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जान जोखिम में डालकर गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण, प्रशासन बोला जल्द करेंगे समाधान

कांकेर जिले के सुदूर इलाकों में आज भी ग्रामीण गंदा पानी की समस्या से जूझ रहे हैं.

dirty water Problem in kanker
गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 24, 2024, 7:43 AM IST

Updated : Oct 24, 2024, 8:12 AM IST

कांकेर : कांकेर जिले के अंदुरुनी इलाकों में आज भी कई ऐसे गांव हैं. जहां लोगों के पास अपनी प्यास बुझाने के लिए भी साफ पानी नहीं है. मजबूरन ग्रामीण जंगल पहाड़ों के बीच बने झिरिया का पानी पीने को मजबूर है. आपको बता दें कि कई गांवों में हैंडपंप से निकलने वाले पानी में आयरन की मात्रा ज्यादा है.जिसके कारण पानी पीने लायक नहीं है.इसलिए ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए प्राकृतिक स्त्रोतों पर निर्भर रहते हैं.इन स्त्रोतों तक पहुंचने के लिए भी ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है.यही नहीं महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुरुष हाथों में डंडा लिए जंगलों में घूमते रहते हैं.

गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण: मरकाचुआ गांव में 200 और बीजापारा में लगभग 23 लोग रहते है. इनका जीवन क्षेत्र से बहने वाली कोटरी नदी के दूषित पानी से गुजर रहा है. ग्रामीण इस पानी का उपयोग पीने सहित अपने दैनिक दिनचर्या के लिए करते हैं. ये पानी इतना गंदा है कि इसे पीकर कोई भी बीमार पड़ जाए. बावजूद इसके ग्रामीण मजबूरी में अपनी प्यास बुझाने इसी गंदे पानी को पी रहे हैं.इस गंदे पानी के लिए भी ग्रामीणों को रोजना संघर्ष करना पड़ता है. झिरिया का पानी लाने के लिए ग्रामीणों को जंगली पहाड़ी रास्तों को पार करके आना जाना पड़ता है. गांव की महिलाएं एक साथ लगभग दर्जनों की संख्या में नदी तक जाकर पानी निकालती हैं.

झिरिया का पानी दो साल से पी रहे हैं.वो भी गंदा रहता है.जिसके कारण हमें हर बार बीमार पड़ते हैं और डॉक्टर के पास जाना पड़ता है- रहवासी

गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण (ETV Bharat Chhattisgarh)

जंगली जानवरों का बना रहता है डर : पूरा इलाका जंगलों और पहाड़ों से घिरा होने के कारण भालू, सियार समेत दूसरे जंगली जानवरों के हमले का डर बना रहता है. पानी लेने जाने के दौरान महिलाओं के साथ में किसी प्रकार की कोई अनहोनी ना हो इसलिए पुरुष भी लाठी लिए सुरक्षा के लिए उनके साथ जाते हैं.

हमारी पानी की समस्या है.नल का पानी लाल निकलता है.इसलिए हम नदिया से पानी लेकर आते हैं.लेकिन नदी का पानी साफ नहीं होने के कारण बीमार पड़ते हैं. जंगल से जाकर पानी लाना पड़ता है.जंगल में भालू और दूसरे जानवरों का डर रहता है इसलिए लकड़ी लेकर जाते हैं- रहवासी

यही नहीं पानी की समस्या होने के कारण ग्रामीण जंगलों के पत्ते को तोड़, उसे पत्तल बना कर उसी में भोजन करते है ताकि बर्तन साफ ना करना पड़े. ऐसा नहीं कि ग्रामीणों ने साफ पानी की मांग ना की हो. ग्रामीणों ने हर उस दरवाजे में दस्तक दी जहां से उन्हें मदद की उम्मीद थी.लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं हुआ.

dirty water Problem in kanker
जान जोखिम में डालकर इकट्ठा कर रहे गंदा पानी (ETV Bharat Chhattisgarh)

मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी.आप लोगों के माध्यम से जानकारी हुई कि मरकाचुआ गांव के लोग झिरिया से पानी पी रहे हैं.मैं पीएचई विभाग के अधिकारियों से इस बारे में बात करके समस्या को सुलझाने की कोशिश करता हूं. -अंजोर सिंह पैकरा,एसडीएम पखांजूर

सरकारी योजनाओं का नहीं मिला लाभ : स्थानीय प्रशासन मामले को संज्ञान में लेते हुए जल्द समस्या के समाधान की बात कह रहा है. लेकिन इन ग्रामीणों की समस्या आखिर कब तक दूर होगी यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा. केंद्र एवं राज्य सरकार ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने का दावा करती है. नलजल योजना सहित दूसरी योजनाओं के माध्यम से जल आपूर्ति करने की बात होती है. लेकिन धरातल में यह योजना दम तोड़ती नजर आती है. जिसका उदाहरण है कांकेर जिले का ग्राम पंचायत मंडागांव का आश्रित गांव मरकाचुआ और बिजापारा. यहां के ग्रामीण स्वच्छ और शुद्ध पेयजल को तरस रहे हैं.

