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जयंती समारोह में मंच पर भिड़े भाजपा नेता और संत, देखें तकरार का वीडियो

अजमेर में वीरवर जयमल राठौड़ जयंती समारोह में भिड़े भाजपा नेता और संत. संत समता राम की टिप्पणी पर बिफरे भंवर सिंह पलाड़ा.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

Clash In Jayanti Program
मंच पर भिड़े भाजपा नेता और संत (ETV BHARAT AJMER)

अजमेर : पुष्कर में अखिल भारतीय राजपूत सेवा सदन जयमल कोट में रविवार को जयमल राठौड़ की जयंती समारोह का आयोजन हुआ. वहीं, इस बीच मंच पर अचानक हंगामा शुरू हो गया. मंच मौजूद संत समता राम ने अपने संबोधन के दौरान नेताओं पर तीखे प्रहार किए. इससे भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा एकदम से बिफर गए. कुछ देर बाद मंच पर हंगामा शुरू हो गया और आखिरकार संत समता राम वहां से उठकर चले गए. वहीं, पलाड़ा ने समाज के सामने कहा कि अब जिस कार्यक्रम में संत समता राम जाएंगे वो उस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.

दरअसल, हुआ यूं कि सामाजिक मंच पर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की ओर से उनके कराए गए विकास कार्यों का बखान करने पर संत समता राम खफा हो गए और इसी को लेकर भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा और संत समता राम के बीच नोकझोंक हो गई.

जयंती समारोह में मंच पर भिड़े भाजपा नेता और संत (ETV BHARAT AJMER)

इसे भी पढ़ें - गोविंद डोटासरा ने किरोड़ी को बताया साढू, कहा- हम दोनों का मकसद 'पर्ची सरकार' को बदलना

जयमल न्यास मंडल पुष्कर की ओर से रविवार को वीरवर राव जयमल राठौड़ की जयंती मनाई गई. इस कार्यक्रम में शामिल हुए कांग्रेस और भाजपा नेताओं ने बारी-बारी से समारोह को संबोधित किया. वहीं, अपने संबोधन में नेताओं ने उनकी सरकार द्वारा कराए गए विकास कार्यों को गिनाया. नेताओं के संबोधन में काफी समय लगने के कारण संत समता राम एकदम से खफा हो गए.

इस पर मंच पर उनके समीप बैठे भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा भी संत पर बिफर गए. पलाड़ा ने विकास कार्यों की मंच से जानकारी देने पर संत को आपत्ति क्यों होने पर सवाल उठाए. इस बीच पलाड़ा और संत के बीच जमकर नोकझोंक हुई. विवाद अधिक बढ़ने पर आयोजकों ने माइक को बंद कर दिया. वहीं, समाज के प्रबुद्धजन बीच बचाव करने में जुट गए. इस दौरान संत समता राम कार्यक्रम छोड़कर चले गए. हंगामा के बाद कार्यक्रम समापन की घोषणा कर दी गई.

इसे भी पढ़ें - मंत्री पटेल का गहलोत को जवाब, कहा- किसान मुख्यमंत्री के शानदार काम से बौखलाए पूर्व सीएम

हालांकि, यह विवाद क्षत्रिय समाज में चर्चा का विषय बना है. संत समता राम क्षत्रिय समाज से हैं. पुष्कर ब्रह्मा मंदिर में महंत के लिए दावेदारी कर चुके हैं. इसके अलावा संत समता राम पुष्कर से विधायक के लिए टिकट कांग्रेस और भाजपा से मांग चुके हैं. इस पूरे मसले पर संत समता राम ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था. वो 13 वर्षो से जयंती समारोह में शामिल हो रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में समाज के सम्मानित लोग मौजूद थे. इनमें भंवर सिंह पलाड़ा उनकी पत्नी जिला प्रमुख सुशील कुमार पलाड़ा, कांग्रेस नेता धर्मेंद्र सिंह राठौड़ भी आए थे. वहीं, उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यक्रम में राजनीति नहीं होनी चाहिए. हमारे पूर्वजों ने देश में लाखों बीघा भूमि दान कर दी.

वहीं, सामाजिक मंच पर नेता अपने भाषणों में राजकार्य से किए गए विकास कार्यों का बखान कर रहे थे. उनके भाषण लंबे थे. बोलने का मुझे अवसर मिला तब मैंने कहा कि कार्यक्रम को सामाजिक ही रहने दिया जाए. वीरवर जयमल राठौड़ की वीरता और उनके जीवन आदर्शों के बारे में बात की जाए, ताकि नई पीढ़ी को उनसे शिक्षा मिले. मेरा किसी से कोई झगड़ा नहीं है, लेकिन समाज के मंच पर संत के हाथ से माइक छीनने की कोशिश की गई. भाजपा शासन में एक संत पर वार दुर्भाग्यपूर्ण है. मैंने उनको सुना तो उन्हें भी मुझे सुनना चाहिए था कि मैं क्या कहना चाह रहा था.

