बीकानेर. सनातन धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है. किसी भी मांगलिक कार्य, अनुष्ठान पूजा व आराधना में सबसे पहले भगवान गणेश का स्मरण करते हुए उनकी स्तुति की जाती है और प्रायोजित कार्य के निर्विघ्न पूरे होने की कामना करने के बाद ही मांगलिक कार्य, अनुष्ठान-यज्ञ पूजा की जाती है. हर माह में दो बार चतुर्थी तिथि आती है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं व कृष्ण पक्ष चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. मान्यता है भगवान गणेश का जन्म शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था. इसलिए इसे विनायक चतुर्थी तिथि कहते हैं.
भगवान गणेश की पूजा : विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा आराधना करने से जीवन में सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान गणेश पूजा की करने के साथ ही व्रत करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है.
नहीं आता कोई विघ्न : भगवान गणेश को बुद्धि का दाता कहा जाता है. जीवन में किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए बार-बार आ रहे संकट और बाधाओं से मुक्ति के लिए भगवान गणेश की पूजा आराधना करने के लिए चतुर्थी तिथि श्रेष्ठ मानी जाती है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से किसी भी कार्य में कोई विघ्न नहीं आता है.
लगाएं यह भोग: भगवान गणेश की पूजा आराधना करने के साथ ही उन्हें मोदक और घी से बने पकवान का भोग लगाना चाहिए. इसके साथ ही भगवान गणेश की आराधना में दूर्वा का उपयोग करने का भी विशेष महत्व है. इस दिन भगवान को दूर्वा अर्पित करना चाहिए. इस दिन प्रभु के 108 नामों का स्मरण करने और संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करने कि साथ ही गणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए.