देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में आरक्षी पद पर प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों के पास एक महीने से भी कम का वक्त बचा है. क्योंकि भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियमानुसार प्रतीक्षा सूची एक साल तक ही वैध मानी जाती है. ऐसे में सरकार को 15 जनवरी तक इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों को लेकर निर्णय लेना ही होगा.
उत्तराखंड वन विभाग में आरक्षी पद पर प्रतीक्षा सूची में शामिल 160 अभ्यर्थियों का भविष्य अब सरकार के हाथ में हैं. हालांकि प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थी वन विभाग में अपनी नियुक्ति को लेकर धरने पर बैठे हैं, लेकिन इनके लिए चिंता की बात यह है कि इस प्रतीक्षा सूची को एक साल का वक्त पूरा होने जा रहा है, जिसके बाद नियुक्ति न होने की स्थिति में ये प्रतीक्षा सूची खुद ब खुद समाप्त मान ली जाएगी. ऐसे में सरकार को इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर 15 जनवरी से पहले फैसला लेना होगा.
लंबे समय से धरने पर बैठे प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थी: खास बात यह है की प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थी लंबे समय से वन विभाग में धरना दे रहे हैं और खुद वन मंत्री सुबोध उनियाल भी इन अभ्यर्थियों को कैबिनेट के माध्यम से नियुक्ति दिलवाने का आश्वासन दे चुके हैं. ऐसे में यदि 15 जनवरी से पहले कोई फैसला नहीं लिया गया तो इन अभ्यर्थियों को विभाग में नियमानुसार नियुक्ति दिया जाना मुश्किल हो जाएगा. फिलहाल इस मामले में शासन स्तर पर वन विभाग ने कार्मिक विभाग से राय मांगी है. कार्मिक विभाग ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग दोनों से ही इस प्रकरण से संबंधित जानकारियां मांगी थी.
अच्छी बात यह है कि दोनों ही आयोग ने संबंधित जानकारियां कार्मिक विभाग को भेज दी गई हैं. ऐसे में जल्द ही इस मामले को कार्मिक विभाग अपने सुझाव के साथ उच्च स्तर पर प्रस्तुत करने जा रहा है. अपर सचिव कार्मिक ललित मोहन रयाल से ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने कहा कि मामले में मांगी गई जानकारी आयोग से उन्हें मिल चुकी है. जल्द ही उच्च स्तर पर प्रकरण को लेकर निर्णय लिया जाएगा.
इस मामले में सबसे अहम बात यह है कि अब शासन के पास प्रकरण को लटकाने का समय नहीं है. मामले में 15 जनवरी को प्रतीक्षा सूची को एक साल पूरा होने जा रहा है, लिहाजा इसमें जो भी निर्णय लेना है, उसे 15 जनवरी से पहले ही लेना होगा. क्योंकि इसके बाद प्रतीक्षा सूची वैध नहीं रह जाएगी और मामला पूरी तरह फंस जाएगा. हालांकि शासन स्तर पर मामले में इस बिंदु को समझते हुए तेजी दिखाई जा रही है और कार्मिक विभाग के स्तर पर जल्द ही अपनी राय उच्च अधिकारियों के समक्ष रखी जाएगी जिसके आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
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