वाराणसी : नवरात्र का पावन पर्व चल रहा है. हर कोई मां की आराधना में लीन है. यह पर्व महिलाओं को सशक्त भी बनाता है. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में इसकी बानगी भी देखने को मिल रही है. सरकारी प्रयासों से 3 जगहों पर शुरू हुई शक्ति रसोई अब प्रेरणा कैफे के रूप में आगे बढ़ रही है. स्कूलों, सरकारी इमारत और अन्य जगहों पर इनका संचालन हो रहा है. इससे जुड़ी स्वयं सहायता समूह की लगभग 1000 महिलाओं के साथ उनके परिवार की भी जिंदगी में बदलाव आ रहा है.
वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से लखपति दीदी बनाए जाने का सपना शक्ति रसोई और प्रेरणा कैफे के जरिए पूरा होता दिखाई दे रहा है. इस बारे में वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल का कहना है कि बनारस में ट्रायल के तौर पर हमने कुछ स्कूलों में श्री अन्न से तैयार होने वाले प्रोडक्ट को खाने-पीने की सूची में शामिल करके स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जोड़ा. तीन जगह पर शक्ति रसोई का निर्माण कराया. यह देखते-देखते अब बहुत बड़ा रूप ले चुका है. वर्तमान समय में लगभग 125 से ज्यादा स्थानों पर इसका संचालन किया जा रहा है. इसमें स्कूल सरकारी इमारतें सरकारी विभाग और वह भीड़भाड़ वाले इलाके हैं. यहां पर लोगों का आना-जाना ज्यादा होता है.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही कैंटीन : मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि यह योजना सरकारी रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने में बहुत बड़ा योगदान दे रही है. आज एक-एक कैंटीन 20 से 25000 रुपये तक प्रतिदिन तक कमा रही है. वाराणसी के कचहरी और कई अन्य जगहों पर खोली गई कैंटीन अच्छा रिस्पांस दे ही रहीं हैं. शक्ति रसोई नगर निगम, वाराणसी विकास प्राधिकरण और अन्य जगहों पर खोली गई कैंटीन में भी काम करने वाली महिलाएं लगभग 10 से 15 हजार महीना कमा रही है. यह प्रयास निश्चित तौर पर महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ उनके परिवार को एक बेहतर जीवन देने में बड़ा योगदान निभा रहा है.
इन नियमों का पालन है जरूरी : सीडीओ ने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि इस कैंटीन की शाखा को खोलने का अधिकार हासिल करने के लिए बस कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है. सबसे बड़ा नियम है स्वयं सहायता समूह के तौर पर रजिस्ट्रेशन का पूरा होना. इसमें 10 से ज्यादा महिलाएं होनी चाहिए. इसके बाद इन महिलाओं के इस संगठन को 3 साल से पुराना होना चाहिए. इसके बाद डूडा के जरिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरा करके निश्चित मानकों का पालन करते हुए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना व अन्य के जरिए लोन पास करवा कर महिलाओं को सशक्त बनाने का प्रयास किया जाता है.
एक दिन में हो रही इतनी कमाई : सीडीओ ने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है की जमीन और स्ट्रक्चर सरकारी तंत्र द्वारा तैयार करके दिया जाता है. 1 साल तक न ही इसमें कोई रेंट देना है न ही अन्य खर्च. समूह की महिलाओं की तरफ से प्रतिदिन जो कमाई होती है वह समूह के तौर पर एक निश्चित लोन अमाउंट के रूप में ही चुकाया जाता है. महिलाओं का कहना है कि यह योजना हमें बेहतर तरीके से आगे बढ़ाने में मदद कर रही है. इस कैंटीन को चलने वाली श्वेता पांडे का गाना है कि हम नगर निगम परिसर में पिछले लगभग 1 साल से कैंटीन का संचालन कर रहे हैं. प्रतिदिन 7 से 8000 रुपए और यदि कोई कार्यक्रम हो तो सरकारी आर्डर के तहत 25 से 30000 रुपये एक दिन में हम कमा लेते हैं. हमारे साथ लगभग 11 महिलाएं जुड़ी हैं. वे प्रतिदिन 1000 तक कमाती हैं. वे अपने जीवन को बेहतर तरीके से आगे बढ़ा रही हैं.
साफ-सफाई के साथ मिल रहा घर जैसा खाना : कैंटीन की कुक भागमणि देवी का कहना है कि यह किसी सपने से कम नहीं है. मुझे इस कैंटीन में लोग पराठा दीदी के नाम से जानते हैं. मुझे 16 तरह से ज्यादा के पराठे बनाने आते हैं. इस वजह से मैं यहां पर बेहतर तरीके से काम करते हुए एक से बढ़कर डिश तैयार करती हूं. लोगों को यह पसंद भी आता है. यहां आने वाले लोग भी इस बात से बेहद खुश हैं कि उन्हें सस्ते दर पर एकदम घर जैसा खाना मिलता है और साफ सुथरा हाइजीन पूरी तरह से पालन करते हुए बनाया गया खाना और भी अच्छा लगता है.
जैसी डिमांड वैसा पकवान : कस्टमर मिली पांडेय ने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि इस कैंटीन में एक तरफ जहां हाइजीन मेंटेन रखा जाता है तो दूसरी तरफ सस्ती दर पर खाना भी मिलता है. श्री अन्न यानी मिलेट्स का प्रयोग करते हुए तमाम तरह के व्यंजन भी यहां पर बनाए जाते हैं. इसके अलावा नॉर्थ इंडियन, साउथ इंडियन और पंजाबी तड़का भी यहां पर आपको लगता हुआ दिखाई देता है. इस कैंटीन में सब कुछ मौजूद है. थाली से लेकर चाइनीज तक हर कुछ यहां मिलता है. जैसी डिमांड वैसा पकवान तैयार होता है और लोग यहां पर इस सस्ते दर के खाने के साथ ही बेहतर घर जैसा जाएगा पानी के लिए पहुंचते हैं. जिसकी वजह से इस नवरात्र में नारी शक्ति और सशक्तिकरण का एक जीता जागता उदाहरण इन शक्ति रसोई और प्रेरणा कैफे के जरिए देखने को मिल रहा है.
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