉपर रही. ग्रेज्युएशन की पढ़ाई के लिए दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में प्रवेश लिया. वहां वह आईएएस बनने के लक्ष्य के साथ ही गई थी. वह रोजाना 5-6 घण्टे पढ़ाई करती थी. इस दौरान उसने ज्यादा से ज्यादा नोट्स बनाए.
अधिकारी बनकर समाज की ज्यादा सेवा होगी: मृणालिका ने कहा कि दिल्ली में 'मैं सोशल गतिविधियों में इतना व्यस्त हो गई थी कि आईएएस बनने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी. बाद में मैंने महसूस किया कि जिस तबके से मैं आती हूं, वहां मैं ऑफिसर बनके अपनी बात रखूंगी तो उसकी ज्यादा वैल्यू होगी.यह सोचकर ही मैंने आइएएस बनना तय किया'.