नई दिल्ली: दिल्ली में विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है. आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. अब विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी की सरकार पर विपक्षी विधायकों की आवाज को दबाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा अपनी गलतियों और असफलताओं को छुपाने के लिए भाजपा विधायकों को सदन में बोलने का मौका नहीं दिया गया.
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि नियम-280 (विशेष उल्लेख) के अंतर्गत भाजपा विधायकों ओम प्रकाश शर्मा, मोहन सिंह बिष्ट, जितेंद्र महाजन, अभय वर्मा, अजय महावर और अनिल बाजपेई द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए नोटिस को स्वीकार करने के बावजूद सदन में बोलने और उसकी चर्चा करने की अनुमति नहीं दी गई. गुप्ता ने आरोप लगाया कि विपक्ष को बोलने का मौका न देने की मंशा के चलते स्पीकर द्वारा नियम-280 के प्रावधान को ही सदन की कार्यवाही से निकाल दिया गया. विरोधस्वरूप विपक्षी विधायकों ने सदन की कार्यवाही का वॉकआऊट कर दिया.
सदन में क़ानून व्यवस्था पर चर्चा हो रही है,लेकिन विपक्ष के नेता को बोलने का समय नहीं दिया जा रहा है।
— Vijender Gupta (@Gupta_vijender) November 29, 2024
विपक्ष के नेता को बोलने से रोकना तथा सिर्फ़ सत्तारूढ़ दल के नेताओं को बुलवाना।
इसका मतलब सरकार विपक्ष के खुलासों से डर गई है।
इन मुद्दों पर चर्चा करना चाहते थे नेता विपक्ष: नेता विपक्ष ने कहा अरविंद केजरीवाल के शीशमहल पर करोड़ों रुपये के भोग-विलासिता के संसाधन जुटाए जाने, रोहिंग्याओं को दिल्ली सरकार द्वारा वोटर कार्ड जारी करने और उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल करने, कैग की लंबित पड़ी 12 रिपोर्टस् को सदन पटल में रखने जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहता था और सरकार से इन सभी मुद्दों पर जवाब मांगना चाहता था, लेकिन सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की ओर से उनकी आवाज को दबा दिया गया और उन्हें इन मुद्दों पर बोलने की अनुमति नहीं दी गई.
विधायक अपनी समस्याओं का उठाएंगे: नेता विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार का यह रवैया शर्मनाक है. आम आदमी पार्टी अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहती है, इसीलिए इस सत्र में प्रश्नकाल का प्रावधान ही नहीं रखा. इस साल विधानसभा के जितने भी सत्र बुलाये गए उसमें एक बार भी प्रश्नकाल की व्यवस्था नहीं की गई. यह विधायकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की समस्याओं के प्रति उत्तरदायी होते हैं. यह सदन ही एक ऐसा मंच है जिसके माध्यम से सभी विधायक प्रश्नकाल में अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं से सरकार का ध्यान आकर्षित करते हैं और समाधान की मांग करते हैं. यदि सत्र में प्रश्नकाल ही नहीं रखा जाएगा तो विधायक अपनी समस्याओं को कैसे सरकार के सामने उठायेंगे.
नेता विपक्ष ने कहा कि इसके अलावा हमने अल्पावधिक चर्चा और ध्यानाकर्षण प्रस्तावों को भी विधानसभा की कार्यवाही में शामिल करने और इसमें विधायकों की सहभागिता सुनिश्चित करने का आग्रह किया सरकार से किया था, लेकिन हमारी मांग को अस्वीकार कर दिया गया.
AAP सरकार का तानाशाही वाला रवैया: विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सरकार का तानाशाही वाला यह रवैया आम आदमी पार्टी की मानसिकता को दर्शाता है. वह सदन को अपने तरीके से चलाना चाहती है और लोकतंत्र का उपहास उड़ाकर विपक्ष की आवाज को दबाकर अपनी करगुजारियों को छुपाना चाहती है. दिल्ली की जनता इस तथाकथित ईमानदारी का दावा करने वाली सरकार की कारगुजारियों को पहचान चुकी है, अगले विधानसभा चुनाव में इन्हें सबक सिखा कर सत्ता से बाहर करने का मन बना चुकी है.
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