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उत्तराखंड में जियोथर्मल एनर्जी प्लांट पर जल्द होगा काम, ऊर्जा सचिव ने आइसलैंड में किया प्लांट्स का दौरा - Geothermal Energy Plant

Geothermal Energy Plant उत्तराखंड में ऊर्जा की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार अब जियो थर्मल एनर्जी की दिशा में भी काम करने जा रही है. इसके लिए ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, सीएम धामी के निर्देश पर आइसलैंड पहुंचे हैं. ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने इस दौरान आइसलैंड में स्थित जियो थर्मल प्लांट्स का दौरा किया और इससे जुड़े विशेषज्ञों से भी बात की.

Geothermal Energy Plant
ऊर्जा सचिव ने आइसलैंड में किया प्लांट्स का दौरा (PHOTO- UK INFORMATION DEPARTMENT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 1, 2024, 9:45 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में ऊर्जा की लगातार बढ़ती डिमांड को देखते हुए एनर्जी के नए स्त्रोतों पर विचार किया जा रहा है. इस दिशा में अब जियोथर्मल एनर्जी के लिए राज्य सरकार ने पहल की है. ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम इसको लेकर पूर्व में कई विशेषज्ञों से बात भी कर चुके हैं. जबकि फिलहाल वो जियोथर्मल एनर्जी के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे आइसलैंड के दौरे पर हैं. खास बात ये है कि उत्तराखंड में जियोथर्मल एनर्जी प्लांट के लिए बेहतर मौके होने की बात कही जा रही है. भूगर्भ से गर्म पानी के कुंडों की राज्य में मौजूदगी इसके अच्छे अवसर देती है. इतना ही नहीं, विशेषज्ञों की टीम इन गर्म पानी के कुंडों का पहले ही सर्वे भी कर चुकी है.

जियोथर्मल एनर्जी को लेकर 12 जुलाई को भारत में आइसलैंड के राजदूत के साथ उत्तराखंड बातचीत कर चुका है. जबकि आइसलैंड के राजदूत के निमंत्रण के बाद उत्तराखंड से ऊर्जा सचिव की अध्यक्षता में प्रतिनिधिमंडल आइसलैंड पहुंचा है. खास बात यह है कि आइसलैंड अपने कुल ऊर्जा उत्पादन के एक तिहाई ऊर्जा जियोथर्मल एनर्जी से प्राप्त करता है. आइसलैंड में प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय जलतापीय संयंत्र-लैंड्सविर्कजुन और भूतापीय संयंत्रों का भी दौरा किया और उनके कामकाज और संचालन को देखा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कार्बन उत्सर्जन को कम करने को लेकर बात रखते रहे हैं. इस दिशा में जियोथर्मल एनर्जी के जरिए उत्तराखंड केंद्र सरकार के इस दृष्टिकोण को बल देगा. जियोथर्मल एनर्जी एक तरह की रिन्यूएबल एनर्जी है। जिसमें भूगर्भ में मौजूद ऊष्मा का एनर्जी प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल होता है. ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के आइसलैंड दौरे के बाद माना जा रहा है कि जल्द ही जियो थर्मल एनर्जी को लेकर MoU साइन किए जा सकेंगे.

ये भी पढ़ेंः EXCLUSIVE: उत्तराखंड के तपोवन में क्यों नहीं लगाना चाहिए जियोथर्मल पावर प्लांट, जोशीमठ से जुड़ा है मामला, जानिए बड़ी वजह?

देहरादूनः उत्तराखंड में ऊर्जा की लगातार बढ़ती डिमांड को देखते हुए एनर्जी के नए स्त्रोतों पर विचार किया जा रहा है. इस दिशा में अब जियोथर्मल एनर्जी के लिए राज्य सरकार ने पहल की है. ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम इसको लेकर पूर्व में कई विशेषज्ञों से बात भी कर चुके हैं. जबकि फिलहाल वो जियोथर्मल एनर्जी के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे आइसलैंड के दौरे पर हैं. खास बात ये है कि उत्तराखंड में जियोथर्मल एनर्जी प्लांट के लिए बेहतर मौके होने की बात कही जा रही है. भूगर्भ से गर्म पानी के कुंडों की राज्य में मौजूदगी इसके अच्छे अवसर देती है. इतना ही नहीं, विशेषज्ञों की टीम इन गर्म पानी के कुंडों का पहले ही सर्वे भी कर चुकी है.

जियोथर्मल एनर्जी को लेकर 12 जुलाई को भारत में आइसलैंड के राजदूत के साथ उत्तराखंड बातचीत कर चुका है. जबकि आइसलैंड के राजदूत के निमंत्रण के बाद उत्तराखंड से ऊर्जा सचिव की अध्यक्षता में प्रतिनिधिमंडल आइसलैंड पहुंचा है. खास बात यह है कि आइसलैंड अपने कुल ऊर्जा उत्पादन के एक तिहाई ऊर्जा जियोथर्मल एनर्जी से प्राप्त करता है. आइसलैंड में प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय जलतापीय संयंत्र-लैंड्सविर्कजुन और भूतापीय संयंत्रों का भी दौरा किया और उनके कामकाज और संचालन को देखा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कार्बन उत्सर्जन को कम करने को लेकर बात रखते रहे हैं. इस दिशा में जियोथर्मल एनर्जी के जरिए उत्तराखंड केंद्र सरकार के इस दृष्टिकोण को बल देगा. जियोथर्मल एनर्जी एक तरह की रिन्यूएबल एनर्जी है। जिसमें भूगर्भ में मौजूद ऊष्मा का एनर्जी प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल होता है. ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के आइसलैंड दौरे के बाद माना जा रहा है कि जल्द ही जियो थर्मल एनर्जी को लेकर MoU साइन किए जा सकेंगे.

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