मिर्जापुर/वाराणसीः गंगा नदी अपने रौद्र रूप में बह रही हैं. वाराणसी और मिर्जापुर में गंगा नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ने से घाट डूब गए हैं. तीन दिन से लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण अब विंध्याचल के सभी घाट पूरी तरह से डूब गए हैं. प्रसिद्ध पक्का घाट, दिवान घाट भी जलमग्न हो गया है. घाटों पर रखी पंडितों के चौकियां, महिलाओं के चेंजिंग रूम, घाट पर लगे बिजली के खम्भे, रेलिंग और श्रद्धालुओं के बैठने लिए बने कुर्सियां पानी में डूब गया है. वहीं, वाराणसी में भी 84 घाट पानी में डूब गए हैं. गंगा नदी में नाव चलाने पर भी रोक लगा दिया गया है.
गंगा में बाढ़ के कारण विंध्याचल धाम में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए नाव के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. जिससे नाविक अपने नाव को किनारे लगा दिए है. घाट पर मौजूद पंडित ओम प्रकाश मिश्रा ने बताया कि तीन दिन से लगातार गंगा बढ़ रही है, जिसके कारण घाट डूब गया है. हम अपने सामान को ऊपर समेट कर चले आए हैं. श्रद्धालुओं को स्नान करवाने के लिए बास की बल्ली लगवा कर स्नान करवाया जा रहा है. यहां पर कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है. तीन दिन से लगातार बढ़ रहे पानी के चलते गंगा के आरती का भी स्थान बदल गया है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार मिर्जापुर में गंगा का जलस्तर शुक्रवार के सुबह 1.125 सेंटी मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है. शुक्रवार की सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 73.55 मीटर रिकॉर्ड किया गया. वर्तमान में गंगा खतरे के निशान से करीब 4.174 मीटर दूर हैं.
बनारस में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 3 मीटर दूर
वाराणसी में गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी तेज हो गई है. जिसकी वजह से गंगा घाटों का संपर्क एक बार फिर से टूट गया है. अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट और नमो घाट पर पूरी तरह से पानी आ गया है.तेजी से बढ़ रहे गंगा के जलस्तर की वजह से छोटी नावों के संचालक पर भी रोक लगा दी गई है. गंगा के जल स्तर को लेकर लगातार केंद्रीय जल आयोग और एनडीआरएफ की टीमें लगातार निगरानी कर रही है. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक म सुबह 9:00 तक वाराणसी में गंगा का 68.23 किया गया है, जो खतरे के निशान से करीब 3 मीटर दूर है. वाराणसी में खतरे का 71.26 फीट है, जबकि वार्निंग लेवल 70.26 मीटर है. गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण उसकी सहायक नदी वरुणा का जलस्तर भी बढ़ रहा है. जिसकी वजह से लगभग 50000 से ज्यादा की आबादी बेघर होने की कगार पर है. क्योंकि गंगा की तरह ही वरुणा के निचले स्तर पर बहुत से लोगों ने अपने मकान बना रखे हैं, जो पानी भरने की वजह से घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तरफ जाना पड़ता है.