वाराणसी: इन दिनों देश में तेजी से रामकथा, भागवत कथा आदि को सुनने-सुनाने का क्रेज बढ़ा है. तमाम ऐसे बड़े कथा वाचक हैं, जिन्होंने इसे एक नया मुकाम दिया है. ऐसे में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने एक नई मुहिम का बीड़ा उठाया है, जहां काशी में देश के कथा वाचक तैयार किए जाएंगे.
इसके लिए कोर्स का संचालन किया जाएगा. जहां ऑनलाइन तरीके से विद्यार्थी कथा करने का गुण भी सीख सकेंगे. कुलपति का कहना है कि हमारे कोर्स का उद्देश्य है कि कुशल कथावाचकों को तैयार किया जा सके. जो हमारी भारतीय परंपरा में छिपे हुए ज्ञान को कथावाचन के माध्यम से समाज तक पहुंचाएं.
वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने हाल ही में 10 ऑनलाइन कोर्सेज की शुरुआत की है. इन सभी कोर्सेज में लोगों ने अपनी रुचि दिखाई है और विश्वविद्यालय का यह प्रयास सफल भी रहा है. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो नए सर्टिफिकेट कोर्सेज को चलाने का फैसला लिया है.
इन दो कोर्सेज में पहला मंदिर प्रबंधन का कोर्स होगा, जबकि दूसरा पुराण प्रवचन प्रवीण. दूसरे कोर्स का उद्देश्य कथावाचन को और बेहतर करना है. उसके लिए गुण सिखाना है. ऐसे में यह कोर्स उन लोगों के लिए भी फायदेमंद होगा जो लोग पहले से ही कथावाचन में लगे हुए हैं.
कथा वाचन प्रबल और सरल माध्यम: विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा कहते हैं कि हमारे यहां से कथा-प्रवचन पद्धति सीखने के लिए लोग वृंदावन जाते हैं. हमारे पौराणिक ग्रंथों में जो ज्ञान भरा हुआ है. उसको लोगों तक पहुंचाने के लिए कथा वाचन प्रबल और सरल माध्यम है.
ऐसे में क्यों न हम अच्छे कथावाचक हों, जो प्रभावी तरीके से अपनी बात को समाज तक पहुंचा सकें. सम-सामयिक संदर्भ में उसकी उपयोगिता को बता भी सके और उसके वैज्ञानिक तथ्यों का प्राक्कटन भी कर सकें. इस दृष्टि से हम विश्वविद्यालय के मंच से इस प्रकार का कोर्स शुरू करने जा रहे हैं.
समाज कल्याण के भाव को जागृत करना उद्देश्य: उन्होंने बताया कि हमारे कोर्स का उद्देश्य है कुशल कथावाचकों को तैयार करना है. जो हमारी भारतीय परंपरा में छिपे हुए ज्ञान को कथावाचन के माध्यम से समाज तक पहुंचाए. समाज कल्याण के भाव को कैसा जागृत करे.
इसके साथ ही हमारे देश की मूलभावना वसुधैव कुटुंबकम की मूल भावना का जागरण करने के लिए कथाएं एक प्रबल और सबल माध्यम हैं. चाहे भागवत पुराण की कथा हो, चाहे किसी पुराण को आधार बनाकर के कथा हो या फिर रामायण या महाभारत की कथा हो. इन कथाओं का उद्देश्य केवल इतना है कि व्यक्ति समाज में क्या योगदान कर सकता है उसे समझे.
पुराण प्रवचन प्रवीण सर्टिफिकेट कोर्स: उन्होंने बताया कि इसके लिए ऑनलाइन कथावाचन के नए पाठ्यक्रम को शुरू करने की तैयारी की गई है. 'पुराण प्रवचन प्रवीण' सर्टिफिकेट कोर्स वर्तमान सत्र से ही शुरू किया जाएगा. पाठ्यक्रम निर्माण समिति का गठन भी कर दिया है.
संस्कृत शास्त्रों के विद्यार्थियों को रोजगार की दिशा में भी इस सर्टिफिकेट कोर्स का संचालन किया जा रहा है. छात्रों और लोगों को कथावाचक के रूप तैयार करने के लिए एक ऐसा पाठ्यक्रम निर्माण किया जा रहा है जो कि समाज निर्माण की दिशा में अपनी सहभागिता भी दे सके. इस कोर्स का सामाजिक उपयोगिता के दृष्टिगत विश्वविद्यालय ऑनलाइन संचालन करेगा.