कोरबा : क्रेडिट कार्ड उपयोग करने वाले एक उपभोक्ता से चाढ़े चार लाख रुपये से अधिक की ठगी हुई थी. ठगी के बाद बैंक ने उपभोक्ता पर ही देनदारी और पेनाल्टी के तौर पर भारी भरकम राशि का जुर्माना लगाया था. जिसके विरूद्ध जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद दायर किया गया था. आयोग ने राशि का देनदार परिवादी को नहीं होना पाते हुए उसे न सिर्फ देनदारी से मुक्त किया है. बल्कि आर्थिक और मानसिक प्रतिपूर्ति के एवज में बैंक को ही उपभोक्ता को राशि देने का फैसला सुनाया है.
क्या है मामला : बालको थाना क्षेत्र के इंदिरा मार्केट एक्सिस बैंक में विजय कुमार साहू का खाता था. 2019 में बैंक ने उन्हें क्रेडिट कार्ड दिया. 19 नवंबर 2023 की दोपहर साहू के क्रेडिट कार्ड को हैक कर 4 लाख 14 हजार 831 और 36 हजार 424 कुल 4 लाख 51 हजार 255 रुपए काटकर किसी अन्य के खाते में डिपॉजिट किया गया. इसकी जानकारी होने पर तत्काल क्रेडिट कार्ड के पीछे अंकित कॉल सेंटर में शिकायत दर्ज कराई गई. महिला कर्मचारी ने शिकायत दर्ज करने की जानकारी दी. साथ ही शिकायत नंबर भी दिया. काल सेंटर ने 19 नवंबर को क्रेडिट कार्ड और बचत खाता को ब्लॉक किया. उपभोक्ता को कहा गया कि उनकी रकम सुरक्षित है.
ओटीपी पास होने का मैसेज मिला : परिवादी उवभोक्ता को 24 घंटे में राशि वापसी की बात कही गई. 19 नवंबर को रिफंड का मैसेज भी आया तो परिवादी आश्वस्त हो गया कि रकम सुरक्षित है. लेकिन इसके दूसरे दिन अचानक परिवादी के मोबाइल पर मैसेज आया कि उनके खाते का ओटीपी पास होने की वजह से राशि का आहरण हो गया है.
बिना ओटीपी शेयर किए राशि निकली : कोरबा के मैनेजर ने परिवादी को जानकारी दी गई कि क्रेडिट कार्ड के साथ दो कार्ड जारी होता है. एक कार्ड नामिनी के नाम पर होता है. परिवादी ने बताया कि उसे एक ही कार्ड मिला है. इसके अलावा उसने किसी तरह का ओटीपी शेयर नहीं किया है. बिना ओटीपी शेयर किए ही राशि की ठगी हुई है. लेकिन बैंक ने परिवादी के ऊपर ही क्रेडिट कार्ड से आहरित की गई राशि की देनदारी अधिरोपित कर दी और जुर्माना भी लगा दिया.
आयोग ने परिवादी के पक्ष में सुनाया फैसला : ठगी के बाद पीड़ित ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद दायर किया. जिस पर आयोग ने देनदार परिवादी को नहीं होना पाते हुए उसे देनदारी से मुक्त किया है. विरोधी पक्षकारगण को आर्थिक और मानसिक क्षतिपूर्ति के एवज में परिवादी को 15 हजार रुपए देने को भी कहा है. वाद व्यय के रूप में पांच हजार, व्यवसायिक कदाचरण के लिए 10 हजार का प्रतिकर अधिरोपित किया गया है.