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काशी में जनता तय करेगी जीत का अंतर, साधने में जुटी एनडीए और इंडी गठबंधन लेकिन वोटिंग परसेंट की कुछ और ही सच्चाई - loksabha election 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ INDI गठबंधन के लिए भी वाराणसी सीट महत्वपूर्ण है. हर पार्टी इस सीट पर अपनी दावेदारी दिखाने का प्रयास कर रही है. लेकिन, वोटिंग परसेंट की सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 22, 2024, 1:42 PM IST

वाराणसी: जिले के अंतिम चरण में लोकसभा चुनाव-2014 के लिए मतदान किया जाना है. एक जून को इस सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही INDI गठबंधन और अन्य विपक्षी दलों के प्रत्याशियों के लिए वोट डाले जाएंगे. मगर इस बार काशी में चुनाव प्रचार का मेन फोकस यहां की आधी आबादी है. पक्ष-विपक्ष सभी महिलाओं को वोटिंग के लिए आगे लाने में जुटे हुए हैं. एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मातृ शक्ति सम्मेलन कर 25000 महिलाओं से संवाद कर रहे हैं, तो दूसरी ओर विपक्षी पार्टी महिलाओं की टोली बनाकर आधी आबादी को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है.

बीजेपी राज्य सभा सांसद गीता शाक्य ने दी जानकारी (etv bharat reporter)
वाराणसी में इस बार भी चुनावी माहौल में महिला शक्ति की याद सभी पार्टियों को आई है. पुरुष मतदान करने के लिए निकल जाते हैं. लेकिन कुछ घरों से महिलाएं मतदान के लिए बहार नहीं निकल पाती हैं. ऐसे में महिलाओं का वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए राजनीतिक पार्टियां अपना दमखम लगा रही हैं. साथ ही चुनावी वादे कर उन्हें अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही हैं. अगर बात साल 2019 के चुनाव की कर लें, तो उस साल काफी मेहनत के बाद भी महिलाओं ने वोट कम ही डाला था. अगर इनकी संख्या की बात करें, तो वाराणसी में 8,97,343 वोटर महिलाएं हैं, जबकि वोटिंग प्रतिशत इनका सबसे कम रहा है.वाराणसी में महिलाओं ने किया 54.54 मतदान: साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो वाराणसी में महिलाओं की ओर से 54.55 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इस चुनाव में आधी आबादी ने मतदान करने में कंजूसी दिखाई थी, जबकि पुरुषों ने 59.15 प्रतिशत मतदान किया था. ऐसे में इस बार सभी पार्टियां महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं. हर कोई अपने स्तर से महिलाओं को अपने पक्ष में लाना चाहता है और अपने पक्ष में मतदान कराना चाहता है. वाराणसी में साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोबारा जीत दर्ज की थी. सबसे अधिक वोटों के साथ उनकी जीत हुई थी. लेकिन, महिलाओं ने मतदान कम किया था.महिलाओं की भागीदारी से बढ़ेगा जीत का अंतर: राजनीतिक दलों के आधी आबादी को साधने के रणनीति पर राजनीतिक विश्लेषक प्रो. रवि प्रकाश पांडेय कहते हैं कि, वाराणसी में महिलाओं का मतदान प्रतिशत और जीत का अंतर देखें तो यह समझ आता है कि अगर महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है तो जरूरी जीत का अंतर और बड़ा देखने को मिलेगा. इसके साथ ही वाराणसी सीट से महिलाओं को अपने अधिकार और ताकत का भी पता चलेगा. मगर सभी राजनीतिक पार्टियां यह चाहती हैं कि महिलाएं मतदान करने के लिए आगे आएं और उनके समर्थन में वोट डालें. वे कहते हैं कि महिलाओं के पक्ष में एक साइकोलॉजी और काम करती है कि वे परिवार के अन्य सदस्यों को भी इंफ्लुएंस कर सकती हैं. महिलाओं को मिला सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन: महिलाओं को अपने खेमे में लाने को लेकर बीजेपी कफी आश्वस्त है. इस बारे में भारतीय जनता पार्टी की राज्य सभा सांसद गीता शाक्य का कहना है, कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्षेत्र है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की दृष्टि से आगे बढ़ाने का काम किया है. प्रधानमंत्री मोदी का बोलना मातृशक्ति मानती है. जिस तरीके से उन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम लाकर यह साबित कर दिया है कि केवल उनको योजनाओं से लाभान्वित नहीं करेंगे. उनका लक्ष्य है कि लोकसभा-राज्यसभा में आरक्षण देने के बाद उन्होंने कहा है, कि महिलाओं के भविष्य का निर्णय लिया जाएगा तो वहां मातृ शक्ति बैठेगी.

