पौड़ी: उत्तराखंड में जहां एक के बाद एक जंगल वनाग्नि की भेंट चढ़ रहे हैं तो वहीं पौड़ी ब्लॉक के वन पंचायत निसणी ने अनोखी मिसाल पेश की है. जहां ग्रामीणों ने 'एकता में बल है' के उदाहरण को चरितार्थ किया है. उन्होंने एकजुट होकर बांज और बुरांश के घने और बेशकीमती जंगल को जलने से बचाया है.
बता दें कि इन दिनों पौड़ी मुख्यालय के सिविल क्षेत्रों में जंगल धधक रहे हैं. बीती बुधवार शाम पौड़ी ब्लॉक के निसणी वन पंचायत में अचानक आग लग गई. आग हरे भरे काफल, बांज, बुरांश के घने जंगल तक पहुंच सकती, लेकिन इससे पहले ग्रामीणों ने मोर्चा संभाल लिया और समय पर वन विभाग को सूचित किया. इतना ही नहीं सरपंच सुमित्रा देवी की अगुवाई में सभी ग्रामीण जंगल को आग से बचाने के लिए गैंती, फावड़े, रैक आदि लेकर जंगल पहुंच गए.
वहीं, सरपंच सुमित्रा देवी ने गांव में आग बुझाने को लेकर मुनादी भी करवाई. इसके बाद उन्होंने वन कर्मियों के साथ मौके पर पहुंचकर आग को नियंत्रित करने का प्रयास किया, लेकिन पहाड़ी पर तेज हवा चलने से आग काबू नहीं हुई तो दमकल वाहन बुलाना पड़ा. जहां ग्रामीणों और वन कर्मियों ने मिलकर आग पर काबू पाया. जिससे बेशकीमती जंगल जलने से बच गए.
पौड़ी डीएफओ सिविल प्रदीप कुमार धौलाखंडी ने बताया कि आग से करीब एक चौथाई जंगल जला, लेकिन समय रहते आग को बुझा लिया गया. जिससे बाकी बचे जंगल को धधकने से बचा लिया गया. इस दौरान उन्होंने आग बुझाने में सहयोग करने पर ग्रामीणों की सराहना की. वहीं, आग बुझाने में वन पंचायत गहड़ के सरपंच विपिन सिंह, नरेश रावत, दिनेश रावत, सुनील भंडारी, हरीश गुसाईं आदि शामिल रहे.
वन पंचायत के कड़े नियमों से बचे जंगल: सरपंच सुमित्रा देवी ने बताया कि वन पंचायत के नियमों के मुताबिक, हर परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को आग बुझाने के लिए अनिवार्य रूप से पहुंचना होगा, नहीं तो उस परिवार पर वन पंचायत जुर्माना भी तय करता है. साख ही उन्हें वनों के लाभ से वंचित किया जाता है. उन्होंने बताया कि इसी कड़े नियम के बूते सभी ग्रामीण आग बुझाने के लिए पहुंचे, जिससे उनका यह प्रयास फलीभूत रहा.
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