वाराणसी : ज्ञानवापी मामले को लेकर न्यायालय में विवाद चल रहा है. ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन को लेकर सुनवाई भी जारी है. इससे पहले आज वाराणसी में चैत्र नवरात्र के चौथे दिन श्रृंगार गौरी के दर्शन पूजन की परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. साल में एक दिन ही माता श्रृंगार गौरी का दर्शन चैत्र नवरात्र के चौथे दिन पूरा किया जाता है. जिस क्रम में आज इस मुकदमे से जुड़ी वादी महिलाएं सीता साहू, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी और मंजू व्यास ने माता का पूजन किया और उन्हें सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित की. भजन और गीत गाते हुए महिलाएं हाथों में झंडियां लेकर श्रृंगार सामग्री के साथ माता के द्वारा पहुंचीं और पूजा-पाठ के बाद हर-हर महादेव और जय माता दी के जय घोष लगाएं.
ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के दर्शन पूजन को लेकर न्यायालय में मुकदमा चल रहा है. श्रृंगार गौरी का नियमित दर्शन 1993 के बाद से बंद है. 1991 में अयोध्या में हुए विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद से जब ज्ञानवापी परिसर की सुरक्षा बढ़ाई गई, उसके बाद से ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. तब से सिर्फ चैत्र नवरात्र के चौथे दिन मां श्रृंगार गौरी के दर्शन पूजन का विधान है. आज माता के दर्शन का दिन है और बड़ी संख्या में लोग श्रृंगार गौरी के दर्शन पूजन के लिए पहुंच रहे हैं. इस क्रम में श्रृंगार गौरी मामले से जुड़ी वादिनी महिलाएं भी माता के श्रृंगार की सामग्री लेकर पूजन पाठ के लिए मंदिर पहुंचीं. जहां उन्होंने विधिवत पूजन भी किया और हर हर महादेव के जय घोष लगाए. साथ ही जल्द ही नियमित दर्शन शुरू किए जाने की उम्मीद जताते हुए माता श्रृंगार गौरी से यही मांग की है कि जल्द से जल्द भक्ति उनका हर रोज दर्शन कर सकें.
दर्शन से पहले मुकदमे की वादी महिलाओं ने अपनी बातें भी रखीं. सीता साहू का कहना था कि शिव के बिना शक्ति अधूरी है शक्ति के बिना शिव. आज हम माता श्रृंगार गौरी का तो दर्शन कर रहे हैं, लेकिन हमारी मां से यही प्रार्थना है कि उनका जल्द से जल्द नियमित दर्शन हो सके और हम जल्द ही ज्ञानवापी मंदिर के अंदर पहुंचकर पूजन पाठ करें और अपने आराध्य भगवान शिव को जल अर्पित कर सके. वहीं, लक्ष्मी देवी का कहना था कि मामले में मुकदमा चल रहा है और हम यही कामना करते हैं, कि जल्द से जल्द हमें इस मामले में जीत मिले और परिसर के अंदर भी हम पूजन पाठ शुरू कर सके. रेखा पाठक का कहना था कि हमने जो वाद दाखिल किया है वह नियमित दर्शन का है. हम यह उम्मीद जात रहे हैं, कि जल्द से जल्द अन्य मंदिरों की तरह यहां पर भी रोज पूजा पाठ शुरू होगा और माता के दर्शन लोगों को नियमित रूप से मिलेंगे.
इस परंपरा के अनुरूप बनारस की एक बड़ी आबादी भी आज माता श्रृंगार गौरी का दर्शन करती है. क्योंकि वर्ष में एक बार ही माता के दर्शन की अनुमति मिलती है. मां का वह स्वरूप भी दिखाई देता है, जिसका इंतजार हर कोई करता है. आम दिनों में एक दीवार के तौर पर दिखाई देने वाला यह स्थान आज माता के मंदिर के रूप में नजर आता है. मां की छवि यहां पर दिखाई देती है और मंगला आरती के बाद देर रात तक दर्शन पूजन का सिलसिला जारी रहता है.