इसे भी पढ़े-बीजेपी के गढ़ में पीएम को घेरने की तैयारी, गठबंधन शक्ति प्रदर्शन से करेगा पलटवार - INDIA Alliance Varanasi Planning

विपक्ष के पास महिलाओं के प्रति अपराध का मुद्दा: INDI गठबंधन से जुड़ी सपा नेता रीबू श्रीवास्तव का कहना है, कि बनारस की धरती पर प्रधानमंत्री को हराया गया है. एक बार फिर से हराने का काम किया जाएगा. जनता यहां पर चुनाव लड़ रही है. INDI गठबंधन के प्रत्याशी को पूरे प्रदेश में जनता मजबूती के साथ चुनाव लड़ा रही है. बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा देकर आने वाली सरकार में अत्याचार और अपराध बढ़ रहे हैं.

महंगाई और नौकरी भी एक बड़ा मुद्दा: उनका कहना है कि आज मणिपुर की हाथरथ और उन्नाव की घटना को महिलाएं नहीं भूली हैं. जिस तरह से बेटियों ने अपने मेडल को गंगा में बहाया, प्रधानमंत्री ने उनसे बात नहीं की. उनके सांसद पर आरोप लगे उसे भी सभी ने देखा है. महिलाएं महंगाई से परेशान हैं. वे अपने बच्चों को खाना नहीं खिला पा रही हैं. नौकरी के मामले में मां-बाप अपने बच्चों को शिक्षा दिला रहे हैं. लेकिन, डिग्री मिलने के बाद उनके बच्चों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं, जिन्होंने भाजपा को वोट दिया भी होगा. आज वो INDI गठबंधन के साथ है. यह जुमलेबाज सरकार है.

बनारस में 8 लाख से अधिक महिला वोटर: वाराणसी में कुल वोटरों की संख्या की बात करें तो 19,62,699 वोटर काशी में हैं. इनमें से 8,97,343 महिला वोटर हैं, 10,65,343 पुरुष वोटर हैं, जबकि 135 अन्य वोटर शामिल हैं. वहीं बात अगर विधानसभा के हिसाब से करें तो रोहनिया में 1,86,379 वोटर, वाराणसी उत्तरी में 1,96,760 वोटर, वाराणसी दक्षिणी में 1,41,099 वोटर, कैंट में 2,09,958 वोटर, सेवापुरी में 1,63,025 वोटर महिलाएं हैं. कैंट में सर्वाधिक महिला वोटर हैं. ऐसे में इनकी भागीदारी भी काफी अच्छी खासी है. मगर वोटिंग प्रतिशत देखें तो लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट पर सबसे कम महिलाओं ने मतदान किया था. सबसे अधिक आजमगढ़ में 61.52 और चंदौली में 61.64 प्रतिशत मतदान महिलाओं ने किया था.

भाजपा के पास इन मुद्दों का है खजाना: राजनीतिक विश्लेषक रवि प्रकाश पांडेय कहते हैं कि, वाराणसी की महिलाओं की बात करें तो उनके पास चुनावी मुद्दे ले जाने के लिए भारतीय जनता पार्टी से पास बहुत से हैं. इनमें से कुछ मुद्दे ऐसे हैं, जिन्होंने साल 2019 की जीत दिलाई थी. वहीं, उज्ज्वला योजना, हर घर नल जल योजना, लखपति दीदी, जनधन योजना, फ्री राशन जैसी योजनाएं भाजपा के खाते में हैं. इन योजनाओं ने सीधे या फिर इनडायरेक्ट महिलाओं को लाभ पहुंचाने का काम किया है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में इन मुद्दों को गिनाने के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को हक और पहचना दिलाने के मुद्दे को भी उठा सकते हैं.