ये बोले भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा : भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने कहा कि संत समता राम आपत्तिजनक बातें कर रहे थे. समाज की जाजम पर सभी वर्ग के लोग बैठते हैं. इनमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए थे. कार्यक्रम में समाज के उत्थान और व्यवसाय को लेकर चिंतन किया जा रहा था. समाज शिक्षा, राजनीतिक, व्यावसायिक और सांस्कृतिक रूप से कैसे आगे बढ़े इसको लेकर चर्चा हो रही थी. उन्होंने कहा कि संत समता राम के व्यवहार से समाज के लोग आहत हैं.

ऐसे में अब उन्होंने यह तय किया है कि संत समता राम जिस कार्यक्रम में जाएंगे, वो वहां नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि संत समता राम क्षत्रिय समाज से हैं. समाज की जाजम छोड़कर वो चले गए. उनके जाने से समाज को कोई फर्क नहीं पड़ता. समाज से वे और मैं दोनों ही आते हैं.

इसे भी पढ़ें - कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लगाया उपेक्षा का आरोप, आई नोकझोंक की नौबत

संत को शोभा नहीं देता गुस्सा : आरटीडीसी के पूर्व चेयरमेन धर्मेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि पार्टी से ऊपर उठकर हम सब मिलकर वीरवार जयमल राठौड़ की जयंती मना रहे थे. कार्यक्रम में सभी राजनीतिक दलों के लोग मौजूद थे. राठौड़ ने कहा कि संतों को गुस्सा नहीं करना चाहिए. भंवर सिंह और मुझे गुस्सा आए यह स्वाभाविक है, क्योंकि हम मृत्युलोक में हैं, लेकिन संत मृत्युलोक से ऊपर हैं.

सहमति और असहमति लोकतंत्र का मूल मंत्र है. संत समता राम को समाज के सभी लोगों ने मिलकर उच्च आसन पर बैठाया है. मंच पर समाज में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपना संबोधन दिया और वो सभी संत समता राम का आदर करते हैं. यदि उन्हें किसी की बात पर असहमति थी तो उसे सार्वजनिक रूप से न कहकर बाद में कह सकते थे. राठौड़ ने कहा कि संत समता राम ने पहली बार सार्वजनिक रूप से ऐसा व्यवहार नहीं किया है. इससे पहले भी वो कई कार्यक्रम में अपना गुस्सा प्रकट कर चुके हैं.

अजमेर : पुष्कर में अखिल भारतीय राजपूत सेवा सदन जयमल कोट में रविवार को जयमल राठौड़ की जयंती समारोह का आयोजन हुआ. वहीं, इस बीच मंच पर अचानक हंगामा शुरू हो गया. मंच मौजूद संत समता राम ने अपने संबोधन के दौरान नेताओं पर तीखे प्रहार किए. इससे भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा एकदम से बिफर गए. कुछ देर बाद मंच पर हंगामा शुरू हो गया और आखिरकार संत समता राम वहां से उठकर चले गए. वहीं, पलाड़ा ने समाज के सामने कहा कि अब जिस कार्यक्रम में संत समता राम जाएंगे वो उस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.

दरअसल, हुआ यूं कि सामाजिक मंच पर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की ओर से उनके कराए गए विकास कार्यों का बखान करने पर संत समता राम खफा हो गए और इसी को लेकर भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा और संत समता राम के बीच नोकझोंक हो गई.

जयंती समारोह में मंच पर भिड़े भाजपा नेता और संत (ETV BHARAT AJMER)

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जयमल न्यास मंडल पुष्कर की ओर से रविवार को वीरवर राव जयमल राठौड़ की जयंती मनाई गई. इस कार्यक्रम में शामिल हुए कांग्रेस और भाजपा नेताओं ने बारी-बारी से समारोह को संबोधित किया. वहीं, अपने संबोधन में नेताओं ने उनकी सरकार द्वारा कराए गए विकास कार्यों को गिनाया. नेताओं के संबोधन में काफी समय लगने के कारण संत समता राम एकदम से खफा हो गए.

