देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी 'ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना' का नाम बदल दिया है. दरअसल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार, केंद्र पोषित और राज्य पोषित योजनाओं के नामों का सरलीकरण किया जा रहा है. इसी के तहत इस परियोजना का नाम ग्रामीणों तक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से संशोधित किया गया है.
इन दो योजनाओं का बदला नाम: इसी क्रम में धामी सरकार ने 'ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना' का नाम बदला है. इब इसको 'ग्रामोत्थान योजना' के नाम से जाना जाएगा. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों की आजीविका को उद्यमिता से जोड़कर सशक्त करना है. इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर 'रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर योजना' के नाम को भी संशोधित कर दिया गया है. अब इसे 'मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना' नाम दिया गया है. इस योजना से ग्रामीण उद्यमियों को आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है.
ये है नाम बदलने का मकसद: “मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना” का उद्देश्य राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं और महिलाओं को उद्यमिता और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है. इस योजना के तहत व्यक्तिगत लाभार्थियों के साथ-साथ समुदाय आधारित संगठनों को भी शामिल किया गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
ये काम करती है 'ग्रामोत्थान योजना': गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2021-22 में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योगों की स्थापना कर ग्रामीणों की आय में वृद्धि करने के लिए ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना का संचालन शुरू हुआ था. इसके तहत ग्रामीणों को फूड प्रोसेसिंग, हैचरी यूनिट जैसे उद्यम स्थापित करने के लिए अनुदान के आधार पर आर्थिक मदद प्रदान की जाती है. परियोजना में उद्यम स्थापित करने की कुल लागत का 50 प्रतिशत बैंक लोन, 20 प्रतिशत लाभार्थी अंशदान और 30 प्रतिशत आर्थिक सहयोग रीप परियोजना की ओर से दिया जाता है. अब इसका नया नाम 'ग्रामोत्थान योजना' हो गया है.
'मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना' का है ये काम: उत्तराखंड सरकार द्वारा ग्रामीण उद्यमशीलता को बढ़ाने के लिए रूरल बिजनेस इनक्यूबेटर (आरबीआई) एक सहयोगी कार्यक्रम चलाया गया है. ये कार्यक्रम नए व्यावसायिक विचारों, नए स्टार्टअप, नैनो उद्यमों वाले युवाओं को उनके व्यावसायिक लक्ष्यों में सफल होने में मदद करता है. यह कार्यक्रम इनक्यूबेट्स को विभिन्न सहायता, सलाह और प्रशिक्षण देकर उनकी उद्यमशीलता को राज्य और राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ता है. अब इसका नया नाम 'मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना' रखा गया है.
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