वाराणसी: बारिश के मौसम में वाराणसी में जर्जर मकानों के गिरने के बाद नगर निगम पर उठ रहे सवालों से बचने के लिए नगर निगम अब हड़बड़ी में ऐसे नोटिस जारी कर रहा है, कि मजबूत और ठीक-ठाक मकान पर भी नोटिस लगा दिया जा रहा है. ऐसा ही मामला तब सामने आया जब विश्वनाथ मंदिर के नजदीक स्थित लाखों करोड़ो लोगों की आस्था के बड़े केंद्र अन्नपूर्णा मंदिर मठ के गेट पर नगर निगम ने जर्जर भवन बताते हुए इसे 24 घंटे में खाली करने का नोटिस चस्पा कर दिया.
मामला जैसे-जैसे फैलता गया वैसे-वैसे चर्चा का विषय बनता गया. हालांकि बाद में जब इस बारे में मंदिर के महंत की तरफ से इस मामले में आपत्ति बताई गई तो इसके बाद नगर निगम को अपनी गलती का एहसास हुआ और देर रात अचानक से नोटिस गायब हो गया. इस बारे में अन्नपूर्णा मंदिर मठ के महंत शंकरपुरी का कहना है, कि जर्जर मकान गिरने के बाद नगर निगम इतना हड़बड़ी में है, कि वह बिना सर्वे के ही नोटिस जारी कर दे रहा है. जो नोटिस गेट पर लगाया गया उस नोटिस में स्पष्ट तौर पर लिखा था कि अन्न क्षेत्र को 24 घंटे के अंदर खाली कर दिया जाए. नोटिस को नगर निगम के कर्मचारियों ने अन्नपूर्णा मंदिर के प्रवेश द्वार पर चिपका दिया था.
उपनगर आयुक्त और जोनल अधिकारी की तरफ से जारी नोटिस में पूर्व महंत रामेश्वरपुरी और वर्तमान महंत शंकर पुरी को संबोधित करते हुए यह कहा गया, था कि आपका भवन अत्यंत जर्जर हो चुका है, कभी भी गिर सकता है. इससे जान माल की क्षति भी हो सकती है. इस संदर्भ में पूर्व में भी कार्यालय की ओर से 14 जून 2021 को नोटिस जारी हो चुका है. नोटिस मिलने के 24 घंटे के अंदर जर्जर भवन को यदि खाली नहीं करते है तो, भवन गिरने या जान माल की क्षति होती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी मकान मालिक की होगी.
अन्नपूर्णा मंदिर मठ के महंत का कहना है, कि अन्न क्षेत्र का निर्माण 1998 में करवाया गया. पूरी तरह से भवन मानकों का पालन करते हुए बहुत ही मजबूती से इसका निर्माण हुआ है. अन्नपूर्णा मंदिर बहुत प्राचीन है, लेकिन 1990 में इसकी पूरी मरम्मत कराई जा चुकी है. इतना मजबूत होने के बाद यह जर्जर और कमजोरी कैसे हो सकता है, यह समझ से परे है.
पूरे भवन की दीवारों में ना ही कोई दरार है और ना ही कहीं से इसमें एक रंग पेंट भी खराब हुआ है. इसके बाद नगर निगम में किस आधार पर नोटिस जारी किया. मंदिर के महंत का कहना है कि मकान नंबर दी 9/1 के बगल वाला भवन और विश्वनाथ गली में मकान नंबर 11/21 पूरी तरह से जर्जर है. यह दोनों भवन अन्नपूर्णा मंदिर की ही संपत्ति है, लेकिन जिस भवन के लिए नोटिस जारी हुआ वह तो कमजोर है ही नहीं.
दशाश्वमेध जोन के अभियंता दिनेश प्रसाद का कहना है, कि नोटिस भेजा गया था. लेकिन, भवन की स्थिति की जांच करने के बाद जब चीज बेहतर मिली, तो नोटिस वापस ले लिया गया.