वाराणसी : उत्तर से दक्षिण का समागम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार प्रयास कर रहे हैं. इसी के तहत काशी में तमिल संगमम का भी आयोजन शुरू हुआ है. इसी क्रम में अब श्री विशाखा शारदा पीठम की तरफ से तीन दिवसीय आध्यात्मिक समागम का आयोजन किया जा रहा है. आध्यात्मिक समागम का मुख्य उद्देश्य दक्षिण और उत्तर को एकजुट करते हुए दक्षिण उत्तर की संस्कृति के साथ वहां के संत और विद्वानों को एक ही स्थान पर एक साथ लाना है. तीन दिवसीय आयोजन में लगभग 20 हजार से ज्यादा संत विद्वानों के शिरकत करने की संभावना है. यह संत विद्वान तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और अन्य कई हिस्सों से आएंगे.
विशाखा श्री शारदा पीठम के उत्तराधिकारी स्वामी स्वात्मानेन्द्र सरस्वती की तरफ से बताया गया कि इस पीठ की स्थापना श्री आदि शंकराचार्य की शिक्षाओं को फैलाने के उद्देश्य से की गई थी. वर्तमान में इस पीठ के पीठाधीश्वर स्वरूपानंदेन्द्र सरस्वती जी हैं. वाराणसी में दक्षिण भारत की इस पीठ की तरफ से 3 से 5 नवंबर तक शिवाला स्थित चेत सिंह किला परिसर में महारुद्र और शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाएगा. आयोजन में पहले दिन 5000 और अंतिम दो दिनों तक लगभग 20 हजार से ज्यादा लोगों के आने की संभावना है.
वाराणसी में संचालित होने वाले आंध्र आश्रम के मैनेजर बीवी सुंदर शास्त्री ने बताया कि तीन दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत रविवार से होगी. आयोजन को तीन दिनों तक अलग-अलग रूप में आगे बढ़ाया जाएगा. सनातन कुंज समागम में स्नान विश्वनाथ मानस दीक्षा धारण और यज्ञ के संकल्प के साथ महारुद्र सहित शतचंडी यज्ञ नक्षत्र आदि सहित नवग्रह होम, चारों वेदों का जाप पारायण, संपूर्ण कृष्ण यजुर्वेद हवन, श्रीमद् सुंदरकांड का पाठ और अन्य कई अनुष्ठान भी होंगे. वर्ली कल्याण महोत्सव एवं गंगा में दीपदान के कार्यक्रम के साथ ही धार्मिक अनुष्ठान के अंतिम दिन काशी विद्वत सभा सहित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन अलग-अलग रूप में होगा. कार्यक्रम में दक्षिण और उत्तर भारत के कई विचारधाराओं के आध्यात्मिक नेता संत और महंत हिस्सा लेंगे. अंतिम दिन होने वाले समागम में दक्षिण भारत और उत्तर भारत के बड़े संतों के साथ विद्युत परिषद से जुड़े कई बड़े नामचीन विद्वान भी शामिल होंगे.