यह भी पढ़े-संगम के परेड मैदान में आज तीसरी बार जनसभा करेंगे पीएम मोदी, वाराणसी में 25 हजार महिलाओं से करेंगे संवाद - Lok Sabha Election 2024

वाराणसी: जिले के अंतिम चरण में लोकसभा चुनाव-2014 के लिए मतदान किया जाना है. एक जून को इस सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही INDI गठबंधन और अन्य विपक्षी दलों के प्रत्याशियों के लिए वोट डाले जाएंगे. मगर इस बार काशी में चुनाव प्रचार का मेन फोकस यहां की आधी आबादी है. पक्ष-विपक्ष सभी महिलाओं को वोटिंग के लिए आगे लाने में जुटे हुए हैं. एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मातृ शक्ति सम्मेलन कर 25000 महिलाओं से संवाद कर रहे हैं, तो दूसरी ओर विपक्षी पार्टी महिलाओं की टोली बनाकर आधी आबादी को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है.

बीजेपी राज्य सभा सांसद गीता शाक्य ने दी जानकारी (etv bharat reporter)
वाराणसी में इस बार भी चुनावी माहौल में महिला शक्ति की याद सभी पार्टियों को आई है. पुरुष मतदान करने के लिए निकल जाते हैं. लेकिन कुछ घरों से महिलाएं मतदान के लिए बहार नहीं निकल पाती हैं. ऐसे में महिलाओं का वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए राजनीतिक पार्टियां अपना दमखम लगा रही हैं. साथ ही चुनावी वादे कर उन्हें अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही हैं. अगर बात साल 2019 के चुनाव की कर लें, तो उस साल काफी मेहनत के बाद भी महिलाओं ने वोट कम ही डाला था. अगर इनकी संख्या की बात करें, तो वाराणसी में 8,97,343 वोटर महिलाएं हैं, जबकि वोटिंग प्रतिशत इनका सबसे कम रहा है.वाराणसी में महिलाओं ने किया 54.54 मतदान: साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो वाराणसी में महिलाओं की ओर से 54.55 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इस चुनाव में आधी आबादी ने मतदान करने में कंजूसी दिखाई थी, जबकि पुरुषों ने 59.15 प्रतिशत मतदान किया था. ऐसे में इस बार सभी पार्टियां महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं. हर कोई अपने स्तर से महिलाओं को अपने पक्ष में लाना चाहता है और अपने पक्ष में मतदान कराना चाहता है. वाराणसी में साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोबारा जीत दर्ज की थी. सबसे अधिक वोटों के साथ उनकी जीत हुई थी. लेकिन, महिलाओं ने मतदान कम किया था.महिलाओं की भागीदारी से बढ़ेगा जीत का अंतर: राजनीतिक दलों के आधी आबादी को साधने के रणनीति पर राजनीतिक विश्लेषक प्रो. रवि प्रकाश पांडेय कहते हैं कि, वाराणसी में महिलाओं का मतदान प्रतिशत और जीत का अंतर देखें तो यह समझ आता है कि अगर महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है तो जरूरी जीत का अंतर और बड़ा देखने को मिलेगा. इसके साथ ही वाराणसी सीट से महिलाओं को अपने अधिकार और ताकत का भी पता चलेगा. मगर सभी राजनीतिक पार्टियां यह चाहती हैं कि महिलाएं मतदान करने के लिए आगे आएं और उनके समर्थन में वोट डालें. वे कहते हैं कि महिलाओं के पक्ष में एक साइकोलॉजी और काम करती है कि वे परिवार के अन्य सदस्यों को भी इंफ्लुएंस कर सकती हैं. महिलाओं को मिला सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन: महिलाओं को अपने खेमे में लाने को लेकर बीजेपी कफी आश्वस्त है. इस बारे में भारतीय जनता पार्टी की राज्य सभा सांसद गीता शाक्य का कहना है, कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्षेत्र है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की दृष्टि से आगे बढ़ाने का काम किया है. प्रधानमंत्री मोदी का बोलना मातृशक्ति मानती है. जिस तरीके से उन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम लाकर यह साबित कर दिया है कि केवल उनको योजनाओं से लाभान्वित नहीं करेंगे. उनका लक्ष्य है कि लोकसभा-राज्यसभा में आरक्षण देने के बाद उन्होंने कहा है, कि महिलाओं के भविष्य का निर्णय लिया जाएगा तो वहां मातृ शक्ति बैठेगी.

