वाराणसी : किसानों के लिए खुशखबरी है. अब वह एक ही लागत में एक साथ दो सब्जियों की खेती कर सकते हैं. जिसमें बैंगन के साथ टमाटर और आलू के साथ टमाटर शामिल है. इससे किसानों को लागत तो कम आएगी ही साथ ही उनको दोहरा लाभ भी मिलेगा. इस पद्धति से एक बार में ही अधिक मात्रा में फसल उगाई जा सकती है. एक पौधे से लगभग ढाई किलो सब्जियों को उगाया जा सकता है. यह खेती किस तरीके से की जा सकती है, उसके क्या लाभ हैं. आइए विस्तार से जानें.
एक तरफ़ सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है. वहीं दूसरी तरफ किसानों को उनकी फसल के लिए दाम भी सही और तय समय पर दिए जाने का दावा किया जा रहा है. इस बीच किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी ये आई है कि किसान अब अपनी जमीन पर एक ही पौधे में दो सब्जियां उगा सकते हैं. इतना ही नहीं काम जगह के साथ ही अधिक उत्पादन किया जा सकता है. इसको लेकर वैज्ञानिकों ने एक ऐसी विधि तैयार की है, जिससे कम लागत में, कम पौधे में अधिक सब्जियों को उगाया जा सकता है.
एक ही पौधे में लग रहे आलू और टमाटर : भारतीय सब्जी अनुसन्धान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक प्रो हरे कृष्ण बताते हैं कि पोमैटो नाम टोमैटो और पोटैटो को मिलाकर रखा है. इसमें नीचे का हिस्सा आलू का रखा गया है और कलमबंद करके टमाटर को लगाया गया है. इसमें एक ही पौधे से आपको आलू भी मिलेगा और टमाटर भी मिलेगा. इसी तरह हमने बैंगन के ऊपर कलमबंद करके टमाटर का पौधा लगाया है. जो इसे उगाता है उसे एक तरफ बैंगन मिलेगा और एक तरफ टमाटर मिलेगा. एक पौधे से दोहरा लाभ अब कोई भी पा सकता है. खासकर जो शहरी क्षेत्रों में हैं उन्हें ये लाभकारी साबित होगा.
वैज्ञानिक प्रोफेसर हरे कृष्ण के अनुसार इस पौधे को उगाने के लिए कलमबंद ही करना पड़ेगा. इसके बीज से पौधे तैयार हो सकते हैं, लेकिन एक साथ दो पौधे नहीं उगाए जा सकते हैं. अभी इसका सीजन खत्म हो गया है. हमारे यहां ये सितंबर माह में तैयार होना शुरू हो जाते हैं. जिन्हें चाहिए वे सितंबर में ले सकते हैं. इससे उपज नहीं प्रभावित होती है. हमारे यहां इस पर चार साल से अधिक शोध किया जा चुका है. एक पौधे पर आलू लगभग ढाई किलो और टमाटर भी दो से ढाई किलो उगाया जा चुका है. एक पौधे से अगर हम पांच किलो या पांच किलो से ज्यादा का उत्पादन कर ले रहे हैं.
एक पौधे में पांच किलो सब्जियां : वैज्ञानिक प्रोफेसर हरे कृष्ण के मुताबिक यह किसानों के लिए लाभकारी है, लेकिन अभी इसके बारे में उतनी जागरूकता नहीं है. एक संस्थान होने के कारण बड़ी मात्रा में पौधे कलम कर उगाना हमारे लिए संभव नहीं है. ऐसे में हम किसानों को ट्रेनिंग देते हैं. जिससे वे खुद ही आत्मनिर्भर होकर इसे अपने खेतों में तैयार करें और इससे लाभ कमाएं. अगर इसका प्रयोग किया जाता है तो इसका कोई बुरा असर प्रकृति पर भी नहीं पड़ेगा और न ही इसमें कोई जेनेटिकली असर होने वाला है. नॉर्मल खेती के आधार पर ही बस इसकी कलमबंद खेती की जाती है. दो अलग-अलग पौधे होते हैं, जिन्हें हमने कलमबंद करके एक पौधा बना दिया है.
जानिए कैसे मिलेंगे पौधे और ट्रेनिंग : अगर इस तरीके से खेती करते हैं तो आपका रिसोर्स वही रहेगा, मगर फायदे दो होंगे. किसान हमारे यहां आएं और यहां से ट्रेनिंग प्राप्त करें. अगर किसी को ये पौधे बड़े स्तर पर चाहिए तो पहले बताना पड़ेगा. किसी को भी अगर इन पौधों की जरूरत पड़ती है तो वे सीधा इंस्टीट्यूट जाकर एक पौधों को ले सकते हैं. सितंबर माह में इन पौधों को उगाया जाना शुरू कर दिया जाता है. यह महीना इन पौधों के लिए काफी अनुकूल रहता है. ऐसे में वहां पर पौधों की खरीद के साथ ही पौधों को उगाने की ट्रेनिंग भी दे दी जाती है.