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बनारस का 210 साल पुराना 8 दरवाजों वाला मंदिर, 7 पुरियों का 'कुंभ', तंत्र विद्या तीर्थ को कैसे संवारा गया, जानिए

3.5 करोड़ से किया गया कायाकल्प, पीएम मोदी के दौरे में लोकार्पण प्रस्तावित

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बनारस का यह मंदिर पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है. (photo credit: etv bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 13, 2024, 6:54 AM IST

वाराणसीः बनारस का 210 साल पुराना प्राचीन मंदिर का कायाकल्प हो चुका है. यह मंदिर न केवल तंत्र विद्या का बड़ा स्थान है बल्कि सप्तपुरियों का कुंभ भी कहा जाता है. यहां लगे आठ दरवाजे हर पुरी और गुरु का प्रतीक हैं. इसके अलावा यहां की डिजाइन कुंडलिनी की तरह है. यह मंदिर अपनी डिजाइन और कलाशैली के कारण काफी प्रसिद्ध है. हम बात कर रहे हैं बनारस के भेलूपुर स्थित गुरुधाम की.


पीएम मोदी का दौरा प्रस्तावितः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 20 अक्टूबर को वाराणसी आगमन प्रस्तावित हैं. यहां वे काशी को करोड़ों रुपयों की योजनाओं की सौगात देंगे. इन्हीं में से एक गुरुधाम को कायाकल्प के बाद लोकार्पण भी पीएम मोदी कर सकते हैं.

बनारस का यह मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. (photo credit: etv bharat)
पीएम मोदी के लोकार्पण कार्यक्रम में प्रस्तावितः पर्यटन उपनिदेशक आरके रावत बताते हैं कि गुरुधाम बहुत ही पुराना मंदिर है और इसकी अपना बड़ा महत्व है. यहां बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते भी हैं. मंदिर में फसाड लाइट लगाए जाने का काम पूरा हो चुका है. शाम के समय इसकी सुंदरता देखते बनती है. जब लाइट कम होती है तो फसाड लाइट की वजह से यह मंदिर जगमगाता है. आने वाले समय में यहां पर और भी बड़ी संख्या में टूरिस्ट आएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने वाले प्रस्ताविक लोकार्पण कार्यक्रम की श्रेणी में हम इसे भी रखेंगे. इसके सौंदर्यीकरण में लगभग 3.5 करोड़ रुपये की लागत आयी है.
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कब हुआ था मंदिर का निर्माण. (photo credit: etv bharat)
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तंत्र विद्या का बड़ा स्थान है यह मंदिर. (photo credit: etv bharat)
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मंदिर में लगा शिलापट. (photo credit: etv bharat)
पर्यटकों के लिए बेहतरीन व्यवस्थाएंः पर्यटन अधिकारी बताते हैं कि, रेनोवेशन और फसाड लाइट का कार्य किया गया है. इसके अतिरिक्त मंदिर के पास पाथ-वे, पार्क, लैंडस्केपिंग, ग्रीनरी को भी ध्यान में रखा गया है. साथ ही, टॉयलेट ब्लॉक्स, लाइटिंग, चेंजिंग रूम जैसी व्यवस्थाओं को ध्यान में रखा गया है. उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर की साफ-सफाई को भी प्रथामिकता पर रखा गया है. आरके रावत बताते हैं, 'वाराणसी का गुरुधाम मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है. एएसआई स्मारक है. व्यवस्था बढ़ने से यहां टूरिस्ट्स की संख्या भी बढ़ेगी.'
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मंदिर के भीतर का नजारा. (photo credit: etv bharat)
कहां स्थित है मंदिर, किसने कराया था निर्माण?: गुरुधाम मंदिर वाराणसी के भेलूपुर के पास स्थित है. इस मंदिर के बारे में इतिहासकार बताते हैं कि इसका निर्माण बंगाल के राजा जयनारायण घोषाल ने अपने गुरु के लिए सन 1814 में कराया था. यह मिश्रित शैली में निर्मित किया गया योग और तंत्र विद्या पर आधारित है. मंदिर की संरचना अष्टकोणीय है, जिसमें आठ प्रवेश द्वार हैं. इसके सभी द्वार एक ही प्रांगण में आकर मिलते हैं. इतिहासकार बताते हैं कि, इनके सात द्वार सप्तपुरियों– अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार (माया), काशी, कांची, उज्जैन और पुरी के प्रतीक हैं. इसमें 8वां द्वार गुरु का द्वार है. कुछ इस तरह से है मंदिर का डिजाइनः काशी के इतिहासकार बताते हैं कि गुरुधाम मंदिर का प्रवेश द्वार काशी द्वार है. इसके बाद गुरू मंदिर स्थित है. इसके भूतल से ऊपर जाने के लिए कुण्डलिनी कि इड़ा, पिंगला नाड़ियों कि तरह सीढ़ी बनी है. पहले तल पर एक गर्भगृह बना है, जिसमें कोई मूर्ति स्थापित नहीं है. पहले तल के ऊपर एक और फ्लोर है, लेकिन उसके लिए रास्ता नहीं बना है. कहा जाता है कि यह तल योग साधना की चरम अवस्था का प्रतीक है. इतिहासकारों का मानना है कि मंदिर के प्रथम तल पर गुरु वशिष्ठ और अरुंधति की मूर्ति स्थापित थी. दूसरे तल पर राधा-कृष्ण और तीसरे तल पर व्योम यानी शून्य का प्रतिक मंदिर है.ये भी पढ़ेंः '...तो क्या अब सड़क पर चलना भी बंद कर दें, क्योंकि वहां जानवर आते हैं'; अखिलेश यादव का भाजपा पर तंज