इस पर मंच पर उनके समीप बैठे भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा भी संत पर बिफर गए. पलाड़ा ने विकास कार्यों की मंच से जानकारी देने पर संत को आपत्ति क्यों होने पर सवाल उठाए. इस बीच पलाड़ा और संत के बीच जमकर नोकझोंक हुई. विवाद अधिक बढ़ने पर आयोजकों ने माइक को बंद कर दिया. वहीं, समाज के प्रबुद्धजन बीच बचाव करने में जुट गए. इस दौरान संत समता राम कार्यक्रम छोड़कर चले गए. हंगामा के बाद कार्यक्रम समापन की घोषणा कर दी गई.

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हालांकि, यह विवाद क्षत्रिय समाज में चर्चा का विषय बना है. संत समता राम क्षत्रिय समाज से हैं. पुष्कर ब्रह्मा मंदिर में महंत के लिए दावेदारी कर चुके हैं. इसके अलावा संत समता राम पुष्कर से विधायक के लिए टिकट कांग्रेस और भाजपा से मांग चुके हैं. इस पूरे मसले पर संत समता राम ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था. वो 13 वर्षो से जयंती समारोह में शामिल हो रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में समाज के सम्मानित लोग मौजूद थे. इनमें भंवर सिंह पलाड़ा उनकी पत्नी जिला प्रमुख सुशील कुमार पलाड़ा, कांग्रेस नेता धर्मेंद्र सिंह राठौड़ भी आए थे. वहीं, उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यक्रम में राजनीति नहीं होनी चाहिए. हमारे पूर्वजों ने देश में लाखों बीघा भूमि दान कर दी.

वहीं, सामाजिक मंच पर नेता अपने भाषणों में राजकार्य से किए गए विकास कार्यों का बखान कर रहे थे. उनके भाषण लंबे थे. बोलने का मुझे अवसर मिला तब मैंने कहा कि कार्यक्रम को सामाजिक ही रहने दिया जाए. वीरवर जयमल राठौड़ की वीरता और उनके जीवन आदर्शों के बारे में बात की जाए, ताकि नई पीढ़ी को उनसे शिक्षा मिले. मेरा किसी से कोई झगड़ा नहीं है, लेकिन समाज के मंच पर संत के हाथ से माइक छीनने की कोशिश की गई. भाजपा शासन में एक संत पर वार दुर्भाग्यपूर्ण है. मैंने उनको सुना तो उन्हें भी मुझे सुनना चाहिए था कि मैं क्या कहना चाह रहा था.

ये बोले भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा : भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने कहा कि संत समता राम आपत्तिजनक बातें कर रहे थे. समाज की जाजम पर सभी वर्ग के लोग बैठते हैं. इनमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए थे. कार्यक्रम में समाज के उत्थान और व्यवसाय को लेकर चिंतन किया जा रहा था. समाज शिक्षा, राजनीतिक, व्यावसायिक और सांस्कृतिक रूप से कैसे आगे बढ़े इसको लेकर चर्चा हो रही थी. उन्होंने कहा कि संत समता राम के व्यवहार से समाज के लोग आहत हैं.

ऐसे में अब उन्होंने यह तय किया है कि संत समता राम जिस कार्यक्रम में जाएंगे, वो वहां नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि संत समता राम क्षत्रिय समाज से हैं. समाज की जाजम छोड़कर वो चले गए. उनके जाने से समाज को कोई फर्क नहीं पड़ता. समाज से वे और मैं दोनों ही आते हैं.

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संत को शोभा नहीं देता गुस्सा : आरटीडीसी के पूर्व चेयरमेन धर्मेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि पार्टी से ऊपर उठकर हम सब मिलकर वीरवार जयमल राठौड़ की जयंती मना रहे थे. कार्यक्रम में सभी राजनीतिक दलों के लोग मौजूद थे. राठौड़ ने कहा कि संतों को गुस्सा नहीं करना चाहिए. भंवर सिंह और मुझे गुस्सा आए यह स्वाभाविक है, क्योंकि हम मृत्युलोक में हैं, लेकिन संत मृत्युलोक से ऊपर हैं.

सहमति और असहमति लोकतंत्र का मूल मंत्र है. संत समता राम को समाज के सभी लोगों ने मिलकर उच्च आसन पर बैठाया है. मंच पर समाज में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपना संबोधन दिया और वो सभी संत समता राम का आदर करते हैं. यदि उन्हें किसी की बात पर असहमति थी तो उसे सार्वजनिक रूप से न कहकर बाद में कह सकते थे. राठौड़ ने कहा कि संत समता राम ने पहली बार सार्वजनिक रूप से ऐसा व्यवहार नहीं किया है. इससे पहले भी वो कई कार्यक्रम में अपना गुस्सा प्रकट कर चुके हैं.

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