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कांकेर : कांकेर जिले के अंदुरुनी इलाकों में आज भी कई ऐसे गांव हैं. जहां लोगों के पास अपनी प्यास बुझाने के लिए भी साफ पानी नहीं है. मजबूरन ग्रामीण जंगल पहाड़ों के बीच बने झिरिया का पानी पीने को मजबूर है. आपको बता दें कि कई गांवों में हैंडपंप से निकलने वाले पानी में आयरन की मात्रा ज्यादा है.जिसके कारण पानी पीने लायक नहीं है.इसलिए ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए प्राकृतिक स्त्रोतों पर निर्भर रहते हैं.इन स्त्रोतों तक पहुंचने के लिए भी ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है.यही नहीं महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुरुष हाथों में डंडा लिए जंगलों में घूमते रहते हैं.

गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण: मरकाचुआ गांव में 200 और बीजापारा में लगभग 23 लोग रहते है. इनका जीवन क्षेत्र से बहने वाली कोटरी नदी के दूषित पानी से गुजर रहा है. ग्रामीण इस पानी का उपयोग पीने सहित अपने दैनिक दिनचर्या के लिए करते हैं. ये पानी इतना गंदा है कि इसे पीकर कोई भी बीमार पड़ जाए. बावजूद इसके ग्रामीण मजबूरी में अपनी प्यास बुझाने इसी गंदे पानी को पी रहे हैं.इस गंदे पानी के लिए भी ग्रामीणों को रोजना संघर्ष करना पड़ता है. झिरिया का पानी लाने के लिए ग्रामीणों को जंगली पहाड़ी रास्तों को पार करके आना जाना पड़ता है. गांव की महिलाएं एक साथ लगभग दर्जनों की संख्या में नदी तक जाकर पानी निकालती हैं.

झिरिया का पानी दो साल से पी रहे हैं.वो भी गंदा रहता है.जिसके कारण हमें हर बार बीमार पड़ते हैं और डॉक्टर के पास जाना पड़ता है- रहवासी

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जंगली जानवरों का बना रहता है डर : पूरा इलाका जंगलों और पहाड़ों से घिरा होने के कारण भालू, सियार समेत दूसरे जंगली जानवरों के हमले का डर बना रहता है. पानी लेने जाने के दौरान महिलाओं के साथ में किसी प्रकार की कोई अनहोनी ना हो इसलिए पुरुष भी लाठी लिए सुरक्षा के लिए उनके साथ जाते हैं.

हमारी पानी की समस्या है.नल का पानी लाल निकलता है.इसलिए हम नदिया से पानी लेकर आते हैं.लेकिन नदी का पानी साफ नहीं होने के कारण बीमार पड़ते हैं. जंगल से जाकर पानी लाना पड़ता है.जंगल में भालू और दूसरे जानवरों का डर रहता है इसलिए लकड़ी लेकर जाते हैं- रहवासी

यही नहीं पानी की समस्या होने के कारण ग्रामीण जंगलों के पत्ते को तोड़, उसे पत्तल बना कर उसी में भोजन करते है ताकि बर्तन साफ ना करना पड़े. ऐसा नहीं कि ग्रामीणों ने साफ पानी की मांग ना की हो. ग्रामीणों ने हर उस दरवाजे में दस्तक दी जहां से उन्हें मदद की उम्मीद थी.लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं हुआ.

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जान जोखिम में डालकर इकट्ठा कर रहे गंदा पानी (ETV Bharat Chhattisgarh)

मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी.आप लोगों के माध्यम से जानकारी हुई कि मरकाचुआ गांव के लोग झिरिया से पानी पी रहे हैं.मैं पीएचई विभाग के अधिकारियों से इस बारे में बात करके समस्या को सुलझाने की कोशिश करता हूं. -अंजोर सिंह पैकरा,एसडीएम पखांजूर

सरकारी योजनाओं का नहीं मिला लाभ : स्थानीय प्रशासन मामले को संज्ञान में लेते हुए जल्द समस्या के समाधान की बात कह रहा है. लेकिन इन ग्रामीणों की समस्या आखिर कब तक दूर होगी यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा. केंद्र एवं राज्य सरकार ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने का दावा करती है. नलजल योजना सहित दूसरी योजनाओं के माध्यम से जल आपूर्ति करने की बात होती है. लेकिन धरातल में यह योजना दम तोड़ती नजर आती है. जिसका उदाहरण है कांकेर जिले का ग्राम पंचायत मंडागांव का आश्रित गांव मरकाचुआ और बिजापारा. यहां के ग्रामीण स्वच्छ और शुद्ध पेयजल को तरस रहे हैं.

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Last Updated : Oct 24, 2024, 8:12 AM IST
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