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मॉनसून से पहले एक्शन में आपदा प्रबंधन, बांधों के अर्ली वार्निंग सिस्टम का लिया अपडेट, मॉक ड्रिल से परखेंगे तैयारी - Preparation For Monsoon - PREPARATION FOR MONSOON

Preparation For Monsoon In Uttarakhand विदेश दौरे से लोटे आपदा सचिव अब लगतार मॉनसून से पहले सभी व्यवस्थाओं को जांच रहे हैं. उन्होंने प्रदेश की सभी जलविद्युत परियोजना और अन्य बांधों में लगे अर्ली वार्निंग सिस्टम को लेकर समीक्षा की. वहीं बांधों में लगे अर्ली वार्निंग सिस्टम को लेकर एक मॉक ड्रिल की योजना भी बनाई जा रही है.

Preparation For Monsoon In Uttarakhand
आपदा प्रबंधन ने बांधों के अर्ली वार्निंग सिस्टम का लिया अपडेट. (PHOTO-ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 26, 2024, 5:03 PM IST

Updated : Jun 26, 2024, 5:40 PM IST

आपदा प्रबंधन ने बांधों के अर्ली वार्निंग सिस्टम का लिया अपडेट. (VIDEO-ETV BHARAT)

देहरादूनः मॉनसून को लेकर सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने सभी बांध परियोजनाओं के अधिकारियों साथ बैठक की. जिसमें बांध परियोजनाओं के सभी प्रतिनिधियों ने मॉनसून के दृष्टिगत अपनी-अपनी तैयारियों के बारे में जानकारी दी. सभी तैयारियों को देखते हुए जुलाई के पहले और दूसरे सप्ताह में बांधों की तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था को परखने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा.

मॉक ड्रिल में यह देखा जाएगा कि सेंसर और सायरन सही काम कर रहे हैं या नहीं. साथ ही जो एसओपी बांध परियोजनाओं द्वारा बनाई गई है, आपातकालीन स्थिति में वह एसओपी धरातल में कितनी उपयोगी साबित होगी. उन्होंने कहा कि बांधों और बैराजों की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होनी बहुत जरूरी है. सभी बांधों में ऑटोमेटिक सेंसर लगाएं ताकि एक निश्चित सीमा से बांध या बैराज का जल स्तर बढ़े तो सायरन खुद-ब-खुद बज जाए.

सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि बांध परियोजनाओं द्वारा उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ समन्वय के लिए नोडल अधिकारी तैनात किया जाएगा. उन्होंने सभी बांधों को अपनी-अपनी एसओपी और ऑपरेशनल मैनुअल यूएसडीएमए के साथ साझा करने को कहा है. साथ ही सायरन का शैडो कंट्रोल और सेंसर्स का एपीआई राज्य आपदा परिचालन केंद्र को उपलब्ध कराने को कहा है.

टिहरी जलाशय में 100 मीटर तक भरी गाद: बैठक में टीएचडीसी के एजीएम एके सिंह ने बताया कि गाद जमा होने के कारण टिहरी जलाशय की जल भंडारण क्षमता 115 मिलियन घन मीटर तक घट गई है. पहले यह 2615 मिलियन घन मीटर थी और वर्तमान में यह 2500 मिलियन घन मीटर पर आ गई है.

सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि टीएचडीसी हर 2 साल में टिहरी जलाशय में भरने वाली गाद की स्टडी करता है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से ग्लेशियर झीलों में बाथीमेट्री टेस्ट करवा रहे हैं, इस तरह से टिहरी झील में भी अल्ट्रासाउंड वेव्स की मदद से झीलों की गहराई और उसमें अंतर को लेकर स्टडी की जाती है. जिससे पता चला है कि पिछले कुछ सालों में झील में 100 मीटर तक गाद भर गई है. जिससे झीलों की जल भंडारण क्षमता में कमी आई है.

धारचूला में 360 डिग्री सायरन के निर्देश: सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. सिन्हा ने धौलीगंगा बांध परियोजना के प्रतिनिधियों से धारचूला में 360 डिग्री का पांच किलोमीटर तक की रेंज वाला सायरन लगाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि धारचूला मुख्य केंद्र है और यहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा बहुत जरूरी है.

बता दें कि वर्तमान में बांध प्रबंधन द्वारा फोन पर नदी का जल स्तर बढ़ने की सूचना दी जाती है. जो सायरन धौलीगंगा बांध परियोजना ने लगाया है, वह धारचूला से काफी दूर है और उसकी आवाज शहर तक नहीं पहुंचती.

वहीं इसके अलावा सचिव आपदा प्रबंधन ने जेपी ग्रुप की विष्णुप्रयाग बांध परियोजना के प्रतिनिधियों को सख्त हिदायत दी कि वे जल्द से जल्द अपनी एसओपी, इमरजेंसी एक्शन प्लान और शैडो कंट्रोल यूएसडीएमए के राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के साथ साझा करने को कहा है.

