देहरादूनः वन विभाग को विभिन्न कार्यों के लिए कैंपा मद में 439.50 करोड़ की मंजूरी का इंतजार है. इसके लिए उत्तराखंड शासन ने वन विभाग की कार्य योजना स्वीकृत कर भारत सरकार को भेज दी है. जिस पर अब राज्य को केंद्रीय मंजूरी का इंतजार है. प्रस्तावित बजट के माध्यम से राज्य में वृक्षारोपण, ट्रीटमेंट प्लान, मानव वन्यजीव संघर्ष के निवारण से जुड़े जैसे कार्यों को किया जाएगा.
उत्तराखंड कैंपा (CAMPA-कंपेन्सटोरी एफोरेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी) ने साल 2025-26 के लिए 439.50 करोड़ की कार्य योजना तैयार की है. खास बात ये है कि राज्य ने इस कार्य योजना को पहली बार समय पर स्वीकृति देते हुए भारत सरकार को भेज दिया है. राज्य स्तरीय संचालन समिति की बैठक में इस कार्य योजना का वार्षिक प्रस्ताव लाया गया था, जिसे समिति की बैठक में स्वीकृति दे दी गई. इसके बाद अब केंद्र से इस कार्य योजना को स्वीकृति दी जानी है जिसका राज्य को इंतजार है.
उत्तराखंड द्वारा प्रस्तावित कार्य योजना में वन विभाग के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण कार्यों को जोड़ा गया है. इसके अंतर्गत 1600 हेक्टेयर में वृक्षारोपण को किए जाने और इनके अनुरक्षण के कार्य को प्रस्तावित किया गया है. जिसके लिए वन विभाग ने 72 करोड़ का प्रावधान किया है. उधर 55 करोड़ का प्रावधान वन विभाग ने कैचमेंट एरिया, ट्रीटमेंट प्लान के पूर्व में तय कार्यों को करने के लिए रखा है. मानव वन्य जीव संघर्ष के निवारण के लिए विभिन्न प्रभागों के आधुनिकीकरण करने के लिए 8 करोड़ का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा करीब 20 हजार हेक्टेयर के लैंडस्केप का उपचार करने के लिए 38 करोड़ रुपए कार्य योजना में रखे गए हैं. ताकि मानव वन्य जीव संघर्ष को रोका जा सके.
वन विभाग ने कैंपा के अंतर्गत 12 करोड़ का प्रावधान वानग्नि पर रोकथाम से जुड़े कामों को करने के लिए किया है. इसके अलावा वनों की सुरक्षा, जल संरक्षण और मृदा संरक्षण के कामों पर भी कार्य योजना को फोकस किया गया है. इसके लिए कुल 50 करोड़ की धनराशि का प्रावधान किया गया है. जिसमें 20 करोड़ लीटर जल ग्रहण क्षमता के विकास का काम भी किया जाना है. इसके अलावा कुछ दीर्घकालिक लाभ पाने के लिए बड़े प्रोजेक्ट पर भी विचार किया गया है, जिसमें जरूरी धनराशि को खर्च किया जाएगा.
वानिकी और वन्य जीव संरक्षण के लिए शोध, कर्मचारियों के प्रशिक्षण और प्रचार प्रसार, बुग्यालों के संरक्षण, वन चौकियों की स्थापना और वन मार्गों के अनुरक्षण जैसे कामों के लिए भी अलग से बजट की व्यवस्था की गई है. प्रदेश में जीपीएस के माध्यम से वन भूमि के सीमांकन के लिए 25 करोड़ की धनराशि का प्रावधान हुआ है. इसके जरिए तमाम सीमा संबंधी विवादों को सुलझाने और अतिक्रमण की स्थिति में इसका आसानी से पता लगाया जा सकेगा.
इन कामों के लिए बजट के प्रावधान के अलावा वन विभाग में होने वाले विभिन्न कार्यों और इस धनराशि के उपयोग के लिए थर्ड पार्टी अनुसरण व मूल्यांकन भी रखा गया है. जिसके लिए भोपाल स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट द्वारा काम किया जा रहा है. वन विभाग मान रहा है कि कैंपा के तहत प्रावधानित धनराशि के जरिए करीब 60 लाख मानव दिवस रोजगार दिया जा सकेगा.
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