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ग्रामीणों ने रोका सुमाड़ी एनआईटी परिसर का काम, तीखी नोकझोंक से गरमाया मामला, जानिए वजह - Sumari NIT Building Construction

Sumari Villagers Stopped NIT Work उत्तराखंड के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी एनआईटी का स्थायी परिसर पौड़ी के सुमाड़ी में बनाया जा रहा है, लेकिन निर्माण कार्य को लेकर ग्रामीण आक्रोश में है. इस बार भी ग्रामीणों ने निर्माण कार्य रुकवा दिया. इस दौरान ग्रामीणों और कार्यदायी संस्था के कर्मचारियों के बीच नोकझोंक भी हुई.

SUMARI NIT BUILDING CONSTRUCTION
ग्रामीणों में आक्रोश (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 22, 2024, 5:41 PM IST

श्रीनगर: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी एनआईटी उत्तराखंड के स्थायी परिसर के निर्माण कार्य को सुमाड़ी के ग्रामीणों ने रुकवा दिया. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जिस जगह पर एनआईटी के स्थायी परिसर का भूमि पूजन हुआ है, उससे काफी दूर एनआईटी का निर्माण कार्य किया जा रहा है. साथ ही ग्रामीणों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया. वहीं, ग्रामीणों ने एक हफ्ते के भीतर एनआईटी, जिला प्रशासन, एनबीसीसी समेत कार्यदायी कंपनी के साथ संयुक्त रूप से बैठक करने की मांग की.

एनआईटी उत्तराखंड के स्थायी परिसर का निर्माण कार्य ठीक से शुरू भी नहीं हुआ था कि ग्रामीण विरोध में उतर आए हैं. इसी कड़ी में चमराड़ा बैंड के पास एनआईटी परिसर निर्माण में जुटी कंपनी के ऑफिस के बाहर सुमाड़ी गांव के ग्रामीण जमा हो गए. जहां ग्रामीणों ने एनआईटी प्रशासन समेत जिला प्रशासन पर अनदेखी करने और चिन्हित स्थान पर निर्माण कार्य न करवाने को लेकर आक्रोश जताया. इस दौरान ग्रामीणों और कार्यदायी संस्था के अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई.

इतना ही नहीं आक्रोशित ग्रामीणों ने कार्यदायी कंपनी का ऑफिस तक बंद करवा दिया. इसके बाद साइट इंचार्ज विकास बाबू के निर्देश पर ऑफिस में कर्मचारियों ने सांकेतिक रूप से ताले लगाने के साथ काम बंद कर दिया. साइट इंचार्ज के समझाने और आश्वासन के बाद ग्रामीण वापस घर लौटे. साथ ही एक हफ्ते के भीतर वार्ता करने की बात कही.

ग्रामीण विपुल जोशी ने कहा कि दो बार एनआईटी के स्थाई परिसर निर्माण को लेकर भूमि पूजन हो चुका है. साल 2019 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जिस स्थान पर भूमि पूजन किया. उस जगह से 3 किमी दूर पर निर्माण कार्य हो रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने अपनी 82 हेक्टेयर भूमि एनआईटी को दान दी थी. ताकि, क्षेत्र के विकास के साथ ग्रामीणों को रोजगार मिल सके.

वहीं, ग्राम प्रधान सत्यदेव बहुगुणा ने कहा कि मई महीने में मामले को लेकर ग्रामीणों ने पौड़ी डीएम आशीष चौहान से मुलाकात की थी. उनकी ओर से ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया था कि एनआईटी, एनबीसीसी समेत कार्यदायी संस्था के साथ बैठक कराई जाएगी. अभी तक कोई बैठक ग्रामीणों के साथ नहीं हुई है. न ही गांव के किसी सदस्य को रोजगार दिया गया.

बीडीसी सदस्य मनोज भट्ट ने आरोप लगाते हुए कहा कि यहां निर्माण कार्य के लिए कंपनी की ओर से स्टोन क्रशर लगाया जा रहा है. यह स्टोन क्रशर मानकों को ताक पर रखकर लगाया जा रहा है. आस-पास आवासीय बस्तियां और ग्रामीणों की वन भूमि है. अगर प्रशासन जल्द उनकी रोजगार, शिलान्यास स्थल पर निर्माण, स्टोन क्रशर बंद करने समेत अन्य मांगों पर कार्रवाई नहीं करता है तो मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा.