ये भी पढ़ेंः टमाटर ने दी सेब को टक्कर, मिर्च ने भी निकाले आंसू, आलू ने निकाला जेब का दम

वाराणसीः बनारस का 210 साल पुराना प्राचीन मंदिर का कायाकल्प हो चुका है. यह मंदिर न केवल तंत्र विद्या का बड़ा स्थान है बल्कि सप्तपुरियों का कुंभ भी कहा जाता है. यहां लगे आठ दरवाजे हर पुरी और गुरु का प्रतीक हैं. इसके अलावा यहां की डिजाइन कुंडलिनी की तरह है. यह मंदिर अपनी डिजाइन और कलाशैली के कारण काफी प्रसिद्ध है. हम बात कर रहे हैं बनारस के भेलूपुर स्थित गुरुधाम की.


पीएम मोदी का दौरा प्रस्तावितः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 20 अक्टूबर को वाराणसी आगमन प्रस्तावित हैं. यहां वे काशी को करोड़ों रुपयों की योजनाओं की सौगात देंगे. इन्हीं में से एक गुरुधाम को कायाकल्प के बाद लोकार्पण भी पीएम मोदी कर सकते हैं.

बनारस का यह मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. (photo credit: etv bharat)
पीएम मोदी के लोकार्पण कार्यक्रम में प्रस्तावितः पर्यटन उपनिदेशक आरके रावत बताते हैं कि गुरुधाम बहुत ही पुराना मंदिर है और इसकी अपना बड़ा महत्व है. यहां बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते भी हैं. मंदिर में फसाड लाइट लगाए जाने का काम पूरा हो चुका है. शाम के समय इसकी सुंदरता देखते बनती है. जब लाइट कम होती है तो फसाड लाइट की वजह से यह मंदिर जगमगाता है. आने वाले समय में यहां पर और भी बड़ी संख्या में टूरिस्ट आएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने वाले प्रस्ताविक लोकार्पण कार्यक्रम की श्रेणी में हम इसे भी रखेंगे. इसके सौंदर्यीकरण में लगभग 3.5 करोड़ रुपये की लागत आयी है.
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कब हुआ था मंदिर का निर्माण. (photo credit: etv bharat)
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तंत्र विद्या का बड़ा स्थान है यह मंदिर. (photo credit: etv bharat)
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मंदिर में लगा शिलापट. (photo credit: etv bharat)
पर्यटकों के लिए बेहतरीन व्यवस्थाएंः पर्यटन अधिकारी बताते हैं कि, रेनोवेशन और फसाड लाइट का कार्य किया गया है. इसके अतिरिक्त मंदिर के पास पाथ-वे, पार्क, लैंडस्केपिंग, ग्रीनरी को भी ध्यान में रखा गया है. साथ ही, टॉयलेट ब्लॉक्स, लाइटिंग, चेंजिंग रूम जैसी व्यवस्थाओं को ध्यान में रखा गया है. उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर की साफ-सफाई को भी प्रथामिकता पर रखा गया है. आरके रावत बताते हैं, 'वाराणसी का गुरुधाम मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है. एएसआई स्मारक है. व्यवस्था बढ़ने से यहां टूरिस्ट्स की संख्या भी बढ़ेगी.'
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मंदिर के भीतर का नजारा. (photo credit: etv bharat)
कहां स्थित है मंदिर, किसने कराया था निर्माण?: गुरुधाम मंदिर वाराणसी के भेलूपुर के पास स्थित है. इस मंदिर के बारे में इतिहासकार बताते हैं कि इसका निर्माण बंगाल के राजा जयनारायण घोषाल ने अपने गुरु के लिए सन 1814 में कराया था. यह मिश्रित शैली में निर्मित किया गया योग और तंत्र विद्या पर आधारित है. मंदिर की संरचना अष्टकोणीय है, जिसमें आठ प्रवेश द्वार हैं. इसके सभी द्वार एक ही प्रांगण में आकर मिलते हैं. इतिहासकार बताते हैं कि, इनके सात द्वार सप्तपुरियों– अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार (माया), काशी, कांची, उज्जैन और पुरी के प्रतीक हैं. इसमें 8वां द्वार गुरु का द्वार है. कुछ इस तरह से है मंदिर का डिजाइनः काशी के इतिहासकार बताते हैं कि गुरुधाम मंदिर का प्रवेश द्वार काशी द्वार है. इसके बाद गुरू मंदिर स्थित है. इसके भूतल से ऊपर जाने के लिए कुण्डलिनी कि इड़ा, पिंगला नाड़ियों कि तरह सीढ़ी बनी है. पहले तल पर एक गर्भगृह बना है, जिसमें कोई मूर्ति स्थापित नहीं है. पहले तल के ऊपर एक और फ्लोर है, लेकिन उसके लिए रास्ता नहीं बना है. कहा जाता है कि यह तल योग साधना की चरम अवस्था का प्रतीक है. इतिहासकारों का मानना है कि मंदिर के प्रथम तल पर गुरु वशिष्ठ और अरुंधति की मूर्ति स्थापित थी. दूसरे तल पर राधा-कृष्ण और तीसरे तल पर व्योम यानी शून्य का प्रतिक मंदिर है.ये भी पढ़ेंः '...तो क्या अब सड़क पर चलना भी बंद कर दें, क्योंकि वहां जानवर आते हैं'; अखिलेश यादव का भाजपा पर तंज

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