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धमतरी में पराली जलाने पर प्रतिबंध का नहीं दिख रहा असर, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट - BURNING STUBBLE IN DHAMTARI

छत्तीसगढ़ के धमतरी में किसान रोक के बावजूद भी पराली जला रहे हैं. पेश है ईटीवी संवाददाता अभिषेक मिश्रा की रिपोर्ट

BAN ON BURNING STUBBLE
धमतरी में पराली जला रहे किसान (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

धमतरी: छत्तीसगढ़ में पराली जलाने पर प्रतिबंध है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी पराली जलाने को लेकर रोक लगाई गई है. उसके बावजूद किसान खेतों में पराली जलाते हैं. धमतरी में बुधवार को कुछ ऐसा हुआ. जब बागतराई गांव के पास खेतों में पराली जलाई गई. यहां किसानों ने खेतों में बची पराली को आग के हवाले कर दिया. जिससे पूरा इलाका धुआं धुआं हो गया.

धमतरी में जलाई जा रही पराली: धमतरी के बाईपास से लगे बागतराई गांव में किसानों ने खेत में पराली जलाई. कई एकड़ में पराली में किसानों ने आग लगाई. ईटीवी भारत के संवाददाता अभिषेक मिश्रा की इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ. आप भी तस्वीरों में देख सकते हैं कि कैसे खेतों में आग लगाई गई है. जिससे पूरे इलाके में धुआं फैल गया. शासन-प्रशासन की ओर से पराली जलाने वाले किसानों पर अर्थदण्ड भी किया जाता है, लेकिन किसानों द्वारा नियमों की अवहेलना किया जाता है. यह खेत किसका है और किन किसानों ने पराली जलाई इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है.

धमतरी में जलाई जा रही पराली (ETV BHARAT)

परली जलाने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान: पराली जलाने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है. इससे वायु प्रदूषण तो होता ही है इसके साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होती है. पराली जलाने से पार्टिकुलेंट मैटर, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसे हानिकारक गैस निकलते हैं. इससे लोगों को सांस की बीमारियां होती है. जिससे कई तरह की परेशानी लोगों और जीवों को झेलनी पड़ती है.

ग्रीनहाउस गैस का होता है उत्सर्जन: पराली जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी ग्रीन हाउस गैस निकलती हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन में तेजी आती है. इससे पर्यावरण पर घातक असर पड़ता है. पराली जलाने से क्रॉप रेसिड्यू में मौजूद आवश्यक पोषक तत्वों में तेजी से गिरावट आती है. जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति पर असर पड़ता है.

पराली जलाने से मिट्टी में रहने वाले जीवों को नुकसान पहुंचता है. यह पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करती है. इससे बायोडायवर्सिटी में गिरावट दर्ज होती है. इसके अलावा लोगों को पराली के धुएं से कई गंभीर बीमारियां होती है. मनुष्यों के अलावा पराली से जीव जंतुओं को भी बेहद नुकसान पहुंचता है.

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धमतरी: छत्तीसगढ़ में पराली जलाने पर प्रतिबंध है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी पराली जलाने को लेकर रोक लगाई गई है. उसके बावजूद किसान खेतों में पराली जलाते हैं. धमतरी में बुधवार को कुछ ऐसा हुआ. जब बागतराई गांव के पास खेतों में पराली जलाई गई. यहां किसानों ने खेतों में बची पराली को आग के हवाले कर दिया. जिससे पूरा इलाका धुआं धुआं हो गया.

धमतरी में जलाई जा रही पराली: धमतरी के बाईपास से लगे बागतराई गांव में किसानों ने खेत में पराली जलाई. कई एकड़ में पराली में किसानों ने आग लगाई. ईटीवी भारत के संवाददाता अभिषेक मिश्रा की इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ. आप भी तस्वीरों में देख सकते हैं कि कैसे खेतों में आग लगाई गई है. जिससे पूरे इलाके में धुआं फैल गया. शासन-प्रशासन की ओर से पराली जलाने वाले किसानों पर अर्थदण्ड भी किया जाता है, लेकिन किसानों द्वारा नियमों की अवहेलना किया जाता है. यह खेत किसका है और किन किसानों ने पराली जलाई इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है.

धमतरी में जलाई जा रही पराली (ETV BHARAT)

परली जलाने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान: पराली जलाने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है. इससे वायु प्रदूषण तो होता ही है इसके साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होती है. पराली जलाने से पार्टिकुलेंट मैटर, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसे हानिकारक गैस निकलते हैं. इससे लोगों को सांस की बीमारियां होती है. जिससे कई तरह की परेशानी लोगों और जीवों को झेलनी पड़ती है.

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पराली जलाने से मिट्टी में रहने वाले जीवों को नुकसान पहुंचता है. यह पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करती है. इससे बायोडायवर्सिटी में गिरावट दर्ज होती है. इसके अलावा लोगों को पराली के धुएं से कई गंभीर बीमारियां होती है. मनुष्यों के अलावा पराली से जीव जंतुओं को भी बेहद नुकसान पहुंचता है.

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