क्या बोले कार्यदायी संस्था के एजीएम? वहीं, कार्यदायी संस्था एनबीसीसी के एजीएम सौरभ त्यागी ने बताया कि ग्रामीणों ने काम रोक दिया था. जिस संबंध में एनआईटी प्रशासन को अवगत करा दिया गया है. इसके साथ ही ग्रामीणों की जो भी समस्या थी, उस संबंध में भी एनआईटी और प्रशासन को बता दिया गया है. उन्होंने कहा कि काम रोके जाने से साइड में काम करने में दिक्कतें पेश आ रही है.

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एनआईटी उत्तराखंड के स्थायी परिसर का निर्माण कार्य ठीक से शुरू भी नहीं हुआ था कि ग्रामीण विरोध में उतर आए हैं. इसी कड़ी में चमराड़ा बैंड के पास एनआईटी परिसर निर्माण में जुटी कंपनी के ऑफिस के बाहर सुमाड़ी गांव के ग्रामीण जमा हो गए. जहां ग्रामीणों ने एनआईटी प्रशासन समेत जिला प्रशासन पर अनदेखी करने और चिन्हित स्थान पर निर्माण कार्य न करवाने को लेकर आक्रोश जताया. इस दौरान ग्रामीणों और कार्यदायी संस्था के अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई.

इतना ही नहीं आक्रोशित ग्रामीणों ने कार्यदायी कंपनी का ऑफिस तक बंद करवा दिया. इसके बाद साइट इंचार्ज विकास बाबू के निर्देश पर ऑफिस में कर्मचारियों ने सांकेतिक रूप से ताले लगाने के साथ काम बंद कर दिया. साइट इंचार्ज के समझाने और आश्वासन के बाद ग्रामीण वापस घर लौटे. साथ ही एक हफ्ते के भीतर वार्ता करने की बात कही.

ग्रामीण विपुल जोशी ने कहा कि दो बार एनआईटी के स्थाई परिसर निर्माण को लेकर भूमि पूजन हो चुका है. साल 2019 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जिस स्थान पर भूमि पूजन किया. उस जगह से 3 किमी दूर पर निर्माण कार्य हो रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने अपनी 82 हेक्टेयर भूमि एनआईटी को दान दी थी. ताकि, क्षेत्र के विकास के साथ ग्रामीणों को रोजगार मिल सके.

वहीं, ग्राम प्रधान सत्यदेव बहुगुणा ने कहा कि मई महीने में मामले को लेकर ग्रामीणों ने पौड़ी डीएम आशीष चौहान से मुलाकात की थी. उनकी ओर से ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया था कि एनआईटी, एनबीसीसी समेत कार्यदायी संस्था के साथ बैठक कराई जाएगी. अभी तक कोई बैठक ग्रामीणों के साथ नहीं हुई है. न ही गांव के किसी सदस्य को रोजगार दिया गया.

बीडीसी सदस्य मनोज भट्ट ने आरोप लगाते हुए कहा कि यहां निर्माण कार्य के लिए कंपनी की ओर से स्टोन क्रशर लगाया जा रहा है. यह स्टोन क्रशर मानकों को ताक पर रखकर लगाया जा रहा है. आस-पास आवासीय बस्तियां और ग्रामीणों की वन भूमि है. अगर प्रशासन जल्द उनकी रोजगार, शिलान्यास स्थल पर निर्माण, स्टोन क्रशर बंद करने समेत अन्य मांगों पर कार्रवाई नहीं करता है तो मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा.

क्या बोले कार्यदायी संस्था के एजीएम? वहीं, कार्यदायी संस्था एनबीसीसी के एजीएम सौरभ त्यागी ने बताया कि ग्रामीणों ने काम रोक दिया था. जिस संबंध में एनआईटी प्रशासन को अवगत करा दिया गया है. इसके साथ ही ग्रामीणों की जो भी समस्या थी, उस संबंध में भी एनआईटी और प्रशासन को बता दिया गया है. उन्होंने कहा कि काम रोके जाने से साइड में काम करने में दिक्कतें पेश आ रही है.

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