यूएसडीएमए की मौसम विशेषज्ञ डॉ. पूजा राणा ने बताया कि शैडो कंट्रोल में बांध के साथ-साथ यूएसडीएमए के कंट्रोल रूम से भी संचालन किया जा सकता है.

ये भी पढ़ेंः आपदा के मुहाने पर खड़ा उत्तराखंड, विदेश दौरे पर टॉप अधिकारी, कईयों ने विभाग में छोड़ी नौकरी

आपदा प्रबंधन ने बांधों के अर्ली वार्निंग सिस्टम का लिया अपडेट. (VIDEO-ETV BHARAT)

देहरादूनः मॉनसून को लेकर सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने सभी बांध परियोजनाओं के अधिकारियों साथ बैठक की. जिसमें बांध परियोजनाओं के सभी प्रतिनिधियों ने मॉनसून के दृष्टिगत अपनी-अपनी तैयारियों के बारे में जानकारी दी. सभी तैयारियों को देखते हुए जुलाई के पहले और दूसरे सप्ताह में बांधों की तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था को परखने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा.

मॉक ड्रिल में यह देखा जाएगा कि सेंसर और सायरन सही काम कर रहे हैं या नहीं. साथ ही जो एसओपी बांध परियोजनाओं द्वारा बनाई गई है, आपातकालीन स्थिति में वह एसओपी धरातल में कितनी उपयोगी साबित होगी. उन्होंने कहा कि बांधों और बैराजों की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होनी बहुत जरूरी है. सभी बांधों में ऑटोमेटिक सेंसर लगाएं ताकि एक निश्चित सीमा से बांध या बैराज का जल स्तर बढ़े तो सायरन खुद-ब-खुद बज जाए.

सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि बांध परियोजनाओं द्वारा उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ समन्वय के लिए नोडल अधिकारी तैनात किया जाएगा. उन्होंने सभी बांधों को अपनी-अपनी एसओपी और ऑपरेशनल मैनुअल यूएसडीएमए के साथ साझा करने को कहा है. साथ ही सायरन का शैडो कंट्रोल और सेंसर्स का एपीआई राज्य आपदा परिचालन केंद्र को उपलब्ध कराने को कहा है.

टिहरी जलाशय में 100 मीटर तक भरी गाद: बैठक में टीएचडीसी के एजीएम एके सिंह ने बताया कि गाद जमा होने के कारण टिहरी जलाशय की जल भंडारण क्षमता 115 मिलियन घन मीटर तक घट गई है. पहले यह 2615 मिलियन घन मीटर थी और वर्तमान में यह 2500 मिलियन घन मीटर पर आ गई है.

सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि टीएचडीसी हर 2 साल में टिहरी जलाशय में भरने वाली गाद की स्टडी करता है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से ग्लेशियर झीलों में बाथीमेट्री टेस्ट करवा रहे हैं, इस तरह से टिहरी झील में भी अल्ट्रासाउंड वेव्स की मदद से झीलों की गहराई और उसमें अंतर को लेकर स्टडी की जाती है. जिससे पता चला है कि पिछले कुछ सालों में झील में 100 मीटर तक गाद भर गई है. जिससे झीलों की जल भंडारण क्षमता में कमी आई है.

धारचूला में 360 डिग्री सायरन के निर्देश: सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. सिन्हा ने धौलीगंगा बांध परियोजना के प्रतिनिधियों से धारचूला में 360 डिग्री का पांच किलोमीटर तक की रेंज वाला सायरन लगाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि धारचूला मुख्य केंद्र है और यहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा बहुत जरूरी है.

बता दें कि वर्तमान में बांध प्रबंधन द्वारा फोन पर नदी का जल स्तर बढ़ने की सूचना दी जाती है. जो सायरन धौलीगंगा बांध परियोजना ने लगाया है, वह धारचूला से काफी दूर है और उसकी आवाज शहर तक नहीं पहुंचती.

वहीं इसके अलावा सचिव आपदा प्रबंधन ने जेपी ग्रुप की विष्णुप्रयाग बांध परियोजना के प्रतिनिधियों को सख्त हिदायत दी कि वे जल्द से जल्द अपनी एसओपी, इमरजेंसी एक्शन प्लान और शैडो कंट्रोल यूएसडीएमए के राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के साथ साझा करने को कहा है.

यूएसडीएमए की मौसम विशेषज्ञ डॉ. पूजा राणा ने बताया कि शैडो कंट्रोल में बांध के साथ-साथ यूएसडीएमए के कंट्रोल रूम से भी संचालन किया जा सकता है.

ये भी पढ़ेंः आपदा के मुहाने पर खड़ा उत्तराखंड, विदेश दौरे पर टॉप अधिकारी, कईयों ने विभाग में छोड़ी नौकरी

Last Updated : Jun 26, 2024, 5:40 PM IST
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