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420 नंबर पर लगा कलंक हटेगा; 316 नंबर पर लगेगा धब्बा, अब ये नंबर आने पर पछताएंगे वाहन मालिक - 420 Number Vehicle

वाहन मालिक अपने वाहन के लिए अब तक 420 नंबर लेने से दूर भागते थे, लेकिन अब 316 नंबर लेने से कतराएंगे. वजह है कि भारतीय न्याय संहिता में धारा का बदलाव किया गया है.

धारा 420 बदलने से वाहन मालिकों को राहत.
धारा 420 बदलने से वाहन मालिकों को राहत. (सांकेतिक तस्वीर.)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 2, 2024, 7:39 PM IST


लखनऊः परिवहन विभाग के वाहनों की सीरीज और नंबर कभी-कभी वाहन मालिकों के लिए सिर पीटने वाले साबित होते हैं. कुछ समय पहले दिल्ली में एक युवती की स्कूटी को S EX सीरीज मिल गई थी. जिसके बाद सड़क पर स्कूटी चलाते ही युवती पर लोग फब्तियां कसने लगते थे. इसकी शिकायत बाकायदा दिल्ली परिवहन विभाग में की गई थी और इस तरह की सीरीज हटाने की मांग की गई थी. इसी तरह गुजरात में एक सैन्य अधिकारी के गाड़ी का जब 420 नंबर आया तो उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई थी और मिनिस्ट्री आफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज से इस नंबर को ही ब्लॉक करने की गुहार लगाई थी. हालांकि अब 420 नंबर रखने वाले वाहन मालिकों की दिक्कत दूर हो गई है. अब आईपीसी की धारा 420 भारतीय न्याय संहिता में 316 हो गई है. इसके बाद अब वाहन मालिक अपने वाहन पर लगी 420 नंबर प्लेट के बावजूद वाहन चलाने में नहीं हिचकिचाएंगे. लेकिन अब 316 नंबर वाले वाहन मालिकों को समस्या हो सकती है.

ऑटो जेनरेटेड व्यवस्था लागू होने के बाद नहीं बदलता गाड़ी नंबर
420 नंबर बड़ी ही हेय दृष्टि से देखा जाता था. किसी भी सीधे-सादे व्यक्ति को जब यह नंबर मिलता था तो उसके लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाती थी. 420 नंबर के लिए परिवहन विभाग में कभी कोई बोली नहीं लगती थी, बल्कि जिसके हिस्से यह नंबर आता था वह हटवाने के लिए लाख जतन जरूर करने लगता था. परिवहन विभाग में जब तक नंबर बुक करने की मैनुअल व्यवस्था थी तब तक यह नंबर आने पर लोग अधिकारियों से गुहार लगाकर दूसरा नंबर ले लेते थे. लेकिन नवंबर 2021 से जब नंबर की ऑटो जेनरेटेड व्यवस्था लागू हुई तो यह नंबर किसी न किसी के पल्ले पड़ ही रहा है. वाहन के लिए 420 नंबर मिलने पर कई लोग तो वाहन सड़क पर चलाने से भी कतराते हैं. आरटीओ कार्यालय में ही अधिकारियों से कई बार लोग यह नंबर मिलने पर शिकायत दर्ज करने आते रहे हैं. हालांकि ऑटो जनरेटेड व्यवस्था लागू होने पर अधिकारी भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाते थे. अब 420 नंबर पर लगा कलंक धारा 316 बहा ले गई है. अब 316 नंबर को ये दंश झेलना पड़ सकता.

मैनुअल व्यवस्था में किसानों के ट्रैक्टर को दे दिया जाता था नंबर
जब तक नंबर मिलने की मैनुअल व्यवस्था थी तब तक किसी भी वाहन के लिए 420 सीरीज का नंबर आने पर परिवहन विभाग की तरफ से मैनुअली ट्रैक्टर के लिए एलॉट कर दिया जाता था. किसानों ने भी इसका कई बार विरोध किया. लेकिन जब नंबर की ऑटो जेनरेटेड व्यवस्था लागू हो गई तो फिर किसानों की भी यह समस्या दूर हो गई.


यूपी में ही 30 हजार से ज्यादा 420 नंबर वाले वाहन
वाहनों की अगर एक सीरीज की बात की जाए तो इसमें कुल 9999 नंबर होते हैं. इसमें कई बार 420 अंक वाले नंबर आते हैं, तो इनकी संख्या कुल 10 होती है. यानी एक सीरीज में कुल 10 नंबर 420 अंक के होते हैं. इनमें 0420, 1420, 2420, 3420, 4420, 5420, 6420, 7420, 8420 और 9420 शामिल हैं. ऑटो जनरेटेड व्यवस्था लागू होने के बाद यह नंबर भी किसी न किसी वाहन पर मालिक के न चाहते हुए भी दर्ज ही हो जाते हैं. लखनऊ में ही 420 अंक वाले वाहनों की संख्या ढाई हजार के करीब है. जबकि प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा संख्या हो सकती है.

