देहरादूनः क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) पर लगे करोड़ों रुपयों के घोटाले के आरोप का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी के ट्रांसफर होने से मामला फिर चर्चाओं में है. हालांकि अभी तक जांच कर रहे अधिकारी के मुताबिक, मामले की 75 फीसदी जांच की जा चुकी है. हालांकि, आगे की जांच का जिम्मा नए ऑफिसर पर है. वहीं सीएयू के सचिव ने किसी भी तरह के अनियमितता मामले से इनकार किया है.
क्या है पूरा मामलाः दरअसल, क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के वाइस प्रेसिडेंट धीरज भंडारी ने एसोसिएशन पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाते हुए पुलिस को शिकायत दी. डोईवाला सर्किल ऑफिसर रहे अभिनव चौधरी को जांच का जिम्मा मिला. हालांकि, अब अभिनव चौधरी का सर्किल ऑफिसर सदर के पद पर ट्रांसफर हो गया है. हालांकि, अभिवन चौधरी का कहना है कि उनके द्वारा लगभग 75 फीसदी जांच पूरी कर ली गई है. इस पूरे मामले में कई लोगों के बयान हो चुके हैं. अब आगे की जांच वर्तमान सर्किल ऑफिसर डोईवाला अनिल जोशी के पास है.
शिकायतकर्ता ने नहीं की बात: वहीं, ईटीवी भारत ने डोईवाला नए सर्किल ऑफिसर अनिल जोशी से फोन पर बात करने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. जबकि इस मामले पर शिकायतकर्ता क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के वाइस प्रेसिडेंट धीरज भंडारी से भी उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई. लेकिन उनके द्वारा कोई जानकारी न होने की बात कहकर फोन काट दिया गया.
सचिव ने रखा पक्ष वहीं, ईटीवी भारत ने इस पूरे मामले पर एक बार फिर सीएयू सचिव महिम वर्मा से उनका पक्ष जाना. जिस पर उन्होंने कई बातें कही. उन्होंने कहा, 'सारे आरोप पूरी तरह से निराधार हैं. जो व्यक्ति शिकायत कर रहा है या फिर आरोप लगा रहा है, वह खुद सिस्टम का पार्ट है. एसोसिएशन में हर एक काम का ऑडिट होता है और उसकी पूरी रिपोर्ट बनती है. जिसे एजीएम में रखा जाता है. एजीएम से ही अप्रूवल मिलता है'.
महिम वर्मा ने कहा, एसोसिएशन में लगातार ऑडिट हो रहे हैं. उनकी रिपोर्ट भी तैयार हो रही है और वह एजीएम से पास भी हो रही है. एजीएम से रिपोर्ट पास होने के आधार पर बीसीसीआई से स्टेट को ग्रांट मिलती है. और लगातार सीएयू को ग्रांट मिल रही है. अगर वित्तीय अनियमितता होती तो यह ऑडिट में या फिर उसके बाद होने वाली एजीएम में अप्रूव ना होती और ना ही बीसीसीआई से लगातार उन्हें ग्रांट प्राप्त होती.
महिम वर्मा का कहना है कि एसोसिएशन पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाने वाले वही व्यक्ति हैं जो कि ऑडिट रिपोर्ट को एजीएम में रखते हैं. एजीएम के वह एक महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में हैं. ऑफिस का खर्च भी उन्हीं के हाथ में है. उनके द्वारा खुद के सिस्टम पर सवाल खड़ा किया जाना अपने आप में एक बड़ा विरोधाभास खड़ा कर रहा है.
उन्होंने कहा, यदि वित्तीय अनियमितता थी तो बतौर एजीएम सदस्य एजीएम में ही अपनी आपत्ति रखी जानी चाहिए थी. लेकिन वहां किसी तरह का विरोध ना करते हुए अप्रूवल के लिए सहयोग किया जाता है. और बाद में अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर शिकायत की जा रही है जो कि एसोसिएशन की छवि और प्रदेश के क्रिकेट को नुकसान पहुंचाने के अलावा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य का विषय है कि एसोसिएशन के वो लोग जिन्हें क्रिकेट को बढ़ावा देना था. वो कुछ और ही काम में लगे हुए हैं.
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