इसे भी पढ़े-बीजेपी के गढ़ में पीएम को घेरने की तैयारी, गठबंधन शक्ति प्रदर्शन से करेगा पलटवार - INDIA Alliance Varanasi Planning

विपक्ष के पास महिलाओं के प्रति अपराध का मुद्दा: INDI गठबंधन से जुड़ी सपा नेता रीबू श्रीवास्तव का कहना है, कि बनारस की धरती पर प्रधानमंत्री को हराया गया है. एक बार फिर से हराने का काम किया जाएगा. जनता यहां पर चुनाव लड़ रही है. INDI गठबंधन के प्रत्याशी को पूरे प्रदेश में जनता मजबूती के साथ चुनाव लड़ा रही है. बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा देकर आने वाली सरकार में अत्याचार और अपराध बढ़ रहे हैं.

महंगाई और नौकरी भी एक बड़ा मुद्दा: उनका कहना है कि आज मणिपुर की हाथरथ और उन्नाव की घटना को महिलाएं नहीं भूली हैं. जिस तरह से बेटियों ने अपने मेडल को गंगा में बहाया, प्रधानमंत्री ने उनसे बात नहीं की. उनके सांसद पर आरोप लगे उसे भी सभी ने देखा है. महिलाएं महंगाई से परेशान हैं. वे अपने बच्चों को खाना नहीं खिला पा रही हैं. नौकरी के मामले में मां-बाप अपने बच्चों को शिक्षा दिला रहे हैं. लेकिन, डिग्री मिलने के बाद उनके बच्चों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं, जिन्होंने भाजपा को वोट दिया भी होगा. आज वो INDI गठबंधन के साथ है. यह जुमलेबाज सरकार है.

बनारस में 8 लाख से अधिक महिला वोटर: वाराणसी में कुल वोटरों की संख्या की बात करें तो 19,62,699 वोटर काशी में हैं. इनमें से 8,97,343 महिला वोटर हैं, 10,65,343 पुरुष वोटर हैं, जबकि 135 अन्य वोटर शामिल हैं. वहीं बात अगर विधानसभा के हिसाब से करें तो रोहनिया में 1,86,379 वोटर, वाराणसी उत्तरी में 1,96,760 वोटर, वाराणसी दक्षिणी में 1,41,099 वोटर, कैंट में 2,09,958 वोटर, सेवापुरी में 1,63,025 वोटर महिलाएं हैं. कैंट में सर्वाधिक महिला वोटर हैं. ऐसे में इनकी भागीदारी भी काफी अच्छी खासी है. मगर वोटिंग प्रतिशत देखें तो लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट पर सबसे कम महिलाओं ने मतदान किया था. सबसे अधिक आजमगढ़ में 61.52 और चंदौली में 61.64 प्रतिशत मतदान महिलाओं ने किया था.

भाजपा के पास इन मुद्दों का है खजाना: राजनीतिक विश्लेषक रवि प्रकाश पांडेय कहते हैं कि, वाराणसी की महिलाओं की बात करें तो उनके पास चुनावी मुद्दे ले जाने के लिए भारतीय जनता पार्टी से पास बहुत से हैं. इनमें से कुछ मुद्दे ऐसे हैं, जिन्होंने साल 2019 की जीत दिलाई थी. वहीं, उज्ज्वला योजना, हर घर नल जल योजना, लखपति दीदी, जनधन योजना, फ्री राशन जैसी योजनाएं भाजपा के खाते में हैं. इन योजनाओं ने सीधे या फिर इनडायरेक्ट महिलाओं को लाभ पहुंचाने का काम किया है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में इन मुद्दों को गिनाने के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को हक और पहचना दिलाने के मुद्दे को भी उठा सकते हैं.

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