विदिशा। बड़ी हवेली के राजा साहब के निधन से लोग दुखी हैं. लोगों का कहना है कि राजा साहब 100 साल की उम्र में भी चुस्त-दुरुस्त थे. पंडित संजय पुरोहित बताते हैं "परंपरागत रूप से हमारा परिवार उनका कुल पुरोहित है. हम लोग उनके घर में सभी पूजन करवाते हैं. राजा साहब काफी चुस्त दुरुस्त थे. योगा अभ्यास करते थे. वह आध्यात्मिक रूप से बहुत मजबूत थे. उनको कोई बीमारी भी नहीं थी. राजा साहब 5 साल की उम्र में हवेली में गोद आए थे. राजा हरि सिंह की कोई संतान नहीं थी. उन्होंने दत्तक पुत्र के रूप में इनको स्वीकार किया था."
बड़े राजा साहब के परिवार में कौन-कौन हैं
हरी सिंह की दो जागीरें हैं. वहां के पुत्र थे वहां से यह आए थे. इसके पूर्व उनके भाई बैजनाथ आए थे लेकिन बैजनाथ सिंह जी का देहांत उज्जैन में फुटबॉल खेलने के दौरान हो गया था. उसके बाद राजा भगवान सिंह को उन्होंने दत्तक पुत्र के रूप में ग्रहण किया था. राजा भगवान सिंह जी के तीन पुत्र हैं. बड़े पुत्र का देहांत कोरोना काल में हो गया था. अभी उनके दो पुत्र हैं. बड़े पुत्र के 1 पुत्र दूसरे पुत्र के यहां भी 1 पुत्र है. सबसे छोटे पुत्र के भी दो पुत्र हैं. भरापूरा परिवार है. बहुत बड़ी हवेली है. यह हवेली किले अंदर के बीच में है.
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सिंधिया स्कूल में शिक्षा ली, हॉकी व फुटबॉल खेलते थे
इतिहासकार गोविंद देवलिया बताते हैं "बड़ी हवेली के राजा साहब भगवान सिंह बेहद विनम्र और उच्च शिक्षित व्यक्ति थे. सिंधिया स्कूल में इन्होंने शिक्षा प्राप्त की थी. इसी कारण वह घुड़सवारी, हॉकी इत्यादि खेलों में पारंगत थे. जब तक उनका शरीर साथ दिया, तब तक वह घुड़सवारी करते रहे. हॉकी व फुटबॉल भी खेलते रहे." सौराई रेलवे स्टेशन के पास मूल रूप से गांव हरि सिंह मुड़रा और उदयगिरि भी है. ग्यारसपुर के पास ओलिंजा है, मुगोद, कुआखेड़ी, खुसना पुर हैं. इस तरह से लगभग एक दर्जन गांव की जमींदारी हरि सिंह के पास थी.