मुहावरा भी खत्म हो जाएगा
ठगी के मामले में जिस तरह नटवरलाल एक पहेली बन चुका है, उसी तरह 420 भी एक मुहावरे की तरह इस्तेमाल होने लगा है. लोग ठगी या जालसाजी का कोई मामला सामने आता है या फिर कोई अनाप-शनाप बात करता है तो बातों ही बातों में यह तक कह देते हैं कि चार सौ बीसी मत करो. लेकिन अब जब 420 ठगी और जालसाजी की धारा नहीं रही तो भी शायद ही मुहावरे के रूप में इसका इस्तेमाल कभी भी बंद हो.


लखनऊः परिवहन विभाग के वाहनों की सीरीज और नंबर कभी-कभी वाहन मालिकों के लिए सिर पीटने वाले साबित होते हैं. कुछ समय पहले दिल्ली में एक युवती की स्कूटी को S EX सीरीज मिल गई थी. जिसके बाद सड़क पर स्कूटी चलाते ही युवती पर लोग फब्तियां कसने लगते थे. इसकी शिकायत बाकायदा दिल्ली परिवहन विभाग में की गई थी और इस तरह की सीरीज हटाने की मांग की गई थी. इसी तरह गुजरात में एक सैन्य अधिकारी के गाड़ी का जब 420 नंबर आया तो उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई थी और मिनिस्ट्री आफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज से इस नंबर को ही ब्लॉक करने की गुहार लगाई थी. हालांकि अब 420 नंबर रखने वाले वाहन मालिकों की दिक्कत दूर हो गई है. अब आईपीसी की धारा 420 भारतीय न्याय संहिता में 316 हो गई है. इसके बाद अब वाहन मालिक अपने वाहन पर लगी 420 नंबर प्लेट के बावजूद वाहन चलाने में नहीं हिचकिचाएंगे. लेकिन अब 316 नंबर वाले वाहन मालिकों को समस्या हो सकती है.

ऑटो जेनरेटेड व्यवस्था लागू होने के बाद नहीं बदलता गाड़ी नंबर
420 नंबर बड़ी ही हेय दृष्टि से देखा जाता था. किसी भी सीधे-सादे व्यक्ति को जब यह नंबर मिलता था तो उसके लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाती थी. 420 नंबर के लिए परिवहन विभाग में कभी कोई बोली नहीं लगती थी, बल्कि जिसके हिस्से यह नंबर आता था वह हटवाने के लिए लाख जतन जरूर करने लगता था. परिवहन विभाग में जब तक नंबर बुक करने की मैनुअल व्यवस्था थी तब तक यह नंबर आने पर लोग अधिकारियों से गुहार लगाकर दूसरा नंबर ले लेते थे. लेकिन नवंबर 2021 से जब नंबर की ऑटो जेनरेटेड व्यवस्था लागू हुई तो यह नंबर किसी न किसी के पल्ले पड़ ही रहा है. वाहन के लिए 420 नंबर मिलने पर कई लोग तो वाहन सड़क पर चलाने से भी कतराते हैं. आरटीओ कार्यालय में ही अधिकारियों से कई बार लोग यह नंबर मिलने पर शिकायत दर्ज करने आते रहे हैं. हालांकि ऑटो जनरेटेड व्यवस्था लागू होने पर अधिकारी भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाते थे. अब 420 नंबर पर लगा कलंक धारा 316 बहा ले गई है. अब 316 नंबर को ये दंश झेलना पड़ सकता.

मैनुअल व्यवस्था में किसानों के ट्रैक्टर को दे दिया जाता था नंबर
जब तक नंबर मिलने की मैनुअल व्यवस्था थी तब तक किसी भी वाहन के लिए 420 सीरीज का नंबर आने पर परिवहन विभाग की तरफ से मैनुअली ट्रैक्टर के लिए एलॉट कर दिया जाता था. किसानों ने भी इसका कई बार विरोध किया. लेकिन जब नंबर की ऑटो जेनरेटेड व्यवस्था लागू हो गई तो फिर किसानों की भी यह समस्या दूर हो गई.


यूपी में ही 30 हजार से ज्यादा 420 नंबर वाले वाहन
वाहनों की अगर एक सीरीज की बात की जाए तो इसमें कुल 9999 नंबर होते हैं. इसमें कई बार 420 अंक वाले नंबर आते हैं, तो इनकी संख्या कुल 10 होती है. यानी एक सीरीज में कुल 10 नंबर 420 अंक के होते हैं. इनमें 0420, 1420, 2420, 3420, 4420, 5420, 6420, 7420, 8420 और 9420 शामिल हैं. ऑटो जनरेटेड व्यवस्था लागू होने के बाद यह नंबर भी किसी न किसी वाहन पर मालिक के न चाहते हुए भी दर्ज ही हो जाते हैं. लखनऊ में ही 420 अंक वाले वाहनों की संख्या ढाई हजार के करीब है. जबकि प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा संख्या हो सकती है.

मुहावरा भी खत्म हो जाएगा
ठगी के मामले में जिस तरह नटवरलाल एक पहेली बन चुका है, उसी तरह 420 भी एक मुहावरे की तरह इस्तेमाल होने लगा है. लोग ठगी या जालसाजी का कोई मामला सामने आता है या फिर कोई अनाप-शनाप बात करता है तो बातों ही बातों में यह तक कह देते हैं कि चार सौ बीसी मत करो. लेकिन अब जब 420 ठगी और जालसाजी की धारा नहीं रही तो भी शायद ही मुहावरे के रूप में इसका इस्तेमाल कभी भी बंद हो.



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