देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में गणतंत्र दिवस पर सम्मानित होने वाले कर्मचारियों में एक आरोपी रेंजर को भी सूची में शामिल करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. प्रकरण पर जहां प्रमुख वन संरक्षक हॉफ अनूप मलिक ने सख्त रुख अपना लिया है तो वहीं अब सूची में आरोपी रेंजर की पैरवी करने वालों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है. उधर पहले ही मामले के संज्ञान में आते ही आरोपी का नाम सम्मान सूची से हटा दिया गया था.
गणतंत्र दिवस पर जहां तमाम विभागों ने अपने कर्मचारियों के सराहनीय कार्यों को लेकर उन्हें सम्मानित किया, तो वन विभाग इस दिन सम्मानित होने वाले कर्मचारियों की उस सूची को लेकर विवादों में रहा. जिसमें अवैध रूप से पेड़ काटे जाने के मामले में आरोपी रेंजर को भी शामिल किया गया था. खास बात यह है कि प्रकरण की जानकारी प्रमुख वन संरक्षक हॉफ अनूप मलिक के संज्ञान में आते ही उन्होंने ना केवल इस सूची से संबंधित आरोपी रेंजर का नाम हटाने के निर्देश दिए. बल्कि अब उन लोगों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है, जिन्होंने इस नाम की पहली करते हुए इसे मुख्यालय तक भिजवाया.
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वन विभाग में सम्मानित होने वाले कर्मचारियों की यह सूची एपीसीसी प्रशासन द्वारा जारी की गई थी. लेकिन मुख्यालय तक जिन लोगों ने विभिन्न नामों का चयन करते हुए रेंजर की पैरवी की, ऐसे लोगों की भूमिका संदिग्ध दिखाई देती है. शायद यही कारण है कि प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने इस मामले में अपना सख्त जाहिर किया है. उधर माना जा रहा है कि आरोपी रेंजर का नाम मुख्यालय तक भेजने वाले लोगों से जवाब तलब किया जा सकता है.
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दरअसल, वन विभाग में 29 कर्मचारियों को सम्मानित करने की सूची जारी की गई थी, जिसमें एक नाम पिथौरागढ़ में तैनात रेंजर का भी है. यह रेंजर अवैध पेड़ काटे जाने के गंभीर मामले को लेकर निलंबित भी किया गया था और मामले में रेंजर को क्लीन चिट नहीं मिल पाई है. हालांकि बाद में इस रेंजर को बहाल कर दिया गया था. सवाल यह भी उठ रहा है कि जब सराहनीय कार्यों को लेकर सम्मानित होने वाले विभिन्न वन विभाग के अफसर और कर्मचारियों के नाम चयनित कर वन मुख्यालय भेजे गए तो मुख्यालय के स्तर पर इन नामों को वेरीफाई क्यों नहीं कराया गया.