कोरबा: विश्व की दूसरी सबसे बड़ी खदान, गेवरा में पहुंचकर कोयला, खान और इस्पात संबंधी संसदीय स्थायी समिति के सदस्यों ने खनन गतिविधियों की जानकारी ली. 21-22 जनवरी 2025 के बीच छत्तीसगढ़ में सांसदों की समिति अध्ययन दौरा कर रही है.
गेवरा खदान के दौरे पर संसदीय समिति के सदस्य: गेवरा खदान का दौरा पूरा करने के बाद एसईसीएल (South eastern coal field limited) ने अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल से पोस्ट कर, देर शाम सोशल मीडिया के जरिए इस महत्वपूर्ण दौरे की जानकारी साझा की है. यह भी बताया कि यह दौरा अध्ययन के उद्देश्य से किया जा रहा है. हालांकि खदानों के लिए अपनी जमीन देने वाले समस्याओं से घिरे भूविस्थापित को इस विशेष समिति से मिलने का मौका नहीं दिया गया. एसईसीएल ने दौरे के पहले कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की थी. इस दौरे को गोपनीय रखे जाने लेकर स्थानीय निवासियों में नाराजगी भी है.
झारखंड सांसद समिति के अध्यक्ष : दौरे के पहले दिन मंगलवार को समिति के सदस्यों ने कन्वेनर कार्यवाहक अध्यक्ष विजय हांसदा जो झारखंड के राजमहल लोकसभा क्षेत्र के सांसद हैं. उनके नेतृत्व में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी एसईसीएल की गेवरा खदान का दौरा किया. इस दौरान सदस्यों ने व्यू पॉइंट से खदान के संचालन को देखा.
गेवरा की टीम ने एक फिल्म व पीपीटी के माध्यम से समिति के सदस्यों को खनन कार्यों, सुरक्षा उपायों, ईको-फ्रेंडली एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के बारे में संसदीय समिति के सदस्यों को बताया. खदान दौरे के बाद समिति ने कोयला मंत्रालय, कोल इंडिया व एसईसीएल के प्रतिनिधियों के साथ कोयला खदानों में सुरक्षा विषय पर अनौपचारिक चर्चा में भाग लिया. दौरे के दौरान एसईसीएल एवं कोल इंडिया के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे.
घटते उत्पादन को लेकर प्रबंध नहीं चिंतित : गेवरा विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदान है. जबकि इससे लगी हुई कुसमुंडा, दीपका माइनस भी एसईसीएल की मेगा परियोजना है. इन कोयला खदानों में अपेक्षाकृत कोयले का उत्पादन नहीं हो रहा है. मेगा परियोजनाओं द्वारा उत्पादन का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाने के कारण एसईसीएल अपने कोयला उत्पादन के लक्ष्य से लगातार पिछड़ रहा है. विस्थापितों की समस्याएं लगातार बनी हुई हैं. रोजगार पुनर्वास और मुआवजा संबंधी प्रकरणों का समाधान नहीं हो रहा है. जिसके कारण खदानों में लगातार आंदोलन और धरना प्रदर्शन चलता रहता है. इससे उत्पादन प्रभावित हुआ है. इसे लेकर कोल मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी भी चिंतित हैं. संसदीय स्थायी समिति के इस दौरे को इन मुद्दों से जोड़कर भी देखा जा रहा है.