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लोहाघाट में गर्भवती को डोली पर बैठाकर 8 किमी चले ग्रामीण, एंबुलेंस में गूंजी किलकारी - Villagers Took Pregnant Woman Doli - VILLAGERS TOOK PREGNANT WOMAN DOLI

Villagers Took Pregnant Woman on Doli सरकार के दावों में कितनी हकीकत होती है, ये लोहाघाट से सामने आई तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है. जहां सड़क सुविधा न होने पर ग्रामीण गर्भवती महिला को डोली के सहारे 8 किलोमीटर पैदल चले. जिसके बाद उसे सड़क तक पहुंचकर एंबुलेंस में बिठाया गया. जहां अस्पताल जाते समय महिला का एंबुलेंस में ही प्रसव हो गया.

VILLAGERS TOOK PREGNANT WOMAN DOLI
गर्भवती को अस्पताल ले जाते ग्रामीण (फोटो- ग्रामीण)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 13, 2024, 2:07 PM IST

चंपावत: पहाड़ों में सरकार और उनके नुमाइंदों ने कितना विकास किया? इसका जवाब वो लोग ही दे सकते हैं, जो मरीजों को कंधों पर लादकर कई किलोमीटर पैदल की दूरी नापते हैं. ऐसी ही तस्वीरें चंपावत के लोहाघाट क्षेत्र से सामने आया है. जहां ग्रामीण गर्भवती को प्रसव के लिए 8 किलोमीटर दूर कुर्सी (डोली) में बैठाकर सड़क तक ले गए. इसके बाद एंबुलेंस के जरिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही महिला ने एंबुलेंस में बच्चे को जन्म दे दिया.

दरअसल, पूरा मामला लोहाघाट के बाराकोट ब्लॉक के दूरस्थ सील गांव का है. जहां सील गांव के गोविंद सिंह की पत्नी कमला देवी को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद परिजनों ने ग्रामीणों को इकट्ठा किया और कमला देवी को अस्पताल पहुंचाने का फैसला लिया. ऐसे में कमला देवी को डोली पर बैठाकर ग्रामीण अस्पताल की तरफ निकल गए. 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई और खतरनाक रास्तों से होकर महिला को सड़क मार्ग तक पहुंचाया. जहां से उसे एंबुलेंस में बिठाया गया.

महिला ने एंबुलेंस में ही दिया बेटी को जन्म: गर्भवती महिला के साथ आई आशा वर्कर निर्मला ने बताया पातल से गर्भवती महिला को 108 के जरिए लोहाघाट उप जिला अस्पताल लाया जा रहा था. तभी रास्ते में कमला देवी की प्रसव पीड़ा बढ़ गई. जिस कारण जंगल में एंबुलेंस में ही डिलीवरी करवानी पड़ी. जहां महिला ने एक बेटी को जन्म दिया है. जिसके बाद महिला को लोहाघाट उप जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.

अभी तक नहीं बन पाई सड़क: ग्रामीणों का आरोप है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के 3 साल बाद भी सील गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई, जो बड़े दुर्भाग्य की बात है. जिसका खामियाजा ग्रामीणों को आए दिन भुगतना पड़ रहा है. सड़क सुविधा न होने से इलाज समय पर ना मिल पाने के कारण कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. ग्रामीणों ने गांव के मार्ग को जल्द ठीक करने की सरकार से गुहार लगाई है.

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दरअसल, पूरा मामला लोहाघाट के बाराकोट ब्लॉक के दूरस्थ सील गांव का है. जहां सील गांव के गोविंद सिंह की पत्नी कमला देवी को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद परिजनों ने ग्रामीणों को इकट्ठा किया और कमला देवी को अस्पताल पहुंचाने का फैसला लिया. ऐसे में कमला देवी को डोली पर बैठाकर ग्रामीण अस्पताल की तरफ निकल गए. 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई और खतरनाक रास्तों से होकर महिला को सड़क मार्ग तक पहुंचाया. जहां से उसे एंबुलेंस में बिठाया गया.

महिला ने एंबुलेंस में ही दिया बेटी को जन्म: गर्भवती महिला के साथ आई आशा वर्कर निर्मला ने बताया पातल से गर्भवती महिला को 108 के जरिए लोहाघाट उप जिला अस्पताल लाया जा रहा था. तभी रास्ते में कमला देवी की प्रसव पीड़ा बढ़ गई. जिस कारण जंगल में एंबुलेंस में ही डिलीवरी करवानी पड़ी. जहां महिला ने एक बेटी को जन्म दिया है. जिसके बाद महिला को लोहाघाट उप जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.

अभी तक नहीं बन पाई सड़क: ग्रामीणों का आरोप है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के 3 साल बाद भी सील गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई, जो बड़े दुर्भाग्य की बात है. जिसका खामियाजा ग्रामीणों को आए दिन भुगतना पड़ रहा है. सड़क सुविधा न होने से इलाज समय पर ना मिल पाने के कारण कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. ग्रामीणों ने गांव के मार्ग को जल्द ठीक करने की सरकार से गुहार लगाई है.

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