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टीचर्स डे: कभी कूड़ा बीनने वाले हाथ अब तेजी से चला रहे कम्प्यूटर, मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों का ये युवा बदल रहा तकदीर - Teacher s Day - TEACHER S DAY

शिक्षक दिवस पर आज हम आपको ऐसे युवा की कहानी बताने जा रहे हैं जो कि अपने सपनों को छोड़कर मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों का सपना साकार करने में लगा हुआ है. प्रयागराज में 'गली स्कूल' खोलकर बच्चों को अपने खर्चे पर शिक्षित कर काबिल बना रहा है. आइए जानते हैं पूरी स्टोरी...

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प्रयागराज में गली स्कूल. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 5, 2024, 4:19 PM IST

प्रयागराजः झुग्गी-झोपड़ियों में रहकर कूड़ा बीनने वाले बच्चे अब तेजी से हुनरमंद हो रहे हैं. जो पहले कूड़े के ढेर से दिनभर प्लास्टिक बीनकर उसे बाजार में बेचकर अपने परिवार की मदद करते थे, वे बच्चे अब कम्प्यूटर और लैपटॉप चला रहे हैं. इसके साथ ही कई चीजों का अविष्कार भी कर रहे हैं. यह सब संभव हुआ है एक युवा की मेहनत से. जौनपुर के रहने वाले विवेक दुबे अपनी तैयारी अधूरी छोड़कर झुग्गी-झोपड़ी मलिन बस्तियों के बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं.

गली स्कूल में बदल रही मलिन बस्तियों के बच्चों की किस्मत. (Video Credit; ETV Bharat)

मलिन बस्तियों के बच्चों के लिए खोला गली स्कूलः विवेक एक बड़ा अधिकारी बनने का सपना लेकर प्रयागराज तैयारी करने आए थे. लेकिन आज मलिन बस्तियों व झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की जिंदगी सवारने में लगे हैं. विवेक ने एक ऐसा स्कूल बनाया है, जहा पर झुग्गी झोपड़ी बस्तियों में रहने वाले बच्चे पढ़ाई करते हैं. इस 'गली स्कूल' में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता कबाड़ बीनने या मजदूरी का काम करते हैं. आर्थिक तंगी के चलते इन बस्तियों में रहने वाले बच्चे स्कूल जा नहीं सकते थे. लेकिन कीडगंज इलाके में बने इस गली स्कूल में झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के सपने पूरा करने का काम किया जाता है.

दाव पर लगा दी अपनी शिक्षाः विवेक दुबे पिछले कई सालों से इन बच्चों के जिंदगीं में रंग भर रहे हैं. जिन्होंने अपने सपनों को बीच में छोड़कर अब झुग्गी बस्ती में रहने वाले बच्चों की जिंदगी को संवारने का बीड़ा उठाया है. विवेक मूल रूप से जौनपुर जिले के रहने वाले हैं. इनके पिता एक किसान हैं और खेत से उगने वाले अनाज से उनके पूरे परिवार का खर्चा चलता है. एक भाई को खोने के बाद विवेक के पिता उन्हें पढ़ा लिखा कर अधिकारी बनाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अपनी बेटे को प्रयागराज पढ़ने के लिए भेजा था. लेकिन विवेक का मन सड़क किनारे छोटे बच्चों के लिए काम करने के लिए बदल गया.

लगभग 3 सौ बच्चों को दे रहे शिक्षाः झुग्गी झोपड़ी बस्तियों में रहने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए विवेक ने अपनी शिक्षा को दांव पर लगा दिया. इसके बाद उन्होंने प्रयागराज के कीडगंज इलाके के पुराने पुल से लेकर नए पुल तक सभी झुग्गी बस्तियों में रहने वाले बच्चों का पढ़ाने का काम शुरू कर दिया. इसके लिए विवेक ने गली में एक छोटा स्कूल भी खोल दिया, ताकि बस्तियों में रहने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जा सके. 3 सौ से ज्यादा बच्चे इस गली के स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर कर रहे हैं. यही नहीं इन बच्चों ने तकनीकी रूप से भी अपने आप को मजबूत कर लिया है. गली के इस स्कूल में ऐसे छोटे ‘वैज्ञानिक’ हैं. जिन्होंने कबाड़ के सामान से कूलर, टेबल फैन, गोबरगैस प्लांट, पेरिस्कोप, सब्जी कटर जैसी रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले सामानों को बनाया है. कई बच्चे तो नौकरी की तैयारी कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-बिना संसाधन के 'गली स्कूल' में तैयार हो रहे नन्हें वैज्ञानिक

प्रयागराजः झुग्गी-झोपड़ियों में रहकर कूड़ा बीनने वाले बच्चे अब तेजी से हुनरमंद हो रहे हैं. जो पहले कूड़े के ढेर से दिनभर प्लास्टिक बीनकर उसे बाजार में बेचकर अपने परिवार की मदद करते थे, वे बच्चे अब कम्प्यूटर और लैपटॉप चला रहे हैं. इसके साथ ही कई चीजों का अविष्कार भी कर रहे हैं. यह सब संभव हुआ है एक युवा की मेहनत से. जौनपुर के रहने वाले विवेक दुबे अपनी तैयारी अधूरी छोड़कर झुग्गी-झोपड़ी मलिन बस्तियों के बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं.

गली स्कूल में बदल रही मलिन बस्तियों के बच्चों की किस्मत. (Video Credit; ETV Bharat)

मलिन बस्तियों के बच्चों के लिए खोला गली स्कूलः विवेक एक बड़ा अधिकारी बनने का सपना लेकर प्रयागराज तैयारी करने आए थे. लेकिन आज मलिन बस्तियों व झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की जिंदगी सवारने में लगे हैं. विवेक ने एक ऐसा स्कूल बनाया है, जहा पर झुग्गी झोपड़ी बस्तियों में रहने वाले बच्चे पढ़ाई करते हैं. इस 'गली स्कूल' में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता कबाड़ बीनने या मजदूरी का काम करते हैं. आर्थिक तंगी के चलते इन बस्तियों में रहने वाले बच्चे स्कूल जा नहीं सकते थे. लेकिन कीडगंज इलाके में बने इस गली स्कूल में झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के सपने पूरा करने का काम किया जाता है.

दाव पर लगा दी अपनी शिक्षाः विवेक दुबे पिछले कई सालों से इन बच्चों के जिंदगीं में रंग भर रहे हैं. जिन्होंने अपने सपनों को बीच में छोड़कर अब झुग्गी बस्ती में रहने वाले बच्चों की जिंदगी को संवारने का बीड़ा उठाया है. विवेक मूल रूप से जौनपुर जिले के रहने वाले हैं. इनके पिता एक किसान हैं और खेत से उगने वाले अनाज से उनके पूरे परिवार का खर्चा चलता है. एक भाई को खोने के बाद विवेक के पिता उन्हें पढ़ा लिखा कर अधिकारी बनाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अपनी बेटे को प्रयागराज पढ़ने के लिए भेजा था. लेकिन विवेक का मन सड़क किनारे छोटे बच्चों के लिए काम करने के लिए बदल गया.

लगभग 3 सौ बच्चों को दे रहे शिक्षाः झुग्गी झोपड़ी बस्तियों में रहने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए विवेक ने अपनी शिक्षा को दांव पर लगा दिया. इसके बाद उन्होंने प्रयागराज के कीडगंज इलाके के पुराने पुल से लेकर नए पुल तक सभी झुग्गी बस्तियों में रहने वाले बच्चों का पढ़ाने का काम शुरू कर दिया. इसके लिए विवेक ने गली में एक छोटा स्कूल भी खोल दिया, ताकि बस्तियों में रहने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जा सके. 3 सौ से ज्यादा बच्चे इस गली के स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर कर रहे हैं. यही नहीं इन बच्चों ने तकनीकी रूप से भी अपने आप को मजबूत कर लिया है. गली के इस स्कूल में ऐसे छोटे ‘वैज्ञानिक’ हैं. जिन्होंने कबाड़ के सामान से कूलर, टेबल फैन, गोबरगैस प्लांट, पेरिस्कोप, सब्जी कटर जैसी रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले सामानों को बनाया है. कई बच्चे तो नौकरी की तैयारी कर रहे हैं.

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