पटनाः जिंदगी एक ऐसा सफर है, जिसमें दुःख के कांटे हैं तो सुखों के फूल भी, विषाद का विष है तो हर्ष का अमृत भी. जेडीयू के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपने 50 साल के सियासी सफर के इन्हीं खट्टे-मीठे अनुभवों को एक पुस्तक का रूप दे दिया है. "लोकतंत्र के पहरुआ" नाम से प्रकाशित इस पुस्तक का विमोचन 2 मार्च को सीएम नीतीश कुमार करेंगे.
50 सालों के सियासी सफर का दस्तावेजः इस पुस्तक में वशिष्ठ नारायण सिंह ने जेपी आंदोलन से लेकर लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के साथ अपने सियासी अनुभवों को साझा किया है. वशिष्ठ बाबू का कहना है कि जेपी ही उनकी प्रेरणा के स्रोत रहे हैं. पुस्तक में वशिष्ठ सिंह ने प्रधानमंत्रियों मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर और वीपी सिंह के साथ काम करने के अनुभवों को भी इस पुस्तक में जगह दी है.
बिहार की सियासत पर विस्तार से जिक्रः जेपी आंदोलन के बाद हुए परिवर्तन और फिर बिहार की सियासत पर वशिष्ठ नारायण सिंह ने पुस्तक में विस्तार से चर्चा की है. राज्य में कांग्रेस के हाथ से सत्ता निकलने और जनता पार्टी से जुड़े संस्मरणों के साथ-साथ उन्होंने लालू-नीतीश से जुड़े कई दिलचस्प सियासी अनुभवों को इसमें जगह दी है.
'जेपी आंदोलन से प्रेरणा ले सकें युवा': वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि जेपी आंदोलन के बीते लंबा अर्सा हो गया है. आज का नौजवान देश के सत्ता परिवर्तन के उस इतिहास के विषय में जान सके, समझ सके और उससे प्रेरणा ले सके, इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने अपने 50 साल के सियासी अनुभवों को लिखित दस्तावेज का रूप दिया है.
2 मार्च को पुस्तक का विमोचनः सीएम नीतीश कुमार 2 मार्च को इस पुस्तक का विमोचन करेंगे. पुस्तक का प्रकाशन वाणी प्रकाशन ने किया है और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विनय कुमार ने पुस्तक का संपादन किया है. वशिष्ठ दादा के साथ लंबे काल से साथ रहे सैयद नजम इकबाल सहित कई दूसरे लोगों ने भी इस पुस्तक के लिखने में अहम भूमिका निभाई है. पुस्तक की कीमत 495 रुपये है.
नीतीश के काफी करीबी हैं वशिष्ठ दादाः बिहार की सियासत में दादा के नाम से मशहूर वशिष्ठ नारायण सिंह फिलहाल जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और 2002 से राज्यसभा सांसद हैं. वशिष्ठ नारायण सिंह 1990 में पहली बार आरा से विधायक चुने गये थे. इसके अलावा वे 1998 में विक्रमगंज लोकसभा सीट से समता पार्टी के टिकट पर सांसद भी चुने गये थेे. 1995 से 1998 तक बिहार में वे तत्कालीन समता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. वशिष्ठ बाबू को सीएम नीतीश कुमार के सबसे करीबियों में एक माना जाता है. कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले नीतीश कुमार वशिष्ठ नारायण सिंह से सलाह मशवरा करते रहे हैं.
ये भी पढ़ेंःवशिष्ठ नारायण सिंह बने JDU उपाध्यक्ष, नीतीश कुमार की नई टीम में पुराने नेताओं को तरजीह