देहरादून: उत्तराखंड निकाय चुनाव के मद्देनजर प्रदेश के 100 नगर निकायों में मतदान की प्रक्रिया जारी है. दोपहर के समय लोग बढ़-चढ़कर मतदान करने के लिए पोलिंग बूथों पर पहुंच रहे हैं, लेकिन प्रदेशभर में हजारों की संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो मतदान करने के लिए पोलिंग बूथ पहुंच रहे हैं, लेकिन मतदान नहीं कर पा रहे हैं. दरअसल मतदाता सूची में उनका नाम ही दर्ज नहीं है, जबकि वो लोग सालों से चुनावों में मतदान करते आ रहे हैं. ऐसे में उन मतदाताओं ने आक्रोश व्यक्त किया है.
मतदाता सूची में करीब 30.29 लाख मतदाता दर्ज
दरअसल, नगर निकाय चुनाव के दृष्टिगत राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी मतदाता सूची में करीब 30.29 लाख मतदाता दर्ज हैं, जो नगर निकाय चुनाव में मतदान कर सकते हैं, लेकिन तमाम ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने पिछले चुनावों में मतदान किया था, लेकिन इस चुनाव में मतदान नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उनका नाम मतदाता सूची से कट गया है. ये स्थिति सिर्फ राजधानी देहरादून में ही नहीं है, बल्कि प्रदेश भर के सभी पोलिंग बूथों पर ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें लोग मतदान करने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन मतदाता सूची में नाम नहीं होने से मतदान नहीं कर पा रहे हैं.
हरिद्वार में मतदाताओं ने पोलिंग बूथों पर काटा हंगामा
हरिद्वार में भी मतदान के लिए मतदान केंद्रों पर पहुंचे हजारों लोगों के नाम वोटर लिस्ट में नहीं थे, जिसके चलते लोगों ने बूथों पर हंगामा किया. हैरानी की बात ये है कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का नाम भी मतदाता सूची में नहीं है, जिसके चलते वो भी मतदान नहीं कर पाए. यही नहीं, तमाम नेता भी ऐसे हैं जिनका नाम मतदाता सूची से कट गया है और वो भी मतदान नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिसमें लोगों का नाम मतदाता सूची में है. इसके बावजूद वो मतदान नहीं कर पा रहे हैं, जिसके पीछे की वजह ये है कि उनके वोटर आईडी और आधार कार्ड में जो नाम दर्ज हैं, वो नाम मतदाता सूची में दर्ज नहीं है. यानी उनके नाम में गलती होने की वजह से उनको मतदान नहीं देने दिया जा रहा है.
वोटर लिस्ट में नाबालिगो के नाम:
वहीं, इसके उलट पौड़ी गढ़वाल में अलग ही मामला सामने आया. यहां वोटर लिस्ट में नाबालिगो का नाम चढ़ा हुआ है. मामला पौड़ी नगर पालिका चुनाव के दौरान वार्ड नंबर 5 का है. जहां नाबालिग बच्चों के नाम मतदाता सूची में शामिल किए गए हैं. जिसका खुलासा वोटिंग के दौरान हुआ, जब नाबालिग वोट डालने पहुंच गए. जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया.
सूची में नाम ना होने से भटक रहे मतदाता
मतदाताओं ने कहा कि वो सालों से मतदान करते आ रहे हैं, लेकिन इस बार नगर निकाय चुनाव में वह मतदान नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि, इसके लिए लोग बीएलओ को जिम्मेदार मान रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीएलओ उनके घर आए ही नहीं और मतदाता सूची से उनका नाम काट दिया गया. कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके पूरे परिवार का नाम ही मतदाता सूची से गायब कर दिया गया है. इसके अलावा, कुछ गली-मोहल्ले में मौजूद तमाम घरों में रहने वाले लोगों का नाम भी मतदाता सूची से गायब हो गया है, जिसके चलते लोग इधर-उधर भटक रहे हैं.
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